जानें पिछले 5 वर्षों में भारत में कितने लीटर खून की बर्बादी हुई है

May 4, 2017, 18:13 IST

भारत में प्रतिवर्ष रक्त, प्लाज्मा या प्लेटलेट के अभाव में मातृ मृत्युदर में वृद्धि हो रही हैl इसके अलावा आकस्मिक दुर्घटनाओं में अत्यधिक खून बहने से हर वर्ष लाखों लोगों की मौत हो जाती हैl एक अनुमान के मुताबिक भारत में प्रतिवर्ष औसतन 30 लाख यूनिट रक्त की कमी होती है। इसके बावजूद भारत में अभी भी रक्त के भण्डारण और उपलब्धता में लापरवाही दिखाई पड़ती हैl इस लेख को पढ़ने के बाद आप जान जाएंगे कि पिछले 5 वर्षों में भारत में कितने लीटर खून की बर्बादी हुई हैl

भारत में प्रतिवर्ष रक्त, प्लाज्मा या प्लेटलेट के अभाव में मातृ मृत्युदर में वृद्धि हो रही हैl इसके अलावा आकस्मिक दुर्घटनाओं में अत्यधिक खून बहने से हर वर्ष लाखों लोगों की मौत हो जाती हैl एक अनुमान के मुताबिक भारत में प्रतिवर्ष औसतन 30 लाख यूनिट रक्त की कमी होती है। इसके बावजूद भारत में अभी भी रक्त के भण्डारण और उपलब्धता में लापरवाही दिखाई पड़ती हैl इस लेख को पढ़ने के बाद आप जान जाएंगे कि पिछले 5 वर्षों में भारत में कितने लीटर खून की बर्बादी हुई हैl

राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (NACO) के कार्यकर्ता चेतन कोठारी द्वारा दायर सूचना का अधिकार (RTI) याचिका भारत में ब्लड बैंक प्रणाली में मौजूद गंभीर खामियों का खुलासा करती है। इस याचिका के उत्तर में दिए गए जवाब में उल्लेख किया गया है कि पिछले पांच सालों में पूरे भारत में ब्लड बैंकों द्वारा 28 लाख से अधिक यूनिट रक्त और इसके घटकों को बर्बाद किया गया था। अगर लीटर में इसकी गणना करें तो इन 28 लाख से अधिक यूनिट में 6% संचित अपव्यय 6 लाख लीटर से अधिक रक्त के बराबर है, जो 53 टैंकरों को भरने के लिए पर्याप्त है।

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Blood wastage
Image source: Medical Dialogues

अलग-अलग राज्यों में ब्लड बैंक द्वारा रक्त की बर्बादी

ऐसे राज्य जो न केवल सम्पूर्ण रक्त को बर्बाद करने के मामले में बल्कि लाल रक्त कोशिकाओं और प्लाज्मा जैसी जीवन रक्षक अवयवों की बर्बादी में देश में सबसे ऊपर थे, उनमें महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश और तमिलनाडु का नाम प्रमुख थाl आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि केवल 2016-17 में ही पूरे देश में 6.57 लाख यूनिट से अधिक रक्त और उसके घटक बर्बाद किए गए थेl  
सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि बर्बाद किए गए रक्त में 50% हिस्सेदारी प्लाज्मा की थी, जिसका जीवनकाल एक साल होता है और यह सम्पूर्ण रक्त और लाल रक्त कोशिकाओं के उपयोग की समय-सीमा 35 दिन से काफी अधिक हैl  

पिछले पांच वर्षों के दौरान 10,00,000 यूनिट से अधिक रक्त संग्रह करनेवाला एकमात्र राज्य महाराष्ट्र था, लेकिन वह सम्पूर्ण रक्त की बर्बादी के मामले में भी सबसे ऊपर थाl सम्पूर्ण रक्त की बर्बादी के मामले में महाराष्ट्र के बाद पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश का स्थान थाl

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blood bank managemant
Image source: www.tirupurdirectory.com

लाल रक्त कोशिकाओं की बर्बादी में पहले तीन स्थानों पर महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश और कर्नाटक का नाम था, जबकि प्लाज्मा की अधिकतम यूनिट को बर्बाद करने में पहले दो स्थानों पर उत्तरप्रदेश और कर्नाटक का नाम थाl

यह देखते हुए कि ताजा जमे हुए प्लाज्मा कई फार्मेसी कंपनियों द्वारा एल्ब्यूमिन उत्पादन करने के लिए आयात किया जाता है, यह आश्चर्यजनक है कि 2016-17 में प्लाज्मा की 3 लाख से अधिक यूनिट को बर्बाद किया गया थाl

पिछले 5 वर्षों में तमिलनाडु में 56,000 लीटर रक्त और इसके घटकों को बर्बाद किया गया था, जोकि कुल रक्तदान का 5% है, अतः राज्य सरकार भविष्य में इस अपव्यय को कम करने के प्रयास में राज्य में पहली बार रक्त से संबंधित मसौदा नीति तैयार करने की प्रक्रिया में हैl

भारत में रक्त की बर्बादी के कारण

सुरक्षित रक्त आधान जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं के अनुसार, भारत में बड़ी मात्रा में रक्त की बर्बादी के लिए ब्लडबैंकों और अस्पतालों के बीच रक्त आधान से संबंधित एक मजबूत साझा नेटवर्क के अभाव को दोषी ठहराया जा सकता हैl
blood donation
Image source: Biyani College

कई राज्यों में स्थानीय राजनेताओं द्वारा हजारों प्रतिभागियों को शामिल करने के उद्देश्य से रक्तदान शिविरों का आयोजन किया जाता है, ताकि उन्हें मतदाताओं को खुश करने के लिए एक उपकरण के रूप में उपयोग किया जा सकेl लेकिन उनके पास रक्त के भण्डारण की समुचित व्यवस्था नहीं होती है, जिसके कारण रक्त की बर्बादी होती हैl
भारतीय रेडक्रॉस सोसाइटी में काम करने वाली डॉ. ज़रीन भरूचा के अनुसार किसी रक्तदान शिविर में 500 यूनिट तक रक्त का संग्रह स्वीकार्य और प्रबंधनीय हैl लेकिन हमने कई रक्तदान शिविरों में देखा है कि वहां 1,000 से 3,000 यूनिट रक्त एकत्रित की जाती है, जिसे संग्रहित करने की जगह का अभाव हैl अतः वह लोगों से अपील करती हैं कि ऐसे शिविरों में रक्तदान करने के बजाय  हर तीन महीने में नियमित ब्लड बैंकों में जाकर रक्त दान करना चाहिएl

blood donation camp

Image source:Muscat Daily

अंत में हम यह कह सकते है कि भारत जैसे देश में जहां रक्त की कमी बढ़ती जा रही है, वहां लोगों द्वारा दान में दिए गए प्लाज्मा का अपव्यय परेशानी का सबब हैl इससे न केवल उन लोगों के जीवन पर खतरा पैदा हो सकता है जिन्हें रक्त आधान की आवश्यकता होती है, बल्कि इससे मौद्रिक नुकसान होने की भी संभावना है। अतः सभी निजी और सार्वजनिक अस्पतालों, ब्लड बैंकों और सरकारी पदाधिकारियों को भविष्य में ऐसे नुकसान को रोकने के लिए उचित नियमों का पालन करना चाहिएl

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