दुनिया के पहले स्थिर अर्द्ध-सिंथेटिक (semi-synthetic) जीव की खोज

स्क्रिप्स अनुसंधान संस्था (TSRI) के वैज्ञानिकों ने पहली बार एक “अर्द्ध-सिंथेटिक जीव”, अर्थात् एक एकल कोशिकीय जीवाणु की खोज की है, जो औषधि या दवाओं और अन्य अनुप्रयोगों से संबंधित खोजों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है| इस लेख में हम “अर्द्ध-सिंथेटिक जीव” तथा डीएनए की संरचना एवं कार्यप्रणाली का विवरण दे रहे हैं|

Mar 8, 2017, 12:24 IST

DNAडीएनए का पूरा नाम डिऑक्सीराइबोन्यूक्लिक (deoxyribonucleic) अम्ल है, जो एक आनुवंशिक पदार्थ है| यह सभी जीवों में पाया जाता है और एक पीढ़ी से दूसरे पीढ़ी के बीच आनुवंशिकता संबंधी लक्षण के स्थानांतरण के लिए जिम्मेदार होता है। डीएनए में संग्रहीत जानकारी एक कोड के रूप में होता है और इस कोड को एडेनिन (A), गुआनिन (G), साइटोसिन (C) और थाइमिन (T) जैसे चार रासायनिक आधार पर तैयार किया जाता है| इन रासायनिक आधारों का अनुक्रम एक जीव के निर्माण और उसके भरण-पोषण के लिए उपलब्ध जानकारी का निर्धारण करता है। यह कोड “आधार जोड़े (base pairs)” के रूप में जाना जाता है जिसमें एक शर्करा अणु और एक फॉस्फेट अणु संलग्न होते हैं।

हम सभी जानते हैं कि जीवन के अनुवांशिक कोड में (Life’s Genetic Code) केवल चार प्राकृतिक आधारों को शामिल किया गया है| इन आधारों को डीएनए के सोपानों की छड़  (rungs of the DNA ladder) के रूप में दो आधार युग्मों में गठित किया जाता है जिससे एक सर्पिला (spiral) संरचना बनता है जिसे “दोहरी कुंडलिनी (double helix)” कहा जाता है| जैसा कि हम सभी जानते है, ये छड़ें ही जीवन के निर्माण हेतु जीवाणुओं को मनुष्य में (Bacteria to Humans) पुनर्व्यवस्थित करने का कार्य करती है|

स्क्रिप्स अनुसंधान संस्था (TSRI) के वैज्ञानिकों ने पहली बार एक “अर्द्ध-सिंथेटिक जीव”, अर्थात् एक एकल कोशिकीय जीवाणु की खोज की है, जो औषधि या दवाओं और अन्य अनुप्रयोगों से संबंधित खोजों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है| 

लेकिन क्या आपको पता है कि “अर्द्ध-सिंथेटिक जीव (SCO) क्या होता है?

semi synthetic organism

Source: www.img.etimg.com

यह एक ऐसा जीव है जो जीवविज्ञान के एक भाग के रूप में कार्य करने के लिए मानव निर्मित भाग पर निर्भर करता है|

स्क्रिप्स अनुसंधान संस्था (TSRI) के वैज्ञानिकों ने एक नया जीवाणु बनाया है जिसके पास सभी चार प्राकृतिक आधार (A, T, C और G) पाए गए हैं, जो हर जीवित जीव के पास होता है| लेकिन इसके आनुवंशिक कोड में संश्लेषित आधार वाले दो जोड़े X और Y भी उपस्थित हैं| वैज्ञानिकों के अनुसार अब एक कोशिकीय जीव न केवल संश्लेषित आधार युग्मों पर पकड़ बनाए रख सकते हैं, बल्कि उनका विखंडन करने में भी सक्षम हैं| गौरतलब है कि एक निश्चित समय के बाद जीवाणु द्वारा अपने डीएनए में अतिरिक्त सूचनाओं को संगृहित करने के लिये X एवं Y आधार युग्मों को स्वयं से पृथक कर दिया जाता है|

इसके लिए उन्होंने एक उपकरण का निर्माण किया जिसे “न्यूक्लियोटाइड ट्रांसपोर्टर  (nucleotide transporter) के नाम से जाना जाता है जो कोशिका झिल्ली के सभी ओर से अप्राकृतिक आधार जोड़ी के लिए आवश्यक सामग्री लाता है। इसकी सहायता से X और Y पर पकड़ रखते हुए जीव का विकास एवं विभाजन आसान हो जाता है| इसके बाद वैज्ञानिकों के लिए Y के पिछले संस्करण का अनुकरण करते हुए संश्लेषित आधार जोड़ी की प्रतिलिपि बनाना आसान हो जाता है। डीएनए की प्रतिकृति बनाने के दौरान, एक अलग अणु बनाया जाता है ताकि डीएनए अणु का संश्लेषण करने वाले एंजाइम उसे आसानी से पहचान सके।

semi synthetic organism

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इसके बाद शोधकर्ताओं द्वारा जीन संपादन उपकरण (Gene Editing Tool) CRISPR-Cas9 के प्रयोग के माध्यम से जीव का प्रारूप (बाहरी तत्त्वों X एवं Y के प्रयोग के बिना) तैयार किया गया ताकि उसके आनुवांशिक अनुक्रम का पता लगाया जा सके| साथ ही वैसी कोशिका जो X एवं Y युग्मों को स्वयं से पृथक कर देती है, को संहारक (Destruction) के रूप में चिन्हित किया गया|

कमाल की बात यह है कि “अर्द्ध-सिंथेटिक जीव” 60 बार विभाजित होने के बाद भी X एवं Y युग्मों को जीवों के जीनोम में स्थिर बनाए रखने में सक्षम साबित हुए, जिसके परिणामस्वरूप शोधकर्ता इस बात पर सहमत हो पाए कि ये अर्द्ध-सिंथेटिक जीव अनिश्चितकाल के लिये आधार युग्मों पर अपनी पकड़ बनाए रखने में सक्षम है|

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अब हम डीएनए की संरचना और उसके कार्य देखते हैं:

1953 में जेम्स वाटसन और फ्रांसिस क्रिक ने डीएनए की संरचना की खोज की थी और बताया कि डीएनए का कार्य केवल इसकी संरचना पर निर्भर करता है।

डीएनए बहुलक की एक लंबी श्रृंखला है जो चेनों द्वारा निर्मित होता है, जिसे “न्यूक्लियोटाइड” कहा जाता है| डीएनए में चार न्यूक्लियोटाइड मोनोमर A, T, G और C पाए जाते हैं जिनका उल्लेख इस लेख के शुरूआत में किया गया है| इन चार न्यूक्लियोटाइड का निर्माण एक फॉस्फेट समूह और एक न्यूक्लियोबेस के एक शर्करा (sugar) अणु से चिपकने के द्वारा होता है| यह शर्करा (sugar) “डिऑक्सीराइबोस (deoxyribose)” कहलाता है। यह एक छल्ले के रूप में मौजूद रहता है जिसमें एक ऑक्सीजन और चार कार्बन होते हैं और प्रत्येक तीसरे कार्बन से जुड़ा एक हाइड्रॉक्सिल समूह (OH) भी होता है|

nucleotides

Source:www.upload.wikimedia.org.com

इन चार मोनोमर्स को “न्यूक्लियोबेस” या “नाइट्रोजनस बेस” के रूप में भी जाना जाता है।

एडेनिन के लिए A, थायमिन के लिए T, सायटोसिन के लिए C और गुआनिन के लिए G|

डीएनए बहुलक में  “फोस्फोडाइएस्टर (phosphodiester)”  बॉण्ड होते हैं जो एक डीएनए न्यूक्लियोटाइड को दूसरे से जोड़ते हैं| हमेशा पहले न्यूक्लियोटाइड के पाँचवे कार्बन को दूसरे न्यूक्लियोटाइड के तीसरे कार्बन से जोड़कर श्रृंखला बनता है जिसके परिणामस्वरूप एक सहसंयोजक बॉण्ड (covalent bond) बनता है। जैसा नीचे दिखाया गया है:

DNA nucleotide

Source: www.study.com

प्रत्येक गुणसूत्र के डीएनए में डीएनए के दो बहुलक होते हैं, जो 3D संरचना बनाते हैं, जिसे “दोहरी कुंडलिनी (double helix)” कहा जाता है । इस संरचना में डीएनए के किनारे असमान्तर (antiparallel) रहते हैं अर्थात एक डीएनए का पाँचवा किनारा दूसरे डीएनए के तीसरे किनारे के समानांतर होता है। जैसे नीचे के चित्र में दिखाया गया है:

DNA double helix

प्रत्येक डीएनए किनारा (strand)  न्यूक्लियोटाइड से बनता है एवं गैर-सहसंयोजी बॉण्ड द्वारा जुड़ा रहता है जिसे हाइड्रोजन बॉण्ड के नाम से जाना जाता है।

एडेनिन (A) और थायमिन (T) एक साथ जोड़ी बनाते हैं और प्रत्येक के पास एक दाता (Doner) और एक स्वीकर्ता (acceptor) होता है जबकि सायटोसिन (C) के पास एक दाता (Doner) और दो स्वीकर्ता (acceptor) होता है जबकि गुआनिन (G) के पास एक स्वीकर्ता (acceptor) और दो दाता (Doner) होते हैं जो एक-दूसरे के साथ जोड़ी बनाते हैं|

Structure of Nucleotide

Source: www.ied.edu.hk.com

डीएनए का कार्य :

1. डीएनए के बहुलक अन्य बहुलको के उत्पादन को संचालित करते हैं जिन्हें प्रोटीन कहा जाता है|

2. एक गुणसूत्र में छोटे-छोटे खंड होते हैं जिन्हें जीन कहा जाता है| प्रत्येक जीन तीन न्यूक्लियोटाइड उप-खंडों में विभाजित होते हैं जिन्हें कोडोन (codon) के नाम से जाना जाता है|

Function of DNA

Source: www.2010g09r3bdnawiki.wikispaces.com

अंत में हम कह सकते हैं कि डीएनए जानकारी देने वाला एक अणु है जो प्रोटीन जैसे बड़े अणुओं के निर्माण के लिए निर्देश संग्रहीत करता है| ये निर्देश प्रत्येक कोशिका के कक्ष में संग्रहीत होता है और 46 लंबे संरचनाओं के बीच वितरित रहता है, जिसे गुणसूत्र कहा जाता है|  ये गुणसूत्र डीएनए के छोटे खंडों से बनता है, जिसे जीन कहा जाता है| किसी जीव के संतान में जीनों का स्थानांतरण आनुवांशिक लक्षणों का आधार होता है या यह ऐसे जीव का निर्माण करता है, जो अपने माता-पिता (अभिभावक) के समान होते हैं, जैसे- मानव के बच्चे मानव के समान ही होते हैं, शेर के बच्चे शेर के ही समान होते हैं| जीन, सभी जीव के विकास अर्थात यौवन से वयस्कता, वयस्कता से बुढ़ापा और बुढ़ापा से मृत्यु तक के जीवनचक्र को भी नियंत्रित करता है| इसके अलावा जीन प्रत्येक व्यक्ति के विशिष्ट गुण जैसे- आँखों का रंग, त्वचा का रंग, लिंग का निर्धारण आदि के लिए भी जिम्मेदार होता है|

Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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