आरबीआई ने चौथा द्विमासिक मौद्रिक नीति पत्र 2014–15 जारी किया

Oct 1, 2014, 12:04 IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चौथा द्विमासिक मौद्रिक नीति पत्र की घोषणा 30 सितंबर 2014 को की.

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चौथा द्विमासिक मौद्रिक नीति पत्र की घोषणा 30 सितंबर 2014 को की. अपने इस पत्र में आरबीआई ने नीति दरों को 8 फीसदी बनाए रखा है.

वर्तमान और उभरती व्यापक आर्थिक स्थिति (मैक्रोइकोनॉमिक्स) के आकलन पर आधारित निम्नलिखित परिवर्तन किया गया है–

  • चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत रेपो दर 8.0 फीसदी पर अपरिवर्तित है.
  • अनुसूचित बैंकों के लिए नकद आरक्षित अनुपात (कैश रिजर्व रेश्यो– सीआरआर) शुद्ध मांग और समय की देनदारियां (एनडीटीएल) के लिए 4.0 फीसदी पर अपरिवर्तित है.
  • निर्यात ऋण पुनर्वित्त (ईसीआर) के तहत सांविधिक चलनिधि अनुपात को बकाया निर्यात ऋण के 32 फीसदी से कम कर 15 फीसदी कर दिया गया है जो कि 10 अक्टूबर 2014 से प्रभावी होगा.
  • नीलामी के जरिए बैंक एडीटीएल को एलएएफ रेपो दर पर 0.25 फीसदी की ओवरनाइट रेपो के तहत तरलता (लिक्विडिटी) प्रदान करना और बैंकिंग प्रणाली के एनडीटीएल को 7 दिन औऱ 14 दिन की आवधिक रेपो को 0.75 फीसदी की दर से तरलता प्रदान करना जारी रखेगा.
  • सुचारू तरलता के लिए दैनिक एक दिवसीय अवधि रेपो और रिवर्स रेपो को जारी रखेगा.
  • एलएएफ के तहत रिवर्स रेपो दर को अपरिवर्तित 7.0 फीसदी और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर को अपरिवर्तित 9.0 ही रखा गया है.

यह लगातार चौथी बार है जब आरबीआई ने प्रमुख ब्याज दरों को अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए ब्याज दरों में कटौती के उद्योगों की जबरदस्त मांग के बावजूद अपरिवर्तित रखा है. आरबीआई के गवर्नर रघु रामराजन ने यथास्थिति नीति के तर्क के लिए थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति का उदाहरण दिया.


भारत में व्यापक आर्थिक स्थिति का आकलन
अगस्त 2014 के तीसरे द्विमासिक मौद्रिक नीति के बाद से, वैश्विक गतिविधि संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे उन्नत अर्थव्यवस्थओं में श्रम बाजार की स्थिति में सुधार और उपभोक्ताओँ के खर्च करने की क्षमता को मजबूत बनाने के साथ वर्ष 2014 के पहली तिमाही के झटकों से धीरे– धीरे उबरने लगी थी. घरेलू गतिविधि 2014–15 की पहली तिमाही में उम्मीद से अधिक मजबूत उछाल के बाद कुछ कम हुई है. दूसरी तिमाही में पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन और उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं के संकुचन के कारण औद्योगिक उत्पादन में जुलाई 2014 में कमी आई.

रिजर्व बैंक के औद्योगिक आउटलुक सर्वे के साथ निर्यात में विनिर्माण उत्पादन में गिरावट, निर्यात आदेश में विस्तार का संकेत हैं.
सितंबर 2014 में गैर–खाद्य ऋण की वृद्धि घोषित की गई थी, तरलता स्थितियों के अच्छे और जमा विकास सामान्य होने के बावजूद जून 2001 के बाद सबसे न्यूनतम स्तर पर रही.

सहज तरलता स्थिति के साथ पुनर्वित्त के लिए बकाया निर्यात ऋण के लिए ईसीआर को मदद 10 फीसदी तक गिर गया. आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष 2014–15 में विकास दर को 5.5 फीसदी पर बरकार रखा है.

Jagran Josh
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Education Desk

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