संविधान दिवस 2025 पर भाषण: स्टूडेंट्स-टीचर्स के लिए Samvidhan Divas स्पीच हिंदी में

Nov 25, 2025, 15:11 IST

भारत में हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस (या राष्ट्रीय कानून दिवस) के रूप में मनाया जाता है। यह दिन 1949 में संविधान सभा द्वारा देश के संविधान को औपचारिक रूप से अपनाए जाने की याद दिलाता है, जिसे बनाने में २ वर्ष, ११ माह और १८ दिन का समय लगा था। संविधान हमारे देश का सर्वोच्च कानून है जो भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करता है और सभी नागरिकों को न्याय, स्वतंत्रता तथा समानता की गारंटी देता है। संविधान दिवस का मुख्य उद्देश्य नागरिकों में संवैधानिक मूल्यों के प्रति सम्मान और जागरूकता बढ़ाना है, साथ ही संविधान के मुख्य वास्तुकार डॉ. बी.आर. अंबेडकर के महान योगदान को याद करना है।

संविधान दिवस 2025 पर भाषण: स्टूडेंट्स-टीचर्स के लिए Samvidhan Divas स्पीच हिंदी में
संविधान दिवस 2025 पर भाषण: स्टूडेंट्स-टीचर्स के लिए Samvidhan Divas स्पीच हिंदी में

भारतीय संविधान देश की आत्मा और सर्वोच्च विधान है। यह केवल नियमों और कानूनों का संग्रह नहीं, बल्कि एक ऐसा पवित्र ग्रंथ है जो हमें एक राष्ट्र के रूप में दिशा दिखाता है और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के सुचारु संचालन की गारंटी देता है। आज, जब हम 26 नवंबर को 'संविधान दिवस' के रूप में मनाते हैं, तो यह हमें उस ऐतिहासिक यात्रा की याद दिलाता है जो स्वतंत्रता के बाद राष्ट्र निर्माण के लिए आवश्यक थी। यह दिवस हमें यह भी याद दिलाता है कि हमारा संविधान विभिन्न धर्मों, भाषाओं और संस्कृतियों वाले करोड़ों लोगों को 'एकता' के धागे में पिरोता है।

संविधान दिवस मनाने का उद्देश्य प्रत्येक नागरिक में संवैधानिक मूल्यों—न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व—के प्रति सम्मान की भावना को बढ़ावा देना है। यह दिन डॉ. भीमराव अंबेडकर के अतुलनीय समर्पण और अथक परिश्रम का सम्मान करता है, जिन्होंने 2 वर्ष, 11 माह और 18 दिनों की कड़ी मेहनत से इस अद्वितीय दस्तावेज़ का मसौदा तैयार किया। संविधान दिवस हमें हमारे मौलिक अधिकारों के बारे में जागरूक करता है, साथ ही हमें अपने मौलिक कर्तव्यों की याद दिलाता है, क्योंकि राष्ट्र का निर्माण केवल अधिकारों के उपभोग से नहीं, बल्कि जिम्मेदारियों के निर्वहन से होता है।

संविधान दिवस क्या है?

constitution day

संविधान दिवस पर 10 लाइन

यहाँ संविधान दिवस (Constitution Day) पर 10 आसान और सरल पंक्तियाँ दी गई हैं:

  1. भारत में हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है।

  2. इसी दिन, 1949 में, हमारे देश का संविधान बनकर तैयार हुआ था और अपनाया गया था।

  3. संविधान को बनाने में 2 साल, 11 महीने और 18 दिन का समय लगा था।

  4. डॉ. भीमराव अंबेडकर को भारतीय संविधान का जनक (पिता) माना जाता है।

  5. संविधान हमारे देश का सबसे बड़ा लिखित कानून है।

  6. यह हमें न्याय, स्वतंत्रता और समानता जैसे मौलिक अधिकार देता है।

  7. संविधान हमें मौलिक कर्तव्य भी सिखाता है, जिनका पालन करना ज़रूरी है।

  8. यह दिन हमें लोकतंत्र और एकता के मूल्यों को समझने की प्रेरणा देता है।

  9. संविधान के लागू होने की याद में हम हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाते हैं।

  10. संविधान दिवस का मुख्य उद्देश्य सभी नागरिकों में संवैधानिक मूल्यों के प्रति सम्मान बढ़ाना है।

संविधान दिवस पर संक्षिप्त भाषण (Short Speech in 500 words)

आदरणीय प्राचार्य महोदय, शिक्षकगण, अभिभावक और मेरे प्यारे साथियों!

आप सभी को संविधान दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।

आज, २६ नवंबर का यह दिन हमारे लिए केवल एक छुट्टी या समारोह का दिन नहीं है, बल्कि यह वह पवित्र तिथि है जब १९४९ में हमारी संविधान सभा ने भारत के संविधान को अंगीकार किया था। यह संविधान, जिसके जनक डॉ. बी.आर. अंबेडकर हैं, हमें दुनिया के सबसे बड़े और सबसे सफल लोकतंत्र होने का गौरव प्रदान करता है।

संविधान का अर्थ और महत्व

संविधान किसी भी देश के लिए आधारभूत नियम-कानूनों का एक संग्रह होता है। यह एक ऐसी मार्गदर्शिका है जो यह तय करती है कि देश की सरकार कैसे काम करेगी और नागरिकों के अधिकार क्या होंगे। हमारे संविधान ने भारत को एक संप्रभु (Sovereign), समाजवादी (Socialist), धर्मनिरपेक्ष (Secular), लोकतांत्रिक (Democratic), गणराज्य (Republic) घोषित किया।

संविधान की प्रस्तावना, जिसे हम 'उद्देशिका' भी कहते हैं, हमारी राष्ट्रीय चेतना का सार है। यह घोषणा करती है कि शक्ति का अंतिम स्रोत 'हम, भारत के लोग' हैं। यह हमें न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व की गारंटी देती है—ये वो चार आधारभूत स्तंभ हैं जिन पर हमारा लोकतंत्र खड़ा है।

डॉ. अंबेडकर का योगदान

संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष के रूप में, डॉ. भीमराव अंबेडकर ने संविधान के निर्माण में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने विभिन्न देशों के संविधानों का गहन अध्ययन किया और एक ऐसा दस्तावेज़ तैयार किया जो भारत की विशाल विविधता और जटिल सामाजिक संरचना को संभाल सके। उनके अथक प्रयास के कारण ही, आज हर नागरिक को समान अधिकार और अवसर प्राप्त हैं, जाति, धर्म या लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं है।

हमारे अधिकार और कर्तव्य

संविधान हमें ६ मौलिक अधिकार देता है, लेकिन साथ ही यह हमें हमारे ११ मौलिक कर्तव्यों की भी याद दिलाता है। जिस तरह हमें स्वतंत्रता का अधिकार है, उसी तरह हमारा यह कर्तव्य भी है कि हम देश की एकता और अखंडता की रक्षा करें तथा राष्ट्रीय संपत्ति का सम्मान करें।

यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमारा संविधान एक 'जीवंत दस्तावेज़' है। इसमें सुधार होते रहे हैं, लेकिन इसकी मूल भावना अटल है।

साथियों, आइए! हम सब मिलकर अपने संविधान के आदर्शों का सम्मान करें और एक जिम्मेदार नागरिक बनने का प्रण लें, जिससे हम डॉ. अंबेडकर और अन्य संविधान निर्माताओं के सपनों के राष्ट्र का निर्माण कर सकें।

धन्यवाद। जय हिन्द! जय भारत!

संविधान दिवस पर विस्तृत भाषण (Long Speech in 1000 words)

आदरणीय मंच, उपस्थित सम्मानीय अतिथिगण, मेरे प्रिय शिक्षक और शिक्षिकाएं, और मेरे प्यारे सहपाठियों,

आज, २६ नवंबर की इस ऐतिहासिक तिथि पर, मैं आप सभी का हार्दिक अभिनंदन करता हूँ। यह दिन हमारे राष्ट्र के लिए अत्यंत गौरव और महत्व का है—आज हम संविधान दिवस, या राष्ट्रीय कानून दिवस मना रहे हैं। यह वह पावन दिन है जब १९४९ में, लम्बी बहस और विचार-विमर्श के बाद, भारत की संविधान सभा ने औपचारिक रूप से हमारे संविधान को अंगीकार किया था।

यह संविधान, जो २६ जनवरी १९५० को लागू हुआ और जिसने भारत को एक गणराज्य (Republic) घोषित किया, केवल कानूनों का संग्रह नहीं है। यह हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों का घोषणापत्र है, यह भारत के प्रत्येक नागरिक के लिए न्याय, स्वतंत्रता और समानता की गारंटी है।

स्वतंत्रता से संविधान तक की यात्रा

संविधान की रचना कोई साधारण कार्य नहीं था। १५ अगस्त १९४७ को देश को आज़ादी तो मिली, लेकिन एक विशाल, विविध और नवजात राष्ट्र को चलाने के लिए एक मजबूत नींव की आवश्यकता थी। इसी उद्देश्य से, १९४६ में संविधान सभा का गठन किया गया। इस सभा को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए एक मार्गदर्शिका तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई।

संविधान निर्माताओं ने अगले २ वर्ष, ११ माह और १८ दिनों तक अथक परिश्रम किया। उन्होंने दुनिया के साठ से अधिक देशों के संविधानों का अध्ययन किया और भारतीय परिस्थितियों के अनुरूप एक ऐसा अद्भुत दस्तावेज़ तैयार किया जो विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं और धर्मों के लोगों को एक साथ बाँध सके।

संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे, लेकिन इस ऐतिहासिक कार्य की बागडोर, यानी प्रारूप समिति (Drafting Committee) की जिम्मेदारी, जिसे ‘संविधान का जनक’ कहा जाता है, डॉ. भीमराव अंबेडकर ने संभाली। उनका ज्ञान, उनकी दूरदर्शिता, और सामाजिक न्याय के प्रति उनका अटूट समर्पण ही हमारे संविधान का आधार स्तंभ बना।

संविधान की प्रस्तावना: राष्ट्रीय चेतना का सार

संविधान की शुरुआत इसकी प्रस्तावना (Preamble) से होती है, जो हमारे संविधान का सार, दर्शन और उद्देश्य बताती है। यह प्रस्तावना घोषणा करती है:

“हम, भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व-सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए, तथा उसके समस्त नागरिकों को न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व प्राप्त कराने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं।”

  • संप्रभुता (Sovereignty): इसका अर्थ है कि भारत अपने आंतरिक और बाहरी मामलों में पूरी तरह स्वतंत्र है।

  • समाजवादी (Socialist): इसका उद्देश्य समाज में धन और संसाधनों का न्यायपूर्ण वितरण करना है।

  • पंथनिरपेक्ष (Secular): यह सुनिश्चित करता है कि राज्य का अपना कोई धर्म नहीं होगा और वह सभी धर्मों को समान सम्मान देगा।

  • लोकतंत्र (Democratic): इसका अर्थ है कि सरकार जनता द्वारा, जनता के लिए, और जनता की चुनी हुई होगी।

  • गणराज्य (Republic): इसका अर्थ है कि राष्ट्र का प्रमुख (राष्ट्रपति) वंशानुगत नहीं होगा, बल्कि चुना जाएगा।

मौलिक अधिकार: हमारी ढाल

हमारा संविधान हमें छह मौलिक अधिकार देता है, जो हमारे जीवन की सबसे महत्वपूर्ण ढाल हैं। ये हमें राज्य या किसी भी संस्था के अत्याचार से बचाते हैं:

  1. समानता का अधिकार।

  2. स्वतंत्रता का अधिकार (जिसमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता शामिल है)।

  3. शोषण के विरुद्ध अधिकार।

  4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार।

  5. संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार।

  6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार (जो इन अधिकारों की रक्षा करता है)।

ये अधिकार हमें आसमान छूने की आज़ादी देते हैं, हमें अपने सपनों को पूरा करने का हौसला देते हैं।

हमारे मौलिक कर्तव्य: हमारी ज़िम्मेदारी

लेकिन साथियों, संविधान केवल अधिकार नहीं देता, बल्कि हमें मौलिक कर्तव्यों की हमारी जिम्मेदारियाँ भी याद दिलाता है। जैसा कि महात्मा गांधी ने कहा था, 'कर्तव्यों के हिमालय से ही अधिकारों की गंगा बहती है।'

हमारे कुछ प्रमुख कर्तव्य हैं: संविधान का पालन करना, राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करना, देश की रक्षा करना, भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को बनाए रखना, तथा सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखना। जब हम इन कर्तव्यों का पालन करते हैं, तभी हम सच्चे और जिम्मेदार नागरिक कहलाते हैं।

संविधान दिवस की वर्तमान प्रासंगिकता

वर्ष २०१५ में, डॉ. बी.आर. अंबेडकर की १२५वीं जयंती के उपलक्ष्य में, भारत सरकार ने २६ नवंबर को औपचारिक रूप से संविधान दिवस के रूप में मनाना शुरू किया। इसका उद्देश्य संवैधानिक मूल्यों के प्रति जन-जागरूकता बढ़ाना है, ताकि हर युवा न्याय, समानता और बंधुत्व के महत्व को समझ सके।

आज जब हम यहाँ खड़े हैं, तो हमें यह प्रण लेना होगा कि हम अपने संविधान की गरिमा को बनाए रखेंगे। हम केवल अपने अधिकारों की मांग नहीं करेंगे, बल्कि अपने कर्तव्यों का भी पूरी निष्ठा से पालन करेंगे। हमें डॉ. अंबेडकर के उस दृष्टिकोण को आगे बढ़ाना है, जिसमें समाज के अंतिम व्यक्ति को भी न्याय और सम्मान मिले।

आप सभी युवाओं से मेरी अपील है कि आप संविधान को केवल एक विषय के रूप में न पढ़ें, बल्कि इसे अपने जीवन का मार्गदर्शक सिद्धांत बनाएँ। इसी भावना के साथ, मैं अपनी बात समाप्त करता हूँ।

धन्यवाद! जय हिन्द! जय भारत!

हमारा संविधान केवल सरकार चलाने का एक नियम-संग्रह नहीं है, बल्कि यह हमारे राष्ट्र की आत्मा है। यह हमें एक नागरिक के रूप में गौरव और अधिकार देता है, लेकिन साथ ही यह हमें हमारे कर्तव्यों की ज़िम्मेदारी भी सौंपता है। आज, संविधान दिवस के इस अवसर पर, आइए हम सब मिलकर यह प्रण लें कि हम न्याय, स्वतंत्रता और समानता के इन मूल्यों की रक्षा करेंगे। हम डॉ. अंबेडकर के सपनों के भारत का निर्माण करेंगे, जहाँ हर व्यक्ति को सम्मान और अवसर मिले। धन्यवाद। जय हिन्द! जय भारत!

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Anisha Mishra
Anisha Mishra

Content Writer

Anisha Mishra is a mass communication professional and content strategist with a total two years of experience. She's passionate about creating clear, results-driven content—from articles to social media posts—that genuinely connects with audiences. With a proven track record of shaping compelling narratives and boosting engagement for brands like Shiksha.com, she excels in the education sector, handling CBSE, State Boards, NEET, and JEE exams, especially during crucial result seasons. Blending expertise in traditional and new digital media, Anisha constantly explores current content trends. Connect with her on LinkedIn for fresh insights into education content strategy and audience behavior, and let's make a lasting impact together.
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