विश्व बैंक की परिभाषा के अनुसार पूरे विश्व को तीन तरह की अर्थव्यवस्थाओं में बांटा या है: निम्न आय वर्ग वाली वे अर्थव्यवस्थाएं हैं जहाँ पर प्रति व्यक्ति औसत आय $1,025 या उससे कम होती है. निम्न-मध्यम-आय वाली अर्थव्यवस्थाएं वे हैं जिनकी प्रति व्यक्ति औसत आय $1,026 से $4,035 के बीच है, उच्च मध्य आय वर्ग वाली अर्थव्यवस्थाएं वे हैं जहाँ पर लोगों की औसत आय $4,036 से $12,475 के बीच होती है. सबसे उच्च आय वर्ग वाली वे अर्थव्यवस्थाएं हैं जिनकी आय $12,476 या इससे ज्यादा होती है. भारत की प्रति व्यक्ति आय 1500 डॉलर प्रति वर्ष है इसलिए यह निम्न-मध्यम-आय वाली अर्थव्यवस्था में गिना जाता है. इस लेख में हम यह बताने का प्रयास कर रहे हैं कि विश्व में सबसे अधिक औसत आय वाले देश कौन-कौन से हैं. नीचे दिए गए नाम देशों की रैंकिंग के हिसाब से दिए गए हैं:
विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं का आकार इस प्रकार है:
1. लक्जमबर्ग में मिलती है सबसे ज्यादा सैलरी
आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) की ग्लोबल रिपोर्ट के अनुसार पूरे विश्व में सबसे ज्यादा औसत आय कमाने वाले देशों में केवल 5.43 लाख जनसंख्या वाला यूरोपीय देश लक्जमबर्ग सिटी है. यहाँ पर एक व्यक्ति की औसत आय 61511 डॉलर है जो कि यदि 65 रुपये =1$ के हिसाब से रुपये में बदल दी जाये तो यह 40 लाख प्रति वर्ष बनती है. इस सैलरी में से 37.7 फीसदी टैक्स काट लिया जाता है. लक्जमबर्ग को पूरे यूरोप में स्टील उपलब्ध कराने के लिए जाना जाता है। इसके अलावा वो केमिकल, रबर, इंडस्ट्रियल मशीनरी और वित्तीय सेवाएं भी देता है.
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2 - संयुक्त राज्य अमेरिका
अमेरिका की दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और यह दुनिया का सबसे अमीर देश है. यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियार निर्माता और सबसे बड़े व्यापारियों में से एक है। यहाँ पर एक अमेरिकी कामगार सप्ताह में औसतन 44 घंटे काम करता है. यहाँ पर लोगों को अपनी आय पर 31.6 फीसदी टैक्स देना पड़ता है. अमेरिका में आय पर कराधान की दर कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसे देशों के समान है. विश्व में सबसे ज्यादा सैलरी देने के मामले दूसरे स्थान पर संयुक्त राज्य अमेरिका का नंबर आता है जहाँ पर लोगों की औसत सैलरी $ 57138 या 37.85 लाख रुपये प्रति वर्ष है. यहाँ पर सबसे अधिक कमाने वाले व्यक्ति और सबसे कम कमाने वाले व्यक्ति के बीच आय का अंतर विश्व में सबसे अधिक है अर्थात यहाँ पर आय असमानता पूरे विश्व में सबसे अधिक है. यहाँ पर यह बात बताना रोचक है कि यहाँ पर लोगों को हर सप्ताह सैलरी मिलती है.
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3. स्विटजरलैंड
अपनी खूबसूरती के कारण पूरी दुनिया के पर्यटकों को आकर्षित करने वाला यह देश बहुत ही ईमानदार और साफ सुथरा माना जाता है. इस देश को उच्च गुणवत्ता वाले सामानों के विनिर्माण के लिए जाना जाता है. यूरोप में बसे इस शहर की इकोनॉमिक ग्रोथ का बड़ा हिस्सा मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से आता है। यहाँ पर बनी दवाएं, रसायन, घड़ियां, माप उपकरण, और संगीत वाद्ययंत्र जैसी वस्तुओं की पूरे विश्व में मांग है. यह देश पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था भी है. यहाँ के नागरिकों की प्रति व्यक्ति आय 37.10 लाख प्रति वर्ष है. स्विटजरलैंड में बेरोजगारी बहुत कम और यह देश हर साल संतुलित बजट बनाता है.
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4. आयरलैंड
आयरलैंड दुनिया के सबसे उच्चतम गुणवत्ता वाले जीवन (High Standard of Living) के साथ-साथ दुनिया के सबसे अधिक आर्थिक रूप से मुक्त देशों में से एक होने के लिए जाना जाता है। यह यूनाइटेड किंगडम का कृषि केंद्र है, लेकिन इसकी अर्थव्यवस्था आयरलैंड के मजबूत प्रौद्योगिकी उद्योग पर भी निर्भर है। आयरलैंड में ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था है, जिसमें कई उच्च तकनीकी कंपनियां शामिल हैं, साथ ही दुनिया में सबसे बड़ी वीडियो गेम बनाने वाली कंपनियां यहीं पर हैं. यहाँ पर कर की दर कम है इसलिए लोगों के पास टेक होम सैलरी अधिक है. यहाँ पर लोगों को साल में $53286 या 34.64 लाख रुपये मिलते हैं.
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5. नॉर्वे –
नॉर्वे एक ऐसा देश है जो प्राकृतिक संसाधनों में समृद्ध है। नॉर्वे में तेल, जंगल और अन्य प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता है। यहाँ पर करों की दरें अधिक है लेकिन उसका एक फायदा यह है कि लोगों को उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएँ और उच्च शिक्षा भी मुफ्त में दी जाती हैं। यहाँ पर लोगों को एक हफ्ते में सिर्फ 30 घंटे काम करना होता है इसलिए यहाँ के लोग ज्यादा मौज मस्ती करने का समय निकाल पाते हैं. यह देश अपने लगनशील लोगों और भरपूर प्राकृतिक संसाधनों की वजह से उच्च आय देने वाले देशों में गिना जाता है. यहाँ पर लोगों को साल में $ 51718 या 33.66 लाख रुपये मिलते हैं.
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6. ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया में न्यूनतम मजदूरी विश्व में सबसे ज्यादा है. यहाँ पर एक घंटे काम के लिए 17 अमेरिकी डॉलर मिलते हैं जबकि अमेरिका में सिर्फ 6 डॉलर मिलते हैं. ऑस्ट्रेलिया दुनिया में सकल घरेलू उत्पाद के हिसाब से12वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, और प्रति व्यक्ति जीडीपी के हिसाब से 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. यहाँ पैदा होने वाली मरीनो ऊन विश्व में सबसे उच्च कोटि की मानी जाती है. यहाँ की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से सेवा उद्योग के आसपास केंद्रित है और यह विश्व के सबसे बड़े यूरेनियम उत्पादक देशों में एक है. यहाँ पर एक कर्मचारी को औसतन $ 51148 या 33.24 लाख रुपये प्रति वर्ष मिलते हैं. यहाँ पर कर्मचारी को हफ्ते में 35 घंटे काम करना जरूरी होता है, इसके बाद जो भी काम कराया जायेगा वह ओवरटाइम माना जायेगा और उसके लिए अलग से भुगतान करना पड़ेगा.
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7. नीदरलैंड
जब प्रति व्यक्ति जीडीपी की बात आती है तो नीदरलैंड दुनिया के सबसे अमीर देशों में से एक गिना जाता है। नीदरलैंड, डेनमार्क के समान है क्योंकि यहाँ पर कर की दरें ऊंची होती है इस कारण लोगों के पास टेक होम सैलरी कम होती है. लेकिन सरकार इस काटे गए टैक्स के बदले में लोगों को सुविधाएँ जैसे शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सेवाएँ फ्री में उपलब्ध कराती है. इस देश की अर्थव्यवस्था अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर आधारित है क्योंकि यहाँ पर यूरोप के सबसे बड़े बंदरगाह है. यहाँ बहुत कम बेरोजगारी और मुद्रास्फीति है. यहाँ पर लोगों को सप्ताह में औसतन 35 घंटे काम करना पड़ता है. नीदरलैंड में लोगों को साल में $ 51003 या 33 लाख रुपये मिलते हैं.
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8. डेनमार्क –
डेनमार्क एक समृद्ध देश है और उच्च खान पान स्तर के लिए जाना जाता है. यहाँ पर कर की दर बहुत ऊंची है लेकिन सरकार इस कर के पैसे को स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रम, शिक्षा और सामाजिक कार्यक्रमों के लिए खर्च करती है इसलिए लोग कर देने से भी नही हिचकते. डेनमार्क में न्यूनतम मजदूरी परिभाषित नहीं है लेकिन फिर भी इस देश में दुनिया में सबसे कम आय असामनता है. यहाँ पर मिलने वाली उच्च सैलरी और काम करने की अच्छी दशाओं के कारण यह देश सबसे खुशहाल कामगारों के लिए जाना जाता है.सबसे मजेदार बात यह है कि देश के ऊपर विदेशी कर्ज नही है. यहाँ पर कर्मचारियों को औसतन $49589 या 32.23 लाख रुपये हर साल मिलते है. यह देश मानव विकास सूचकांक (HDI) के हर साल टॉप 3 देशों में गिना जाता है.
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9. कनाडा
विश्व बैंक के आंकड़ों के हिसाब से कनाडा 1.6 ट्रिलियन डॉलर के साथ विश्व की दसवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है.यह तेल के बड़े निर्यातकों में से एक है और सऊदी अरब के बाद विश्व में कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है. कनाडा सऊदी अरब के पीछे दुनिया में तेल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है कनाडा के पास एक मजबूत मछली उद्योग भी है, और यह सॉफ्टवेयर और वीडियो गेम उत्पादन के मामले में यह दुनिया के सबसे सबसे बड़े लीडर्स में से एक है. यहाँ पर अमेरिका की तुलना में कर दी दरें काफी अधिक हैं लेकिन इस कर से प्राप्त आय का उपयोग सभी नागरिकों में मुफ्त में स्वास्थ्य सेवाएँ औए अन्य सामाजिक लाभ उपलब्ध करने में किया जाता है. यहाँ के लोग सप्ताह में औसतन 32 घंटे काम करते हैं. यहाँ कर्मचारियों को मिलने वाली सैलरी $48164 या 31.30 लाख रुपये का पैकेज हर साल मिलता है.
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10. बेल्जियम
19वीं शताब्दी के प्रारंभ में, बेल्जियम औद्योगिक क्रांति से गुजरने वाला पहला महाद्वीपीय यूरोपीय देश था. बेल्जियम की अर्थव्यवस्था का आकार 470.179 अरब डॉलर है जिसके पास विश्व की GDP का 0.61% भाग है. इसके द्वारा निर्यात किये जाने वाली वस्तुओं में मुख्य निर्यात मशीनरी और उपकरण, रसायन, तैयार हीरे, धातु और धातु उत्पादों, और खाद्य पदार्थ होते हैं। यहाँ की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से सेवा क्षेत्र (service sector) पर निर्भर है. यहाँ पर काम करने वाले कर्मचारी को साल में $48093 या 31.26 लाख रुपये मिलते हैं और यहाँ की औसत प्रति व्यक्ति आय $41,491 है. बेल्जियम के कर्मचारियों को अमेरिका के कर्मचारियों की तुलना में ज्यादा वैतनिक अवकास (Paid leave) मिलते हैं.
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ऊपर दिए गए सभी विकसित देशों के कर्मचारियों की सालाना आय 30 लाख से ऊपर ही है जबकि भारत में काम करने वाले किसी पढ़े लिखे योग्य कर्मचारी की औसत आय मात्र 6 लाख रुपये प्रति वर्ष है. इससे यह बात स्पष्ट रूप से कही जा सकती है कि भारत भले ही विश्व की छठवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया हो और सबसे ज्यादा विकास दर हो लेकिन फिर भी लोगों की सालाना औसत आय के मामलों में विकसित देशों से कई किमी. पीछे है और निश्चित तौर पर यही सबसे बड़ा कारण है कि भारत के कुशल इंजीनियर और डॉक्टर विदेशों में नौकरी करने चले जाते हैं.
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