केद्र की सरकार एक कल्याणकारी सरकार होती है इसी कारण इसे उन योजनाओं को भी लागू करना पड़ता है जो कि सरकार को कोई भी वित्तीय लाभ नहीं देतीं हैं. इन सब कल्याणकारी योजनाओं और आधारभूत संरचना के विकास के लिए सरकार को विदेशों से लोन लेना पड़ता है.
दिसम्बर 2018 के अंत तक भारत सरकार के ऊपर कुल विदेशी कर्ज 516.4 बिलियन अमरीकी डॉलर था जो कि मार्च 2016 के अंत में 485.6 बिलियन अमरीकी डॉलर का विदेशी कर्ज था.
इस लेख में हम इस बात की व्याख्या कर रहे हैं कि भारत के ऊपर किस प्रकार का विदेशी ऋण है और वर्ष 2016 तक हर भारतीय के ऊपर कितना कर्ज है.
भारत का विदेशी ऋण स्टॉक इस प्रकार है
Image source:http://finmin.nic.in
आज से 10 साल पहले सन 2006-07 में भारत का विदेशी ऋण 172.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था जो कि 2010-11 में 317.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया और 2016 में 485.6 बिलियन अमरीकी डॉलर अर्थात भारत के सकल घरेलू उत्पाद के 23.7% तक पहुँच गया हैl इस 485.6 बिलियन अमरीकी डॉलर का 17.2% ऋण अल्पकालीन अवधि के लिए जबकि 82.8% दीर्घकालीन अवधि के लिए है l
भारत के 3 कौन से राज्य हैं जिनकी G.D.P. भारत के अन्य 26 राज्यों के बराबर है?
भारतीय ऋण की संरचना कैसी है:-
भारत के ऋण का एक बड़ा हिस्सा (कुल ऋण का 37.3%) वाणिज्यिक उधार के रूप में और 26% अनिवासी भारतीयों का जमा धन है l इसके अलावा अल्पावधि ऋण 17.2%, बहुपक्षीय ऋण 11.1% निर्यात ऋण 2.2% और IMF से लिया गया ऋण कुल ऋण का 1.2% है l
Image source:http://finmin.nic.in
भारत के ऊपर सबसे अधिक किस प्रकार का ऋण है ?
हर भारतीय के ऊपर कितना औसत कर्ज है ?
जैसा कि ऊपर बताया गया है कि भारत के ऊपर मार्च 2016 के अंत में 485.6 बिलियन अमरीकी डॉलर का विदेशी कर्ज थाl यदि अब डॉलर को 65 रुपये के हिसाब से रुपये में बदल दिया जाये तो कुल 3,15,64,910 x 10,00,00 रुपये बनते हैं . लेकिन जून 2018 के अंत तक भारत सरकार के ऊपर कुल विदेशी कर्ज 514.4 अरब डॉलर हो गया था.
माना वर्तमान में भारत की जनसंख्या 1,25,00,00,000 (125 करोड़) है
अब प्रति व्यक्ति औसत कर्ज को निकाला जा सकता है :-
3,15,64,910 x 10,00,00
1,25,00,00,000
इस प्रकार “भारत के हर व्यक्ति पर औसत कर्ज हुआ 25251 रुपये”
क्या भारत को एक नए वित्तीय वर्ष की आवश्यकता है?
भारत के प्रमुख राज्यों पर प्रति व्यक्ति कितना औसत कर्ज है
Image source:Twenty22-India on the move
1. आंध्र प्रदेश : 53050 रुपये
2. केरल : 48221 रुपये
3. गुजरात : 37924 रुपये
4. महाराष्ट्र : 33,726 रुपये
5. पश्चिम बंगाल : 33717 रुपये
6. तमिलनाडु : 32576 रुपये
7. कर्नाटक : 29435 रुपये
8. उत्तर प्रदेश : 16408 रुपये
भारत ने सबसे अधिक किस मुद्रा में उधार लिया है?
Image source:http://finmin.nic.in
नीचे दी गयी टेबल को देखने के बाद एक बात स्पष्ट हो जाती है कि भारत की कुल ऋण राशि में ‘डॉलर’ में लिया गया ऋण हमेश ही ज्यादा रहा है l सन 2010 में डॉलर में लिया गया ऋण कुल ऋण का 53.2% था जो कि 2016 तक हमेशा ही इस स्तर से ज्यादा रहा है, 2016 में यह 57.1% था l डॉलर में अधिक उधारी का कारण यह भी है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर बहुत ही आसानी से स्वीकार कर लिया जाता हैl भारत द्वारा अपनी मुद्रा “रुपये” में लिया गया कर्ज 29% हैl
इस प्रकार सारांशतः यह कहा जा सकता है कि कभी सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत के प्रत्येक नागरिक पर आज औसतन 25251 रुपये का कर्ज है और इस कर्ज के कारण भारत सरकार हर साल अपनी कुल आय का 19% ब्याज की अदायगी के रूप में खर्च कर रही है जबकि शिक्षा और स्वास्थ्य पर 6 फीसदी से भी कम खर्च होता है l अब तो इस बात की संभावना बढ़ गयी है कि अगर हालात इसी तरह चलते रहे तो भारत एक दिन “ऋण जाल” (कर्ज को चुकाने के लिए कर्ज लेने की स्थिति) में डूब जायेगा l
Comments
All Comments (0)
Join the conversation