दबाव समूह

Sep 7, 2018, 17:35 IST

दबाव समूह, एक ऐसा संरचित समूह है जिसका लक्ष्य आम आदमी से संबधित हितों के लिए सरकारी, सार्वजनिक नीति को प्रभावित करना या आम लोगों से संबंधित एक विशेष कारण की रक्षा करना है। दबाव समूह सरकार और लोगों के बीच एक कड़ी के रूप में काम करते हैं। दबाव समूह की कई विशेषताएं हैं और दबाव समूहों के अनेक प्रकार होते हैं।

Pressure Groups in India HN
Pressure Groups in India HN

दबाव समूह, एक ऐसा संरचित समूह है जिसका लक्ष्य आम आदमी से संबधित हितों के लिए सरकारी, सार्वजनिक नीति को प्रभावित करना या आम लोगों से संबंधित एक विशेष कारण की रक्षा करना है। दबाव समूह सरकार और लोगों के बीच एक कड़ी के रूप में काम करते हैं। दबाव समूह की कई विशेषताएं हैं और दबाव समूहों के अनेक प्रकार होते हैं।

दबाव समूह एक विशिष्ट मुद्दे को बढ़ावा देते हैं और राजनीतिक एजेंडे से इसे ऊपर उठाने अथवा चुनाव प्रचार के दौरान उठाये गये सामान्य राजनीतिक और वैचारिक उद्देश्यों को धरातल पर लाने के लिए मुद्दे को उठाते हैं। ये समूह सरकार को जवाबदेही के मंच पर लाने का प्रयास करते हैं।

 

दबाव समूहों की विशेषताएं

दबाव समूहों की विशेषताओं का वर्णन निम्नवत् है:

1. दबाव समूह कारण और नोटिस के आधार पर, स्थानीय, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्य कर सकते हैं।
2. सभी हित समूह स्वयं या अपने कारणों के लाभ के लिए सरकार की नीति को प्रभावित करने की एक लालसा रखते हैं।
3. आम तौर पर ये गैर-लाभकारी और स्वयंसेवी संगठन होते हैं।
4. एक लक्षित उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए वे राजनीतिक या औद्योगिक निर्णय निर्माताओं को प्रभावित करना चाहते हैं।
5. दबाव समूह उन व्यक्तियों का समूह या संग्रह है जो जातीयता, धर्म, राजनीतिक दर्शन, या एक समान लक्ष्य के आधार पर मूल्यों और विश्वासों पर समान पकड रखते हैं।
6. दबाव समूह अक्सर उन लोगों की विचारों का प्रतिनिधित्व करते हैं जो समाज की मौजूदा परिस्थितियों से असंतुष्ट होते हैं।
7. ये उन हितकारी समुदायों के स्वाभाविक परिणाम हैं जो सभी समाजों में विद्यमान रहते हैं।
8. दबाव समूह राजनीतिक दलों से भिन्न होते हैं। राजनैतिक दल लोगों द्वारा चुनकर आने के बाद परिवर्तन करना चाहते हैं, जबकि दवाब समूह राजनीतिक दलों को प्रभावित करने का प्रयास करते हैं। दवाब समह विशेष मुद्दों पर बेहतर तरीके से ध्यान केंद्रित करने में सक्षम हो सकते हैं, जबकि राजनैतिक दल मुद्दों कि विस्तृत श्रृंखला का पता लगाते हैं।
9. दबाव समूह व्यापक रूप से लोकतांत्रिक प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण भाग हैं।

भारत में दबाव समूहों के प्रकार

कुछ उदाहरणों के साथ दबाव समूहों के प्रकार निम्नलिखित हैं:

व्यापार समूह

व्यापार समूह भारत में सबसे अधिक महत्वपूर्ण, प्रभावशाली और संगठित दबाव समूहों में से एक है। व्यापार समूहों के उदाहरण इस प्रकार हैं- भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई), भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की),  वाणिज्य एंव उद्योग मंडल (एसोचैम) के परिसंघ- प्रमुख घटक बंगाल चैम्बर ऑफ कामर्स कलकत्ता और मध्य वाणिज्यिक संगठन दिल्ली हैं।

ट्रेड यूनियन (व्यापार संघ)

ट्रेड यूनियनें उद्योगों के मजदूरों और श्रमिकों की मांगों पर ध्यान देती हैं। वैकल्पिक रूप में इन्हें श्रम समूहों के रूप में भी जाना जाता है। भारत में विभिन्न ट्रेड यूनियनें, विभिन्न राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व करती हैं। उदाहरण- ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी)

कृषि समूह

ये समूह भारत के किसान समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं और उनकी भलाई के लिए कार्य करते हैं। उदाहरण के लिए भारतीय किसान संघ, हिंद किसान पंचायत (समाजवादीयों का नियंत्रण)।

व्यावसायिक संघ

इस प्रकार की संस्थाएं, वकीलों, डॉक्टरों, पत्रकारों और शिक्षकों से लेकर भारत में पेशेवर काम करने वालों की चिंताओं का सामने रखती हैं। उदाहरण इंजीनियर्स एसोसिएशन, बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई), और डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया।

छात्र संगठन

भारत में छात्रों की शिकायतों और कारणों का प्रतिनिधित्व करने के लिए कई प्रकार के संगठन हैं। उदाहरण के लिए भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ (कांग्रेस), ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (असम गण परिषद), छात्र युवा संघर्ष समिति (आम आदमी पार्टी)।

धार्मिक संगठन 

भारतीय राजनीति में धर्म पर आधारित संगठन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए आए हैं। वे संकीर्ण नजरिए का प्रतिनिधित्व करते हैं और अक्सर उन्हें धर्मनिरपेक्ष- विरोधी कहा जाता है। इन संगठनों के उदाहरण राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद, ब्रह्म समाज।

जाति समूह

जाति भारतीय समाज की मुख्य विशेषताओं में से एक रही है। हालांकि, यह हमेशा भारत की जनता की आकांक्षा और संविधान को हतोत्साहित करने वाली विचारधाराओं में से एक रही है। जाति कारक हमेशा भारत के चुनावों में प्रचलन में आता है। जाति समूहों के उदाहरण हैं- मारवाड़ी एसोसिएशन, हरिजन सेवक संघ इत्यादि ।

जनजातीय संगठन

भारत में प्रमुख रूप से आदिवासी मध्य भारत और पूर्वोत्तर भारत में होते हैं, तथा ये मध्य भारतीय आदिवासी इलाके और उत्तर पूर्वी भारत में भी सक्रिय हैं। इन संगठनों में नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड, ऑल इंडिया झारखंड और असम के आदिवासी संघ शामिल हैं।

भाषाई समूह

भारत में 22 अनुसूचित भाषाएं हैं। हालांकि, भारत में भाषाओं के कल्याण के लिए कई समूह और आंदोलन कार्य कर रहे हैं। उदाहरण के लिए हिन्दी साहित्य सम्मेलन और तमिल संघ आदि।

विचारधारा आधारित समूह

विचारधारा आधारित समूहों का उदय हाल में ही हुआ है। इन समूहों के कुछ उदाहरणों में नर्मदा बचाओ आंदोलन और चिपको आंदोलन, लोकतांत्रिक अधिकार संगठन, गांधी शांति प्रतिष्ठान, महिला अधिकार संगठन, नागरिक स्वतंत्रता संघों सहित पर्यावरण संरक्षण समूह शामिल हैं।

एनोमिक समूह

एनोमिक दबाव वे स्वतःप्रवर्तित अथवा स्वैछिक समूह है जो दंगों, प्रदर्शनों, हत्या, आदि के माध्यम से एक सामूहिक प्रतिक्रिया के साथ बनते हैं। भारत सरकार और नौकरशाहों की अनदेखी से आर्थिक विकास की समस्या और उनके पास उपलब्ध संसाधनों की कमी, अनिवार्य रूप से एक तकनीक और राजनैतिक विराधकी विचारधारा को जन्म देती है। एक परिणाम के रूप में दवाब समूह राजनीति से दूर रहते हैं। कुछ एनोमिक दवाब समूह के उदाहरणों में नक्सली समूह, यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट असम, ऑल असम स्टूडेंट यूनियन, जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट आदि हैं।

Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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