प्राचीन भारतीय विद्वानों और उनके संरक्षकों की सूची

Jul 18, 2018, 12:18 IST

प्राचीन भारतीय साहित्य कई प्रसिद्ध विद्वानों द्वारा प्रभावित रहा है। इन विद्वानों में राजा, संत, ऋषि, गणितज्ञ और कला एवं साहित्य के जानकार लोग थे। यहाँ हम प्राचीन भारतीय विद्वानों एवं उनके संरक्षकों की सूची दे रहे हैं जो UPSC, SSC, State Services, NDA, CDS और Railways जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए बहुत ही उपयोगी है।

List of the Ancient Indian Scholars and their Patrons HN
List of the Ancient Indian Scholars and their Patrons HN

प्राचीन भारत का साहित्य प्रसिद्ध विद्वानों के प्रभाव के कारण अत्यन्त विपुल एवं विविधता से भरी हुई है। इन विद्वानों में राजा, संत, ऋषि, गणितज्ञ और कला एवं साहित्य के जानकार लोग थे। इसमें धर्म, दर्शन, भाषा, व्याकरण आदि के अतिरिक्त गणित, ज्योतिष, आयुर्वेद, रसायन, धातुकर्म, सैन्य विज्ञान आदि भी वर्ण्यविषय रहे हैं। प्राचीन भारत के राजाओ की एक अच्छी बात ये थी की वो विद्वानों और उनके विद्वता काफी से प्रभावित थे तथा उनको हर संभव  संरक्षण देते थे ताकि उनके साहित्य के माध्यम से एक विरासत बनया जा सके जिससे आने वाली पीड़ी लाभ उठा सके।

प्राचीन भारतीय विद्वानों और उनके संरक्षकों की सूची

विद्वान

संरक्षक

हेमचन्द्र

अन्हिलवाड़ के कुमारपाल चालुक्य

नागार्जुन

कनिष्क

अमरसिंह

चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य

रविकीर्ति    

पुलकेशिन

वाकपतिराज

भवभूति

कन्नौज के यशोवर्मन

हरिसेन

समुद्रगुप्त

राजशेखर 

प्रतिहार शासक महीपाल और महेन्द्रपाल

सोमदेव

पृथ्वीराज III

चन्दबरदाई

पृथ्वीराज चौहान

बाणभट्ट

हर्ष

दण्डिन

पल्लव शासक नरसिंहवर्मन

भारवि 

पल्लव शासक सिंहविष्णु

गुणाध्याय

सातवाहन शासक हाल

जिनसेन

राष्ट्रकूट शासक अमोघवर्ष

जयदेव 

बंगाल के शासक लक्ष्मणसेन

बिल्हण

कल्याणी के चालुक्य शासक विक्रमादित्य VI

लक्ष्मीधर

कन्नौज के गहड़वाल शासक गोविन्दचन्द्र

कल्हण  

कश्मीर के शासक हर्ष

प्राचीन भारत में गणित, विज्ञान, खगोल विज्ञान और धर्म आदि जैसे कई क्षेत्रों का विकास हुआ जबकि चोल वंश के समय वास्तुकला, तमिल साहित्य और काँस्य जैसे कार्यों में भी बहुत विकास हुआ था। इसी दौरान कई प्रसिद्ध विद्वान हुये जैसे आर्यभट्ट, कालिदास और वारहमिहिर जिन्होंने कई क्षेत्रों में अपना बहुत बड़ा योगदान दिया था। दार्शनिकों ने यह भी पता लगाया था कि पृथ्वी चपटी नहीं बल्कि गोल है और यह अपनी धुरी पर स्वयं घूर्णन करती है जिसके फलस्वरूप चंद्र ग्रहण होता है। प्राचीन भारत में न केवल विज्ञान का बल्कि साहित्य का भी विकास हुआ, गुप्त साम्राज्य के समय में प्रसिद्ध पंचतंत्र की कहानियाँ, अत्यंत लोकप्रिय कामसूत्र, रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों को भी लिखा गया था।

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