मानव परिसंचारण तंत्र / वाहिका तंत्र : संरचना, कार्य और तथ्य

Jan 18, 2017, 15:47 IST

मनुष्यों और अन्य पशुओं का परिसंचारण तंत्र अंगों का वह तंत्र होता है जो शरीर के भीतर सामग्रियों के परिवहन का जिम्मेदार होता है| इसमें हृदय, धमनियां, नसें, केशिकाएं और रक्त होते हैं | हृदय रक्त को बाहर की तरफ धक्का देने वाले पंप के रूप में काम करता है| धमनियां, नसें और केशिकाएं नली या ट्यूब की तरह काम करती हैं जिनसे होकर रक्त प्रवाहित होता है| मनुष्य के शरीर में तीन प्रकार की रक्त वाहिकाएं होती हैं– धमनियां, नसें और केशिकाएं | अब हम परिसंचारण प्रणाली के सभी अंगों को विस्तार से समझेंगे |

मनुष्यों और अन्य पशुओं का परिसंचारण तंत्र अंगों का वह तंत्र होता है जो शरीर के भीतर सामग्रियों के परिवहन का जिम्मेदार होता है| इसमें हृदय, धमनियां, नसें, केशिकाएं और रक्त होते हैं | हृदय रक्त को बाहर की तरफ धक्का देने वाले पंप के रूप में काम करता है| धमनियां, नसें और केशिकाएं नली या ट्यूब की तरह काम करती हैं जिनसे होकर रक्त प्रवाहित होता है| रक्त धारण करने वाली नलिकाओं को रक्त वाहिकाएं (blood vessels) कहा जाता है| इसलिए, मनुष्य के शरीर में तीन प्रकार की रक्त वाहिकाएं होती हैं– धमनियां, नसें और केशिकाएं | अब हम परिसंचारण प्रणाली के सभी अंगों को विस्तार से समझेंगे |

Human cirulatory system

मोटे तौर पर हृदय का आकार तिकोना होता है और यह विशेष प्रकार की मांसपेशियों जिन्हें हृदय की मांसपेशी (cardiac muscle) कहा जाता है, से बना होता है | हृदय में चार हिस्से होते हैं जिन्हें 'चैंबर्स' (chambers) कहते हैं | हृदय के उपरी दो चैंबर्स को एट्रीए (atria– एकल एट्रिअम में) और हृदय के नीचले दो चैंबर्स को निलय (वेन्ट्रकल– ventricles) कहते हैं |  दो प्रमुख नसों से ये दो एट्रीए रक्त प्राप्त करते हैं और दो निलय पूरे शरीर और फेफड़ों में रक्त परिवहन करते हैं | बायां एट्रिअम V1 वॉल्व से बाएं निलय से जुड़ा होता है | इसी तरह दायां एट्रिअम V2 वाल्व के जरिए दाएं निलय से जुड़ा होता है| ये वॉल्व जब निलय सिकुड़ कर शरीर के बाकी हिस्से के लिए हृदय से रक्त को पंप करता है तो एट्रीए में रक्त के पीछे की तरफ प्रवाह को रोकता है| ऐसा इस लिए होता है क्योंकि जब निलय सिकुड़ता है, V1 और V2 वाल्व स्वतः बंद हो जाते हैं ताकि रक्त वापस एट्रिए में न चला जाए | इसलिए, हृदय हमारे शरीर के चारों तरफ रक्त को पंप करता है | सभी एट्रिए और नसें सिकुड़ती और फैलती हैं एवं हृदय को रक्त पंप करने देती हैं | चूंकि निलय को उच्च दबाव के साथ विभिन्न अंगों के लिए रक्त पंप करना होता है, उनकी दीवारें एट्रिए के मुकाबले मोटी होती हैं|

कोशिकाओं के आवरण जिसे 'पेरिकार्डियम– pericardium' कहते हैं, मांसल हृदय की रक्षा करता है और हृदय के कोष्ठक (चैंबर्स) सेप्टम कहे जाने वाले आड़ से अलग किए जाते हैं| अब, मनुष्य का शरीर में रक्त परिसंचरण का वर्णन करने से पहले, धमनियों, नसों और केशिकाओं के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करना अनिवार्य है |

धमनियां मोटी दीवार वाली रक्त वाहिकाएं होती हैं जो हृदय से रक्त लेती हैं और उसे शरीर के सभी अंगों तक पहुंचाती हैं | ये इसलिए मोटी होती हैं क्योंकि हृदय से रक्त उच्च दबाव से बाहर निकलता है | धमनियां हमारे पूरे शरीर में पाईं जाती हैं | मुख्य धमनी को महाधमनी (ऐऑर्ट– aorta) कहते हैं | यह वॉल्व V3 के माध्यम से हृदय के बाएं निलय से जुड़ी होती है | महाधमनी का काम है बाएं निलय से ऑक्सीजनयुक्त रक्त को लेना और फेफड़े को छोड़कर शरीर के बाकी हिस्सों तक पहुंचाना | एक अन्य धमनी जिसे फुफ्फुस धमनी (pulmonary artery) कहते हैं, वह वॉल्व V4 के माध्यम से हृदय के दाएं निलय से जुड़ा होता है| फुफ्फुस धमनी ऑक्सीजन रहित रक्त को दाएं निलय से फेफड़ों में ले जाता है|

केशिकाएं पतली दीवारों वाली और अत्यंत पतली नलिकाएं या रक्त वाहिकाएं होती हैं जो धमनियों को नसों से जोड़ती हैं | इसलिए रक्त और शरीर के बीच ऑक्सीजन, भोजन, कार्बन डाईऑक्साइड आदि जैसे अलग– अलग पदार्थों का आदान प्रदान सिर्फ केशिकाओं के माध्यम से ही होता है | केशिकाओं का दूसरा सिरा किसी चौड़ी नली जिसे नस कहते हैं, से जुड़ा होता है| धमनियों से आने वाला ऑक्सीजन रहित रक्त या गंदा रक्त नसों में प्रवेश करता है|

नसें पतली दीवार वाली रक्त वाहिकाएं होती हैं जो शरीर के सभी हिस्सों से रक्त को लेकर वापस हृदय में पहुंचाती हैं| नसों को मोटी दीवारों की जरूरत नहीं होती क्योंकि इनमें प्रवाहित होने वाले रक्त में उच्च दबाव नहीं होता है | नसों में वॉल्व होते हैं जो रक्त को सिर्फ एक दिशा में, हृदय की ओर, ले जाने की अनुमति देते हैं |

धमनी और नस के बीच मुख्य अंतर यह है कि धमनी हृदय से रक्त लेता है और उसे शरीर के अंगों तक पहुंचाता है जबकि नसें शरीर के अंगों से रक्त लेती हैं और उसे हृदय में पहुंचाती हैं| जिस रक्त में ऑक्सीजन होता है उसे ऑक्सीजन युक्त रक्त कहा जाता है और जिस रक्त में ऑक्सीजन नहीं होता उसे ऑक्सीजन रहित रक्त कहते हैं, हालांकि इसमें कार्बन डाईऑक्साइड होता है |

इसके अलावा जब हमारे शरीर में रक्त का परिसंचरण होता है तो यह ऑक्सीजन, पचा हुआ भोजन और अन्य रसायन जैसे हार्मोन की हमारे शरीर के सभी कोशिकाओं को आपूर्ति करता है. साथ ही यह हमारे शरीर के कोशिकाओं से कार्बन डाईऑक्साइड आदि जैसे अपशिष्ट उत्पादों को वापस ले जाता है.

मानव शरीर के तंत्र

मनुष्यों में रक्त परिसंचरण की प्रक्रिया

How blood flows in heart

फुफ्फुस नसें ऑक्सीजनयुक्त रक्त को, जब हृदय के चारों चेंबर्स की मांसपेशियां आराम कर रही होती हैं, तब फेफड़ों से हृदय के बाएं एट्रीअम में लाते हैं |

जब बायां एट्रिअम सिकुड़ता है, ऑक्सीजनयुक्त रक्त वॉल्व V1 के माध्यम से बाएं निलय में धक्का दे कर पहुंचा दिया जाता है |

जब बायां निलय सिकुड़ता है, तो ऑक्सीजन युक्त रक्त मुख्य धमनी 'महाधमनी' में भेजा जाता है | ये धमनियां शाखाओं के रूप में होती हैं और शरीर के विभिन्न अंगों में जाती हैं | सबसे छोटी धमनियां धमनिका (arterioles) कहलाती हैं | ये भी केशिकाओं में बंट जाती हैं |

मुख्य धमनी शरीर के सभी अंगों जैसे मस्तिष्क, छाती, बाहों, पेट, आंत आदि में रक्त ले कर जाती है | इस प्रकार शरीर की कोशिकाओं को धमनियों से ऑक्सीजन मिलता है और फिर ऑक्सीजन लेने के बाद रक्त ऑक्सीजन रहित हो जाता है | अब ऑक्सीजनरहित रक्त मुख्य नस जिसे – वेना कावा (vena cava) कहते हैं, में प्रवेश करता है | मुख्य नस इस ऑक्सीजन रहित रक्त को हृदय के दाएं एट्रिअम में ले जाता है |

जब दायां एट्रीअम सिकुड़ता है, ऑक्सीजन रहित रक्त वॉल्व V2 के माध्यम से दाएं निलय में पहुंचता है| और जब दायां निलय सिकुड़ता है, ऑक्सीजनरहित रक्त फुफ्फुस धमनी के जरिए फेफड़ें में पहुंचता है | फेफड़ों में, ऑक्सीजन रहित रक्त अपना कार्बन डाईऑक्साइड छोड़ता है और वायु में से ताजा ऑक्सीजन अवशोषित करता है | इसलिए, रक्त फिर से ऑक्सीजन युक्त हो जाता है | ऑक्सीजन युक्त यह रक्त एक बार फिर से हृदय के बाएं एट्रिअम में शरीर में परिसंचरण हेतु फुफ्फुस धमनी द्वारा भेजा जाता है |

यह पूरी प्रक्रिया लगातार दोहराई जाती है |

अब हम यह कह सकते हैं कि परिसंचरण तंत्र वह होता है जिसमें शरीर के एक पूर्ण चक्र में रक्त हृदय से दो बार होकर गुजरता है, इसे दोहरा परिसंचरण कहते हैं | मनुष्य के परिसंचरण तंत्र में रक्त का हृदय से फेफड़े और फिर हृदय में वापस जाने के मार्ग को फुफ्फुस परिसंचरण (pulmonary circulation) कहते हैं और रक्त के हृदय से शरीर के बाकी अंगों और फिर हृदय में वापस आने के मार्ग को सिस्टमैटिक सर्कुलेशन (  systemic circulation) कहते हैं और ये दोनों मिल कर दोहरे परिसंचरण का निर्माण करती हैं |

हृदय गति

हृदय का एक पूर्ण संकुचन और शिथिलन को हृदय की धड़कन कहा जाता है| जब हम आराम की स्थिति में होते हैं तब आम तौर पर हृदय एक मिनट में 70 से 72 बार धड़कता है | स्टेथेस्कोप एक उपकरण है जिसके जरिए डॉक्टर हमारे हृदय की धड़कन को सुन सकते हैं | व्यायायाम करने के दौरान और उसके बाद हृदय अधिक तेजी से धड़कता है क्योंकि उन परिस्थितियों में शरीर को अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है |

रक्तचाप

वह दबाव जिस पर हृदय द्वारा शरीर में रक्त को पंप किया जाता है रक्तचाप कहलाता है | अधिकतम दबाव जिस पर रक्त संकुचन चरण में मुख्य धमनी के जरिए हृदय से बाहर निकलता है, सिस्टोलिक प्रेशर (systolic pressure) कहलाता है और हृदय के शिथिलन चरण के दौरान धमनियों के न्यूनतम दबाव को डायस्टोलिक प्रेशर (diastolic pressure) कहते हैं |

सिस्टोलिक प्रेशरः 120 mm Hg

डायस्टोलिक प्रेशरः 80 mm Hg

इसलिए, सामान्य रक्तचार 120/80 होता है और इसे स्फिग्मोमनामिटर (sphygmomanometer) नाम के उपकरण से मापा जाता है |

जानें मेसेन्टरी: मानव शरीर का 79वां अंग के बारे में

Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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