क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की समस्याओं में से कुछ निम्नलिखित हैं:
1. संगठनात्मक समस्याएं
प्रत्येक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के प्रमुख प्रायोजक वाणिज्यिक बैंक होते हैं. इसकी पूंजी में प्रमुख भूमिका केन्द्र सरकार और संबंधित राज्य सरकार निभाते हैं. अतः क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की नियंत्रक एजेंसीयां कई होती हैं. और यही कारण है की इनके प्रबंधन में एकरूपता नहीं दिखाई देता है.
साथ ही इसी वजह से प्रायोजक बैंकों एवं राज्य सरकारों से समर्थन के अभाव और उनके समुचित निगरानी की कमी देखी गयी है. परिणामस्वरूप क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के आंतरिक संचालन की अवधारणा में नकारात्मक सन्दर्भों का विकास हुआ है और ग्राहकों की संख्या कम हुई है. यानी, स्पष्ट लक्ष्य समूहों का सीमित विकास हुआ है. इसके अलावा प्रारंभिक समय से ही क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के संस्थानों के भीतर उचित प्रक्रियाओं और प्रणालियों के क्रियान्वयन में कमी देखि गयी है. इसके अलावा, भर्ती प्रक्रिया के सन्दर्भ में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के कर्मचारियों के प्रशिक्षण के लिए भी पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया है.
2. वसूली की समस्याएं
कई सालों से यह देखा गया है कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के पुनरुद्धार की स्थिति में कमी देखि गयी है. था और उनके पुनरुद्धार का स्तर 51% से 61% के बीच रहा है.
3. गैर व्यवहार्यता जिसके परिणामस्वरूप बढ़ता हुआ घाटा
4. प्रबंधन की समस्याएं
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में जिला स्तर पर सबसे छोटे संस्थान होते हैं. इनके संचालन में प्रायोजक बैंक केवल मध्यस्थ की भूमिका निभाते हैं. उन्हें चलाने के लिए प्रबंधन कर्मचारियों की नियुक्ति भी मध्य स्तर पर की गयी है. यह मध्य स्तर नए माहौल में स्वतंत्र निर्णय लेने की प्रक्रिया में जटिलता का अनुभव करता है.
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