जानें भारत में पहला न्यूज पेपर कब प्रकाशित हुआ था

Jun 19, 2017, 15:49 IST

 

क्या आप भारत में न्यूज पेपर के इतिहास के बारे में जानते हैं . कैसे और कब न्यूज पेपर भारत में आया. किसने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई आदि. 

Source: www.si.wsj.net.com

न्यूज पेपर या अख़बार को मौजूदा जानकारी देने के एक मुद्रित साधन के रूप में परिभाषित किया जा सकता है. इसका मूल कार्य सूचना, शिक्षा और मनोरंजन प्रदान करना है. यह समाज में “प्रहरी” की भूमिका निभाता है. आज भारत में न्यूज पेपर हमारे समाज की गर्व संस्था है. अनुनय के एक वाहन के रूप में काम करते समय, इसका मूल कार्य सूचना-शिक्षा. यह समाज में ‘वाच डॉग’ की भूमिका निभाता है.

ब्रिटिश प्रशासन के तहत पहला भारतीय अख़बार या न्यूज पेपर 

- भारत का पहला न्यूज पेपर 'द बंगाल गैजेट' 29 जनवरी 1780 को जेम्स अगस्टस हिक्की द्वारा प्रकाशित किया गया था. इसे 'कलकत्ता जनरल एडवरटाइजर' भी कहा जाता था और लोग इसे 'हिक्की गेज़ेट ' के रूप में याद रखते थे.

Source: www.slate.com 

- मेसियर बी मेस्नैक और पीटर रीड ने नवंबर 1780 में ‘इंडियन गेज़ेट’ को प्रकाशित किया था.

अब ईस्ट इंडिया प्रशासन के अंतर्गत न्यूज पेपर / साप्ताहिक पत्रिकाओं पर नज़र डालते हैं :

1784 - कलकत्ता गेज़ेट

1785- बंगाल जर्नल

1785 - अंग्रेजी भाषा में मद्रास में रिचर्ड जॉनसन द्वारा प्रकाशित 'मद्रास कूरियर'

Source: www.4.bp.blogspot.com

1789 - बॉम्बे हेराल्ड (बॉम्बे में प्रकाशित पहला समाचार पत्र)

1790 - बॉम्बे कूरियर

1791 - बॉम्बे गेज़ेट

1795- आर विलियम का 'मद्रास गैजेट'

1796 - हम्फ्री के द्वारा ‘इंडियन हेराल्ड'

1799 - ईस्ट इंडिया प्रशासन के द्वारा पारित विनियमन 

इस अवधि को सख्त सरकारी नियंत्रण और सेंसरशिप के लिए जाना जाता था. अगर कोई अख़बार सरकार के खिलाफ कोई खबर छापता था तो उसके प्रकाशक को सख्त सजा दी जाती थी.

इसलिए, 18वीं सदी के अंत और 19वीं सदी की शुरूआत में, कोई प्रतिष्ठित पत्रकार या समाचार पत्र का उदय नहीं हुआ. फिर 1811 में कलकत्ता के कुछ व्यापारियों ने 'कलकत्ता क्रॉनिकल' नामक समाचार पत्र शुरू किया और इसके संपादक जेम्स सिल्क बकिंघम थे. भारत में इस समय को न्यूज़ पेपर का स्वर्ण युग कहा गया है. जेम्स बकिंघम ने भारत में पत्रकारिता को लेकर एक नया दृष्टिकोण पेश किया. उन्होंने स्पष्ट पत्रकारिता प्रथाओं की शुरुआत की और स्थानीय लोगों और उनके जीवन की समस्याओं को शामिल किया. यहां तक कि उन्होंने ‘सती प्रथा’ के खिलाफ भी आंदोलन शुरू किया था.

भारतीय प्रशासन के अंतर्गत न्यूज पेपर या पत्रिकाएं

1822 - राजा राम मोहन रॉय ने एक बंगाली अख़बार 'संवाद कौमुदी' की शुरूआत की थी.

Source: www.4.bp.blogspot.com

1822 - राजा राम मोहन रॉय द्वारा एक फ़ारसी अख़बार 'मिराट-उल-अकबर' की भी शुरूआत की गई थी.

1822 - फरदोंजी मुर्ज़बान द्वारा 'बॉम्बे समाचार' की शुरूआत की गई थी.

इसी समय बंगाल में चंद्रिका समाचार की शुरुआत भी हुई थी.

1826 - पहला हिंदी अखबार “ओदंत मार्तंड” को बंगाल से प्रकाशित किया गया था.

यह वह समय था, जब बंगाली, गुजराती, मराठी, उर्दू और फारसी भाषा में अल्पकालिक समाचार पत्रों का शुभारंभ हुआ था. 

• November 3, 1838 - टाइम्स ऑफ इंडिया का पूर्ववर्ती, बॉम्बे टाइम्स का पहला संस्करण प्रकाशित किया गया था.

1857 को भारत में पत्रकारिता के उत्थान के साल के रूप में जाना जाता है

- 1857 में भारतीय और ब्रिटिशों के स्वामित्व वाले अखबारों को विभाजित कर दिया गया और सरकार ने 1876 में वर्नाकुलर प्रेस एक्ट पास किया था.

1861-‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ का पहला संस्करण रॉबर्ट नाइट द्वारा प्रकाशित किया गया था.

Source: www.penrose.whitman.edu

1868 - दो भाइयों, शिशिर कुमार घोष और मोती लाल घोष द्वारा ‘अमृत बाजार पत्रिका’ की शुरूआत की गई थी.

1875 - बंगाल में ‘भारतीय स्टेटसमैन’ (बाद में, स्टेटसमैन) नामक समाचारपत्र का शुभारंभ किया गया था.

यह वही समय था जब सामाजिक सुधारकों और राजनीतिक नेताओं ने पत्रकारिता के क्षेत्र में अपना योगदान देना शुरू कर दिया था, जिनमें सी. वाई. चिंतामणी, एन. सी. केल्कर, फिरोजशाह मेहता आदि प्रमुख थे.

1878 - अंग्रेजी भाषा में “द हिन्दू” की शुरूआत की गई थी, जिसका वितरण मुख्य रूप से तमिलनाडु और केरल में होता था.

1878 - वर्नाकुलर प्रेस एक्ट 

1881 - लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक द्वारा मराठी में केसरी नामक समाचारपत्र और अंग्रेजी में “मराठा” नामक समाचारपत्र की शुरूआत की गई थी.

1919 - महात्मा गांधी द्वारा यंग इंडिया और नवजीवन नामक दो साप्ताहिक समाचारपत्र की शुरूआत की गई थी. 

1933 - महात्मा गांधी द्वारा “हरिजन” नामक तीसरी साप्ताहिक पत्रिका की शुरूआत की गई थी.

1938 - जवाहरलाल नेहरू द्वारा नेशनल हेराल्ड नामक समाचारपत्र की शुरूआत की गई थी. 

1927 में, उद्योगपति जी. डी. बिड़ला ने हिंदुस्तान टाइम्स और उसी वर्ष एस सदानंद ने मुम्बई में गरीबों और मध्य वर्ग के लिए “फ्री प्रेस जर्नल” की शुरूआत की थी.

1931 - भारतीय प्रेस अधिनियम आया था. 

आजादी के बाद समाचार पत्रों में कई बदलाव हुए. यहां तक कि पत्रकारों की कार्यशैली भी बदल गई थी. अधिकांश अख़बार भारतीय संपादकों के हाथों में आ गए थे. 

समाचार एजेंसी सेवाएं नियमित रूप से भारत के प्रेस ट्रस्ट के साथ उपलब्ध हुईं जिसकी शुरूआत 1946 में हुई थी.

इससे पहले लोग एक मिशन के लिए काम कर रहे थे लेकिन आजादी के बाद अखबारों में एक पेशेवर दृष्टिकोण दिखाई देने लगा था. इससे लोगों को रोज़गार मिला, जिसके कारण अखबार एजेंसीयां लाभोन्मुख बन गई और तो और विभिन्न तकनीकी बदलाव हुए.

1951 - प्रेस आक्षेपण विषय-वस्तु अधिनियम आया (The Press Objectionable Matter Act came)

1956 - अख़बार मूल्य और पृष्ठ अधिनियम आया (The Newspaper Price and Page Act)

यह भारतीय समाचार पत्रों के खिलाफ दमनकारी उपायों की गवाही देता है.1970 के दशकों तक अख़बारों ने एक उद्योग का दर्जा हासिल कर लिया था.वास्तव में भारतीय अखबार उद्योग दुनिया में सबसे बड़ा है. हालांकि, 1975-77 के दरम्यान इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के समय में दमनकारी नीति अपने चरम पर थीl लेकिन बाद में प्रेस की स्थिति बदली और वह अपने चरम पर पहुंच गई.

समाचारपत्र का वर्तमान परिदृश्य और भविष्य

जैसे-जैसे टीवी, न्यू मीडिया, इंटरनेट उभर रहें है, ऐसा माना जा रहा है कि नवीनतम समाचार प्रदान करने के मामले में समाचार पत्र अप्रासंगिक हो रहा  हैं. लेकिन अब भारत में और पुरे संसार में कुछ हद तक कई समाचार पत्रों ने समाचारों का विश्लेषण भी शुरू कर दिया है.

टाइम्स ऑफ इंडिया, द हिन्दू, हिंदुस्तान टाइम्स, द स्टेट्समैन, इकोनॉमिक टाइम्स, द ट्रिब्यून, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर आदि जैसे दैनिक समाचार पत्र देश के सबसे अधिक परिचालित समाचार पत्र बन गए हैं.

Source: www.google.co.in

हम सभी जानते हैं कि न्यूज पेपर सरकार और प्रशासक योजनाओं और नीतियों पर एक महत्वपूर्ण जांच के रूप में कार्य करता है. अगर समाज में कोई  दुर्घटना घटती है तो उसको लोगों तक पहुचाता है. वे तानाशाही, भ्रष्टाचार और दुराचारण के खिलाफ आवाज उठाता हैं. यहाँ तक की देश में क्या हो रहा है की जानकारी भी हमें देता है. किसी राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता को मजबूत करने में अखबार महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह हमें लोगों की समस्याओं से भी अवगत कराता है.

प्रेस सूचना ब्यूरो प्रेस को सरकार की नीतियों, कार्यक्रमों और गतिविधियों पर जानकारी देता है. यह लोगों से प्रतिक्रिया भी प्राप्त करता है. क्या आप जानते हैं कि भारत में चार प्रमुख समाचार एजेंसियां हैं, जिनके नाम क्रमशः प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया, यूनाइटेड न्यूज़ ऑफ इंडिया, समाचार भारती और हिंदुस्तान समाचार है. इसके अलावा, समाचार पत्र अंग्रेजी, हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में प्रकाशित किए जाते हैं. प्रिंट मीडिया के लिए आवश्यक है कि वह समाचारपत्र की शक्ति और पहुंच के महत्व को समझें. अतः, उन्हें पूरे समाज का सही चित्रण करना चाहिए.



 

क्या आप भारत में न्यूज पेपर के इतिहास के बारे में जानते हैं . कैसे और कब न्यूज पेपर भारत में आया. किसने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई आदि. 

India-newspapers-publication

Source: www.google.co.in

न्यूज पेपर या अख़बार को मौजूदा जानकारी देने के एक मुद्रित साधन के रूप में परिभाषित किया जा सकता है. इसका मूल कार्य सूचना, शिक्षा और मनोरंजन प्रदान करना है. यह समाज में “प्रहरी” की भूमिका निभाता है. आज भारत में न्यूज पेपर हमारे समाज की गर्व संस्था है. अनुनय के एक वाहन के रूप में काम करते समय, इसका मूल कार्य सूचना-शिक्षा. यह समाज में ‘वाच डॉग’ की भूमिका निभाता है.

ब्रिटिश प्रशासन के तहत पहला भारतीय न्यूज पेपर 

- भारत का पहला न्यूज पेपर 'द बंगाल गैजेट' 29 जनवरी 1780 को जेम्स अगस्टस हिक्की द्वारा प्रकाशित किया गया था. इसे 'कलकत्ता जनरल एडवरटाइजर' भी कहा जाता था और लोग इसे 'हिक्की गेज़ेट ' के रूप में याद रखते थे.

भारतीय प्रेस का विकास

First-newspaper-in-India

Source: www.slate.com 

- मेसियर बी मेस्नैक और पीटर रीड ने नवंबर 1780 में ‘इंडियन गेज़ेट’ को प्रकाशित किया था.

अब ईस्ट इंडिया प्रशासन के अंतर्गत न्यूज पेपर / साप्ताहिक पत्रिकाओं पर नज़र डालते हैं :

1784 - कलकत्ता गेज़ेट

1785- बंगाल जर्नल

1785 - अंग्रेजी भाषा में मद्रास में रिचर्ड जॉनसन द्वारा प्रकाशित 'मद्रास कूरियर'

Madras-Courier

Source: www.4.bp.blogspot.com

1789 - बॉम्बे हेराल्ड (बॉम्बे में प्रकाशित पहला समाचार पत्र)

1790 - बॉम्बे कूरियर

1791 - बॉम्बे गेज़ेट

1795- आर विलियम का 'मद्रास गैजेट'

1796 - हम्फ्री के द्वारा ‘इंडियन हेराल्ड'

1799 - ईस्ट इंडिया प्रशासन के द्वारा पारित विनियमन 

इस अवधि को सख्त सरकारी नियंत्रण और सेंसरशिप के लिए जाना जाता था. अगर कोई अख़बार सरकार के खिलाफ कोई खबर छापता था तो उसके प्रकाशक को सख्त सजा दी जाती थी.

जानें विश्व की सबसे छोटी भाषा कौन सी है

इसलिए, 18वीं सदी के अंत और 19वीं सदी की शुरूआत में, कोई प्रतिष्ठित पत्रकार या समाचार पत्र का उदय नहीं हुआ. फिर 1811 में कलकत्ता के कुछ व्यापारियों ने 'कलकत्ता क्रॉनिकल' नामक समाचार पत्र शुरू किया और इसके संपादक जेम्स सिल्क बकिंघम थे. भारत में इस समय को न्यूज़ पेपर का स्वर्ण युग कहा गया है. जेम्स बकिंघम ने भारत में पत्रकारिता को लेकर एक नया दृष्टिकोण पेश किया. उन्होंने स्पष्ट पत्रकारिता प्रथाओं की शुरुआत की और स्थानीय लोगों और उनके जीवन की समस्याओं को शामिल किया. यहां तक कि उन्होंने ‘सती प्रथा’ के खिलाफ भी आंदोलन शुरू किया था.

Indian-press

भारतीय प्रशासन के अंतर्गत न्यूज पेपर या पत्रिकाएं

1822 - राजा राम मोहन रॉय ने एक बंगाली अख़बार 'संवाद कौमुदी' की शुरूआत की थी.

Bombay-Smachar

Source: www.4.bp.blogspot.com

1822 - राजा राम मोहन रॉय द्वारा एक फ़ारसी अख़बार 'मिराट-उल-अकबर' की भी शुरूआत की गई थी.

1822 - फरदोंजी मुर्ज़बान द्वारा 'बॉम्बे समाचार' की शुरूआत की गई थी.

इसी समय बंगाल में चंद्रिका समाचार की शुरुआत भी हुई थी.

1826 - पहला हिंदी अखबार “ओदंत मार्तंड” को बंगाल से प्रकाशित किया गया था.

यह वह समय था, जब बंगाली, गुजराती, मराठी, उर्दू और फारसी भाषा में अल्पकालिक समाचार पत्रों का शुभारंभ हुआ था. 

• 3 November, 1838 - टाइम्स ऑफ इंडिया का पूर्ववर्ती, बॉम्बे टाइम्स का पहला संस्करण प्रकाशित किया गया था.

जानें किसी भ्रामक विज्ञापन के विरुद्ध आप कैसे शिकायत कर सकते हैं

1857 को भारत में पत्रकारिता के उत्थान के साल के रूप में जाना जाता है.

- 1857 में भारतीय और ब्रिटिशों के स्वामित्व वाले अखबारों को विभाजित कर दिया गया और सरकार ने 1876 में वर्नाकुलर प्रेस एक्ट पास किया था.

1861-‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ का पहला संस्करण रॉबर्ट नाइट द्वारा प्रकाशित किया गया था.

timesofindia

Source: www.penrose.whitman.edu

1868 - दो भाइयों, शिशिर कुमार घोष और मोती लाल घोष द्वारा ‘अमृत बाजार पत्रिका’ की शुरूआत की गई थी.

1875 - बंगाल में ‘भारतीय स्टेटसमैन’ (बाद में, स्टेटसमैन) नामक समाचारपत्र का शुभारंभ किया गया था.

यह वही समय था जब सामाजिक सुधारकों और राजनीतिक नेताओं ने पत्रकारिता के क्षेत्र में अपना योगदान देना शुरू कर दिया था, जिनमें सी. वाई. चिंतामणी, एन. सी. केल्कर, फिरोजशाह मेहता आदि प्रमुख थे.

1878 - अंग्रेजी भाषा में “द हिन्दू” की शुरूआत की गई थी, जिसका वितरण मुख्य रूप से तमिलनाडु और केरल में होता था.

1878 - वर्नाकुलर प्रेस एक्ट 

1881 - लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक द्वारा मराठी में केसरी नामक समाचारपत्र और अंग्रेजी में “मराठा” नामक समाचारपत्र की शुरूआत की गई थी.

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आजादी के बाद भारत की 10 महत्वपूर्ण उपलब्धियां

1919 - महात्मा गांधी द्वारा यंग इंडिया और नवजीवन नामक दो साप्ताहिक समाचारपत्र की शुरूआत की गई थी. 

1933 - महात्मा गांधी द्वारा “हरिजन” नामक तीसरी साप्ताहिक पत्रिका की शुरूआत की गई थी.

1938 - जवाहरलाल नेहरू द्वारा नेशनल हेराल्ड नामक समाचारपत्र की शुरूआत की गई थी. 

1927 में, उद्योगपति जी. डी. बिड़ला ने हिंदुस्तान टाइम्स और उसी वर्ष एस सदानंद ने मुम्बई में गरीबों और मध्य वर्ग के लिए “फ्री प्रेस जर्नल” की शुरूआत की थी.

1931 - भारतीय प्रेस अधिनियम आया था. 

freedom-of-the-press

Source: www. neilvandokkum.files.wordpress.com

आजादी के बाद समाचार पत्रों में कई बदलाव हुए. यहां तक कि पत्रकारों की कार्यशैली भी बदल गई थी. अधिकांश अख़बार भारतीय संपादकों के हाथों में आ गए थे. समाचार एजेंसी सेवाएं नियमित रूप से भारत के प्रेस ट्रस्ट के साथ उपलब्ध हुईं जिसकी शुरूआत 1946 में हुई थी. इससे पहले लोग एक मिशन के लिए काम कर रहे थे लेकिन आजादी के बाद अखबारों में एक पेशेवर दृष्टिकोण दिखाई देने लगा था. इससे लोगों को रोज़गार मिला, जिसके कारण अखबार एजेंसीयां लाभोन्मुख बन गई और तो और विभिन्न तकनीकी बदलाव हुए.

1951 - प्रेस आक्षेपण विषय-वस्तु अधिनियम आया (The Press Objectionable Matter Act came)

1956 - अख़बार मूल्य और पृष्ठ अधिनियम आया (The Newspaper Price and Page Act)

यह भारतीय समाचार पत्रों के खिलाफ दमनकारी उपायों की गवाही देता है.1970 के दशकों तक अख़बारों ने एक उद्योग का दर्जा हासिल कर लिया था.वास्तव में भारतीय अखबार उद्योग दुनिया में सबसे बड़ा है. हालांकि, 1975-77 के दरम्यान इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के समय में दमनकारी नीति अपने चरम पर थी. लेकिन बाद में प्रेस की स्थिति बदली और वह अपने चरम पर पहुंच गई.

समाचारपत्र का वर्तमान परिदृश्य और भविष्य

जैसे-जैसे टीवी, न्यू मीडिया, इंटरनेट उभर रहें है, ऐसा माना जा रहा है कि नवीनतम समाचार प्रदान करने के मामले में समाचार पत्र अप्रासंगिक हो रहा  हैं. लेकिन अब भारत में और पुरे संसार में कुछ हद तक कई समाचार पत्रों ने समाचारों का विश्लेषण भी शुरू कर दिया है.

टाइम्स ऑफ इंडिया, द हिन्दू, हिंदुस्तान टाइम्स, द स्टेट्समैन, इकोनॉमिक टाइम्स, द ट्रिब्यून, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर आदि जैसे दैनिक समाचार पत्र देश के सबसे अधिक परिचालित समाचार पत्र बन गए हैं.

india-newspapers

Source: www.google.co.in

हम सभी जानते हैं कि न्यूज पेपर सरकार और प्रशासक योजनाओं और नीतियों पर एक महत्वपूर्ण जांच के रूप में कार्य करता है. अगर समाज में कोई  दुर्घटना घटती है तो उसको लोगों तक पहुचाता है. वे तानाशाही, भ्रष्टाचार और दुराचारण के खिलाफ आवाज उठाता हैं. यहाँ तक की देश में क्या हो रहा है की जानकारी भी हमें देता है. किसी राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता को मजबूत करने में अखबार महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह हमें लोगों की समस्याओं से भी अवगत कराता है.

प्रेस सूचना ब्यूरो प्रेस को सरकार की नीतियों, कार्यक्रमों और गतिविधियों पर जानकारी देता है. यह लोगों से प्रतिक्रिया भी प्राप्त करता है. क्या आप जानते हैं कि भारत में चार प्रमुख समाचार एजेंसियां हैं, जिनके नाम क्रमशः प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया, यूनाइटेड न्यूज़ ऑफ इंडिया, समाचार भारती और हिंदुस्तान समाचार है. इसके अलावा, समाचार पत्र अंग्रेजी, हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में प्रकाशित किए जाते हैं. प्रिंट मीडिया के लिए आवश्यक है कि वह समाचारपत्र की शक्ति और पहुंच के महत्व को समझें. अतः, उन्हें पूरे समाज का सही चित्रण करना चाहिए.

Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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