भारत का इतिहास बहुत व्यापक है जो कई राजवंशों के उत्थान और पतन का गवाह रहा है| प्राचीन काल में भारत पर कई राजवंशों ने शासन किया था जिनमें प्रमुख राजवंश महाजनपद, नंद राजवंश, मौर्य राजवंश, पांड्य राजवंश, चेर राजवंश, चोल राजवंश, पल्लव राजवंश, चालुक्य राजवंश आदि थे जिन्होंने लम्बे समय तक भारत की धरती पर शासन किया था| यहाँ हम "प्राचीन भारतीय राजवंश और उनके योगदान” का संक्षिप्त विवरण दे रहे हैं जो UPSC, SSC, State Services, NDA, CDS और Railways जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए बहुत ही उपयोगी है|
महाजनपद (600– 325 ई.पू.)
महाजनपद का शाब्दिक अर्थ “महान राज्य” है| प्राचीन भारत में इस प्रकार के सोलह राज्य या कुलीन गणराज्य थे|
महाजनपद | भौगोलिक क्षेत्र और राजधानी |
अंग |
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अस्सक या अस्मक |
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अवन्ति |
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चेदि |
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गांधार |
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काशी |
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कम्बोज |
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कोसल |
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कुरू |
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मगध |
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मल्ल |
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मच्छ या मत्स्य |
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पांचाल |
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शूरसेन |
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वज्जि |
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वत्स या वम्स |
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हर्यक राजवंश (544 - 492 ई.पू.)
शासक | योगदान और उपलब्धियां |
बिम्बिसार |
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अजातशत्रु |
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उदायिन |
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शिशुनाग राजवंश
1. इस राजवंश का संस्थापक शिशुनाग था जो हर्यक वंश के शासक नागदशक का मंत्री था|
2. इस राजवंश की सबसे बड़ी उपलब्धि अवन्ति का विनाश था।
3. इस राजवंश के शासक कालाशोक (काकवर्ण) के शासनकाल में 383 ई.पू. में द्वितीय बौद्ध संगीति का आयोजन वैशाली में किया गया था|
नंद राजवंश
1. शिशुनाग वंश को समाप्त कर इस राजवंश की स्थापना महापद्म ने की थी| महापद्म को “सर्वक्षत्रान्तक” अर्थात सभी क्षत्रियों का नाश करने वाला और “उग्रसेन” अर्थात विशाल सेना का मालिक कहा जाता था|
2. महापद्म को "भारतीय इतिहास का पहला साम्राज्य निर्माता" के रूप में वर्णित किया गया था। पुराणों में उसे “एकराट” कहा गया है जिसका अर्थ एकमात्र सम्राट होता है।
3. धनानंद के शासनकाल के दौरान 326 ईसा पूर्व में उत्तर-पश्चिम भारत में सिकंदर ने आक्रमण किया था|
शासक | योगदान और उपलब्धियां |
चन्द्रगुप्त मौर्य |
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बिन्दुसार |
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अशोक |
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इंडो-ग्रीक राजवंश
1. इंडो-ग्रीक शासकों में सबसे प्रसिद्ध शासक “मिनान्डर” (165-145 ई.पू.) था जिसे “मिलिन्द” के नाम से भी जाना जाता है|
2. पाली ग्रन्थ “मिलिन्दपन्हो” के अनुसार मिलिन्द ने “नागसेन” की सलाह पर बौद्ध धर्म को स्वीकार किया था|
3. भारत में सर्वप्रथम सोने के सिक्के ग्रीक शासकों ने जारी किया था|
4. ग्रीक शासकों ने भारत में यूनानी कला की शुरूआत की थी|
शक राजवंश
1. इस राजवंश के शासक “रूद्रदामन I” (130-150 ईस्वी) ने काठियावाड़ क्षेत्र में स्थित “सुदर्शन झील” का जीर्णोद्धार करवाया था|
2. शक शासकों ने सर्वप्रथम संस्कृत भाषा में अभिलेख (जूनागढ़ अभिलेख) जारी किये थे|
कुषाण राजवंश
1. इन्हें “येची” या “तोचारियन” भी कहा जाता है और ये लोग “स्टेपी घास के मैदानों” में रहनेवाले खानाबदोश लोग थे|
2. कुषाण राजवंश का सबसे महान राजा “कनिष्क” था जिसने 78 ईस्वी में “शक संवत” की शुरूआत की थी|
3. कनिष्क के दरबार में पार्श्व, वसुमित्र, अश्वघोष, नागार्जुन, चरक (चिकित्सक) और माथर जैसे विद्वानों को संरक्षण प्राप्त था|
शुंग राजवंश
1. इस राजवंश की स्थापना मौर्यवंश के अंतिम शासक के ब्राह्मण सेनापति “पुष्यमित्र शुंग” ने की थी|
2. “महाभाष्य” के लेखक ‘पतंजलि’ का जन्म मध्य भारत में “गोनार्दा” नामक स्थान पर हुआ था| पुष्यमित्र शुंग द्वारा किए गए 2 यज्ञों के पुरोहित पतंजलि थे|
3. भरहुत स्तूप शुंग कालीन सबसे प्रसिद्ध स्मारक है|
4. शुंग कालीन कला: भज (पुणे) का विहार, चैत्य और स्तूप, अमरावती का स्तूप और नासिक का चैत्य|
कण्व राजवंश
1. इस राजवंश की स्थापना शुंग राजवंश के मंत्री “वासुदेव” ने शुंग राजवंश के अंतिम शासक “देवभूति” की हत्या करके की थी|
सातवाहन राजवंश
1. इस राजवंश की स्थापना “सिमूक” (60-37 ई.पू.) ने की थी|
2. सातवाहन राजवंश के शासनकाल में उत्तर-पश्चिमी दक्कन या महाराष्ट्र में चट्टानों को काटकर कई चैत्यों (पूजाघर) और विहारों (मठों) का निर्माण किया गया था जिनमें नासिक, कन्हेरी और कार्ले के चैत्य और विहार प्रसिद्ध हैं|
पांड्य राजवंश
1. इस राजवंश का वर्णन सर्वप्रथम “मेगास्थनीज” ने किया था|
2. पांड्य राजवंश के शासनकाल में रोम से व्यापार होता था| पांड्य शासको ने “अगस्तस” के दरबार में अपने राजदूत भेजे थे|
चोल राजवंश
1. इसे “चोलमंडलम” भी कहा जाता है जो “पांड्य” साम्राज्य के उत्तर-पूर्व में “पेन्नार” और “वेल्लार” नदी के बीच स्थित था|
2. इसकी राजधानी “कावेरीपट्टनम” या “पुहार” थी|
चेर राजवंश
1. इस राजवंश की राजधानी “वन्जी” थी जिसे अब केरल कहा जाता है|
2. इस राजवंश के शासनकाल में रोम से व्यापार होता था|
संगम युग
1. यह युग मोर्योत्तर काल एवं पूर्व-गुप्तकाल के समकालीन था|
2. संगम तमिल कवियों की एक कॉलेज या शाही संरक्षण के तहत आयोजित होने वाली एक सभा थी|
3. “तिरूवल्लुवर” ने “कुरल” नामक ग्रन्थ लिखा था जिसे 'पंचम वेद' या 'तमिल भूमि की बाइबल' कहा जाता है|
तीन संगमों का आयोजनस्थल:
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गुप्त राजवंश
शासक | योगदान और उपलब्धियां |
चन्द्रगुप्त I (319-334 ईस्वी) |
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समुद्रगुप्त (335-380 ईस्वी) |
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चन्द्रगुप्त II (380-414 ईस्वी) |
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कुमारगुप्त I (415-455 ईस्वी) |
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स्कंदगुप्त (455-467 ईस्वी) |
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पुष्यभूति राजवंश
1. इस राजवंश का सबसे महान शासक “हर्षवर्धन” था जिसने “कन्नौज” को अपनी राजधानी बनाया था|
2. हर्षवर्धन के शासनकाल में “ह्वेनसांग” भारत आया था|
3. हर्षवर्धन ने “नालन्दा” में एक विशाल मठ की स्थापना करवाई थी|
4. हर्षवर्धन के दरबारी कवि “बाणभट्ट” ने “प्रियदर्शिका”, “रत्नावली” और “नागानन्द” नामक पुस्तकों की रचना की थी|
राष्ट्रकूट राजवंश
1. इस राजवंश की स्थापना “दन्तिदुर्ग” ने की थी|
2. इस वंश के शासक “कृष्ण I” ने एलोरा में स्थित “कैलाश मंदिर” का निर्माण करवाया था|
3. इस वंश के शासक “अमोघवर्ष” ने पहली कन्नड़ कविता “कविराजमार्ग” लिखी थी|
4. एलिफेंटा के “गुहा मंदिरों” (शिव को समर्पित) के निर्माण का श्रेय “राष्ट्रकूटों” को जाता है|
गंग राजवंश
1. इस वंश के शासक “नरसिंहदेव” ने कोणार्क में स्थित “सूर्य मंदिर” का निर्माण करवाया था|
2. इस वंश के शासक “अनन्तवर्मन” ने पुरी में स्थित “जगन्नाथ मंदिर” का निर्माण करवाया था|
3. इस वंश के शासक “केसरी” ने भुवनेश्वर में स्थित “लिंगराज मंदिर” का निर्माण करवाया था|
पल्लव राजवंश
1. इस राजवंश का संस्थापक “सिंहविष्णु” था|
2. इस राजवंश का सबसे महान शासक “नरसिंहवर्मन” था जिसने “मामल्ल्पुरम” (वर्तमान “महाबलीपुरम”) नामक शहर की स्थापना की थी एवं चट्टानों को काटकर रथों एवं मंदिरों का निर्माण करवाया था|
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