राष्ट्रीय एकता दिवस 2025: वल्लभभाई पटेल को क्यों मिली थी सरदार व लौहपुरुष की उपाधि, जानें यहां

Oct 31, 2025, 11:54 IST

Rashtriya Ekta Diwas 2025: हर साल 31 अक्टूबर को देश में राष्ट्रीय एकता दिवस का आयोजन किया जाता है। यह दिन सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि वल्लभभाई पटेल को सरदार की उपाधि कब और क्यों मिली थी। क्या थी वह घटना, जानने के लिए यह लेख पढ़ें। 

सरदार वल्लभभाई पटेल
सरदार वल्लभभाई पटेल

भारत में हर साल 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस का आयोजन किया जाता है। यह दिन भारत के प्रथम उप प्रधानमंत्री व गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। भारत सरकार की ओर से साल 2014 में राष्ट्रीय एकता दिवस की घोषणा की गई थी, जो कि भारत की एकता व अखंडता के प्रति देशवासियों की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। इस दिन देशभर में विभिन्न स्तर पर एकता रैलियों का भी आयोजन किया जाता है। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि वल्लभभाई पटेल को सरदार क्यों कहा जाता है। क्या थी वह घटना, जानने के लिए यह लेख पढ़ें। 

क्या होता है सरदार का अर्थ 

सबसे पहले हम सरदार का अर्थ जान लेते हैं। यहां वल्लभभाई पटेल के लिए सरदार का अर्थ नेता या मुखिया से है। यह सम्मानजनक शब्द के रूप में वल्लभभाई पटेल को दी गई उपाधि थी, जो कि बाद में देशभर में प्रचलित हुई और सदा के लिए उनके नाम के आगे जुड़ गई।  

क्यों दी गई थी सरदार की उपाधि

सरदार वल्लभभाई पटेल को सरदार की उपाधि गुजरात की एक घटना के दौरान मिली थी। दरअसल, साल 1928 में ब्रिटिश हुकूमत ने गुजरात के बारडोली में किसानों पर अनुचित रूप से 30 फीसदी लगान लगा दिया था। ऐसे में यहां बारडोली सत्याग्रह हुआ, जिसमें महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इस सत्याग्रह का नेतृत्व वल्लभभाई पटेल द्वारा किया जा रहा था, जिन्होंने अहिंसक तरीके से इस विरोध का नेतृत्व किया था।

यही वजह रही कि उन्होंने अपनी कुशलता और अडिग निर्णय की वजह से ब्रिटिश हुकूमत को भी अधिक कर लगाने का निर्णय वापस करने के लिए मजबूर कर दिया। ऐसे में यह सत्याग्रह सफल हुआ और यहां महिलाओं ने वल्लभभाई पटेल की कुशलता को देखते हुए उन्हें सरदार कहकर पुकारा। बाद में पूरे देश में वह इस नाम से प्रसिद्ध हो गए।

कैसे बने लौह पुरुष

सरदार वल्लभभाई पटेल को लौह पुरुष भी कहा जाता है। दरअसल, यह उनकी राजनीतिक इच्छाशक्ति, दृढ़ संकल्प और भारत को एक सूत्र में पिरोने के लिए कहा जाता है। भारत की आजादी के समय में देश में 562 रियासतें हुआ करती थीं। इन रियासतों का भारत में विलय करना बहुत जरूरी थी, लेकिन यह काम आसान नहीं था।

पटेल ने रियासतों के राजा-महाराजाओं से बातचीत कर अपनी सूच-बूझ का परिचय दिया और कुछ जगहों पर सख्ती भी दिखाई, जिसके बाद भारत की अलग-अलग रियासत भारतीय संघ में शामिल हो गई। ऐसे में उनके अटूट संकल्प और इच्छाशक्ति को देखते हुए उन्हें लौह पुरुष जैसी उपाधि से भी सम्मानित किया गया।

पढ़ेंः किस देश को कहा जाता है ‘नहरों का देश’, जानें नाम

 

Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

A seasoned journalist with over 7 years of extensive experience across both print and digital media, skilled in crafting engaging and informative multimedia content for diverse audiences. His expertise lies in transforming complex ideas into clear, compelling narratives that resonate with readers across various platforms. At Jagran Josh, Kishan works as a Senior Content Writer (Multimedia Producer) in the GK section. He can be reached at Kishan.kumar@jagrannewmedia.com
... Read More

आप जागरण जोश पर भारत, विश्व समाचार, खेल के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए समसामयिक सामान्य ज्ञान, सूची, जीके हिंदी और क्विज प्राप्त कर सकते है. आप यहां से कर्रेंट अफेयर्स ऐप डाउनलोड करें.

Trending

Latest Education News