हम सभी जानते हैं कि ब्लड लाल रंग का होता है, जो हमारे शरीर में संचारित होता है. यह लाल रंग का इसीलिए होता है क्योंकि इसमें लाल रंग का एक पिगमेंट है जिसे हीमोग्लोबिन कहते है. इसमें प्लाज्मा (plasma), लाल रक्त कोशिकाएं (red blood cells), श्वेत रक्त कोशिकाएं (white blood cells ) और प्लेटलेट (platelets) होते हैं. रक्त ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, पचा हुआ भोजन आदि जैसे पदार्थों को शरीर के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक पहुचाने में मदद करता है. यह रोगों से हमें बचाता है और रक्त का तापमान भी नियंत्रित करता है.
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जब दिल धड़कता है, तो यह ऊर्जा और ऑक्सीजन को शरीर में पहुचाने के लिए चारों ओर ब्लड को पंप करता है. जैसे ही शरीर में ब्लड फैल जाता हैं, यह रक्त वाहिकाओं के पक्षों के खिलाफ धक्का देता है. रक्त वाहिकाओं को आगे बढ़ाने की ताकत दबाव पैदा करती है, जिसे ब्लड प्रेशर के रूप में जाना जाता है. इसलिए, हम यह परिभाषित कर सकते हैं कि ब्लड प्रेशर वह दबाव या प्रेशर है जिसमें शरीर के चारों ओर ब्लड को हृदय के द्वारा पंप किया जाता है। यदि ब्लड प्रेशर ज्यादा या हाई होता है तो धमनियों या हृदय पर अतिरिक्त तनाव उत्पन्न होता है और हृदय का दौरा भी पड़ सकता है. इसलिए, ब्लड प्रेशर को सामान्य बनाए रखना बहुत आवश्यक है.
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नार्मल ब्लड प्रेशर क्या है?
दो मूल्यों के रूप में ब्लड प्रेशर को बताया जा सकता है जैसे कि सिस्टोलिक दबाव और डायस्टोलिक दबाव.
आखिर सिस्टोल और डायस्टोल है क्या ?
हृदय ब्लड पंप करता है और इस प्रक्रिया के दौरान यह सिकुड़ता और फैलता है. दिल धड़कने के एक चरण में यानी जब दिल सिकुड़ता है और धमनियों में ब्लड को पंप करता है उसे सिस्टोल कहा जाता है और हृदय की हड्डियों के चरण में जब हृदय फैलता है या रिलैक्स होता है और चैम्बर्स को ब्लड से भरने की अनुमति देता है तो उसे डायस्टोल कहा जाता है.
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संकुचन चरण के दौरान, अधिकतम दबाव जिस पर मुख्य धमनी के माध्यम से हृदय ब्लड को छोड़ देता है उसे सिस्टोलिक दबाव कहा जाता है। हृदय के रिलैक्स या विस्तार चरण के दौरान धमनियों के न्यूनतम दबाव को डायस्टोलिक दबाव कहा जाता है.
सिस्टोलिक दबाव 120 mm Hg है
डायस्टोलिक दबाव 80 mm Hg है
इसलिए, नार्मल ब्लड प्रेशर 120/80 होता है लेकिन यह समय-समय पर और व्यक्ति-व्यक्ति में भिन्न हो सकता हैं.
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क्या आप जानते है कि हाई ब्लड प्रेशर क्या होता है?
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हाई ब्लड प्रेशर को हाइपरटेंशन के रूप में जाना जाता है. यह धमनियों या धमनी के संकुचन के कारण होता है. जिससे ब्लड प्रवाह के प्रतिरोध में वृद्धि होती है. इससे धमनियां टूट सकती है और आंतरिक रक्तस्राव भी हो सकता है. यह विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं को भी भड़ावा देता है.
कैसे ब्लड प्रेशर मापा जाता है?
ब्लड प्रेशर को स्फाइगनोमैनोमीटर (sphygmomanometer) उपकरण द्वारा मापा जाता है। ब्लड प्रेशर या रक्तचाप को मापने के लिए निम्न चरण इस प्रकार हैं:
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- सबसे पहले जिस व्यक्ति के ब्लड प्रेशर को मापना है उस व्यक्ति की बाँह के चारों और से रबर के पट्टे को लपेट देते है. फिर ब्रेकियल धमनी में 200 mm Hg के दबाव से हवा को पंप करते है और रबर का पट्टा बढ़ जाता है. इस दबाव को आप यंत्र स्फाइगनोमैनोमीटर में देख सकते हैं. इस समय जब स्टेथोस्कोप को हाथ की धमनी पर रखा गया तो कोई आवाज नहीं सुनाई दी.
- अब, रबड़ के पट्टे के दबाव को डिफ्लेटिंग (deflating) द्वारा कम किया जाता है और धमनी पर रखे गए स्टेथोस्कोप के माध्यम से पट्टे के दबाव से पहली टेपिंग ध्वनि सुनाई देती है तो वह सिस्टोलिक दबाव कहलाती है.
- जब रबड़ के पट्टे के दबाव को और अधिक डिफ्लेटिंग (deflating) द्वारा कम किया जाता है और धमनी पर रखे गए स्टेथोस्कोप के माध्यम से पट्टे के दबाव से टेपिंग ध्वनि गायब होती हुई सुनाई देती है तो वह डायस्टोलिक दबाव कहलाती है.
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इस तरह ब्लड प्रेशर या रक्तचाप मापा जाता है। इसे ऐसे भी समझ सकते है कि जब रबर के पट्टे द्वारा हाथ में 200 mm Hg का उच्च दबाव दिया जाता है तो ब्रेकियल धमनी बंद हो जाती है और इसमें कोई ब्लड प्रवाह नहीं होता है. नतीजा यह कि धमनी पर रखा स्टेथोस्कोप में कोई टेपिंग ध्वनि नहीं सुनाई देगी क्योंकि ब्लड नहीं बह रहा होगा. लेकिन जब रबड़ के पट्टे का दबाव कम हो जाता है और सिस्टोलिक दबाव के बराबर हो जाता है, ब्लड थोड़ा धमनियों से बहने लगता है और पहली ध्वनि स्टेथोस्कोप पर सुनाई देती है. इसके अलावा, जब रबड़ के पट्टे से दबाव कम हो जाता है और डायस्टोलिक दबाव के बराबर हो जाता है, तो धमनी पूरी तरह से खुल जाती है, ब्लड बहता है और ध्वनि अंततः गायब हो जाती है.
इस लेख से यह जानकारी प्राप्त होती है कि ब्लड प्रेशर या रक्तचाप क्या होता है, इसको कैसे मापते है और ब्लड प्रेशर के हाई होने से मानव के शारीर में क्या प्रभाव पड़ता है.
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