1605 ईस्वी में अकबर की मृत्यु के बाद सलीम, नुरुद्दीन जहांगीर के नाम से सिंहासन पर बैठ गया. अपने पिता अकबर के विपरीत, वह अकर्मण्य और अत्यधिक कृपालु शासक था. उसने अकबर के अत्यंत करीबी अबुल फजल की हत्या करवाने में उसका हाथ था. वह 37 साल की उम्र में सिंहासन पर बैठा था. वह अपनी अत्यंत सुन्दर और प्रतिभाशाली पत्नी नूरजहाँ के प्रभाव में बुरी आदतों पर नियंत्रण करने में सक्षम था.
सलीम का जन्म
राजकुमार सलीम का जन्म पवित्र संत सलीम चिश्ती के आशीर्वाद के परिणामस्वरूप हुआ था. सलीम चिश्ती अजमेर के ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के वंशजों में से एक थे. अकबर ने उनके प्रति सम्मान को व्यक्त करते हुए अपने पुत्र का को सलीम नाम दिया था.
जहांगीर के शासन की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
• जहांगीर ने मुहम्मद के विश्वास को बनाये रखने के लिए (सिक्के) पर हिजरा कालक्रम की शुरुवात में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
• हालांकि, वह हिंदुओं के प्रति सहिष्णुता व्यक्त करता था. उसने राजपूत राजकुमारियों से विवाह करने की अपने पिता की वैवाहिक नीति एवं परंपरा को जारी रखा.
न्याय की घंटी
वह अपने आप को बस एक राजा मानता था. अपने राज्य के सभी नागरिकों को न्याय देने के लिए उसने अपने आगरा के महल के दरवाजे पर एक घंटी और चेन को लटकवाया था ताकि फरियादी व्यक्ति को न्याय मिल सके और उसे बिना किसी परेशानी के सम्राट तक अपनी सूचना को पहुंचाने में सफलता मिल सके.
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