सूचकांकों के प्रकार

पूरी दुनिया के लोगों के आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक विकास को मापने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा विभिन्न प्रकार के सूचकांकों का निर्माण किया गया है। इन सूचकांकों में लैंगिक असमानता सूचकांक, मानव विकास सूचकांक, बहुआयामी गरीबी सूचकांक और प्रौद्योगिकी उपलब्धि सूचकांक शामिल हैं।

Jun 10, 2016, 17:19 IST

पूरी दुनिया के लोगों के आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक विकास को मापने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा विभिन्न प्रकार के सूचकांकों का निर्माण किया गया है। इन सूचकांकों में लैंगिक असमानता सूचकांक, मानव विकास सूचकांक, बहुआयामी गरीबी सूचकांक और प्रौद्योगिकी उपलब्धि सूचकांक शामिल हैं।

लैंगिक असमानता सूचकांक (GII) एक नया सूचकांक है जिसकी शुरूआत लिंग असमानता की माप के लिए 2010 में मानव विकास रिपोर्ट की 20वीं वर्षगांठ संस्करण के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा की गयी थी। UNDP के अनुसार, यह सूचकांक उन सभी की तत्वों की गणना करता है जिनकी वजह से देश की छवि को नुकसान पहुंचता हैंI इसकी  गणना करने के लिए तीन आयामों का उपयोग किया जाता है:  (I) प्रजनन स्वास्थ्य, (ii) अधिकारिता, और (iii) श्रम बाजार भागीदारी। पिछली कमियों को दूर करने के लिए नए सूचकांक को एक प्रयोगात्मक रूप में पेश किया गया हैI ये सूचकांक हैं,लिंग विकास सूचकांक (जीडीआई) और लिंग सशक्तिकरण उपाय (जीईएम), दोनों की शुरूआत 1995 की मानव विकास रिपोर्ट में की गई।

  • प्रजनन स्वास्थ्य के जीआईआई के दो संकेतक हैं (i) मातृत्व मृत्यु दर (MMR) और (ii) किशोर प्रजनन दर (AFR)
  • सशक्तिकरण आयाम को दो संकेतकों द्वारा मापा जाता है: (I) प्रत्येक लिंग (सेक्स) के लिए आरक्षित की गई संसदीय सीटों का हिस्सा और (ii) उच्च शिक्षा प्राप्ति का स्तर। 
  • श्रम बाजार आयाम की गणना कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी से की जाती है। इस आयाम में कार्य भुगतान, अवैतनिक काम और सक्रिय रूप से कार्य की तलाश शामिल है। मानव विकास रिपोर्ट 2011 के अनुसार लैंगिक असमानता सूचकांक में भारत बांग्लादेश और पाकिस्तान से भी नीचे है, 146 देशों की सूची में भारत का रैंक 129th है, जबकि बांग्लादेश का 112nd   और पाकिस्तान का 115th  स्थान हैं।
  • ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) देशों में स्थिति देखी जाए तो भारत में मानव विकास में सर्वाधिक असमानताएं हैं I

बहुआयामी गरीबी सूचकांक (Multidimensional Poverty Index)

बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) को 2010 में ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनिशिएटिव तथा संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा विकसित किया गया था। यह आय-आधारित सूचियों से परे गरीबी का निर्धारण करने के लिए विभिन्न कारकों का उपयोग करता था। इसने पुराने मानव गरीबी सूचकांक का स्थान लिया है।

एमपीआई एक तीव्र बहुआयामी गरीबी की सूची है। यह प्रर्दर्शित करती है कि लोग कई मुद्दों पर गरीब हैंI यह लोगों के लिए बहुत ही मामूली सेवाओं और महत्वपूर्ण मानव कामकाज के अभाव को दर्शाता है।

मानव विकास सूचकांक की गणना करने के लिए इस तीन मापदंडों का प्रयोग किया जाता है: (I) जीवन प्रत्याशा (ii) शिक्षा, और (iii) रहने का जीवन स्तर (Standard of Living)। इस सूचकांक की गणना 10 संकेतकों द्वारा की जाती है।

आयाम(Dimensions)

संकेतक (indicator)

स्वास्थ्य

  • बाल मृत्यु दर
  • पोषण

शिक्षा

  • स्कूल के वर्ष
  • बच्चे नामांकित

जीवन स्तर

  • रसोई गैस
  • शौचालय
  • पानी
  • बिजली
  • फ्लोर
  • संपत्ति

तकनीकी उपलब्धि सूचकांक (Technological Achievement Index (TAI)

प्रौद्योगिकी उपलब्धि सूचकांक (टीएआई) का प्रयोग यूएनडीपी (संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम) द्वारा देश के तकनीकी उन्नति और प्रसार को मापने तथा एक मानव कौशल के आधार का निर्माण, नेटवर्क युग की प्रौद्योगिकीय नवाचारों में भाग लेने की क्षमता को दर्शाता है। टीएआई तकनीकी क्षमता के चार आयामों पर केंद्रित है: (I) प्रौद्योगिकी का निर्माण, (ii) हाल ही में नवाचारों के प्रसार, (iii) पुराने नवाचारों का प्रसार, और (iv) मानव कौशल।

प्रौद्योगिकी सृजन: प्रति व्यक्ति निवासियों के लिए दिए गए पेटेंट की संख्या और विदेशों से प्रति व्यक्ति रॉयल्टी तथा लाइसेंस फीस की प्राप्तियों द्वारा मापा जाता है।

नये नवाचारों का प्रसार: प्रति व्यक्ति इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या और निर्यात के कुल माल में उच्च प्रौद्योगिकी और मध्यम प्रौद्योगिकी निर्यात की हिस्सेदारी से मापा जाता है।

पुराने नवाचारों का प्रसार: प्रति व्यक्ति टेलीफोन (मुख्य लाइन और सेलुलर) और प्रति व्यक्ति बिजली की खपत द्वारा मापा जाता है।

मानव कौशल: 15 वर्ष तक की आयु वर्ग कितनी आवादी स्कूल जाने वालों की है

की स्कूली आबादी और पुराने तथा सकल तृतीयक विज्ञान नामांकन अनुपात द्वारा मापा जाता है।

मानव विकास सूचकांक (HDI):-

मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) जीवन प्रत्याशा, शिक्षा, और जीवन स्तर का समग्र आंकड़ा है जो मानव विकास के चार स्तरों में देशों के रैंक का सूचकांक प्रदर्शित करता है। इसकी स्थापना सबसे पहले पाकिस्तानी अर्थशास्त्री महबूब-उल-हक और इसके बाद अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन द्वारा (1995) में की गई थी जिसे संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा प्रकाशित किया गया था।

2010 की मानव विकास रिपोर्ट में यूएनडीपी ने मानव विकास सूचकांक की गणना करने के लिए एक नई विधि का उपयोग शुरू किया। इसमें निम्नलिखित तीन सूचकांकों का प्रयोग किया जा रहा है:

1. जीवन प्रत्याशा सूचकांक

2. शिक्षा सूचकांक: इसमें शामिल हैं

  • विद्यालय में बिताये औसत वर्ष
  • विद्यालय में बिताये अनुमानित औसत वर्ष

3. आय सूचकांक (जीवन स्तर)

2015 का मानव विकास सूचकांक सूचकांक इस प्रकार है:

Image Source:clatbook.com

Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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