भारत में खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश

Jun 22, 2016, 12:36 IST

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का अर्थ है, " एक निवेशक के द्वारा विदेश में किसी कंपनी में या किसी अर्थव्यस्था में पैसा निवेश करने से होता है I इस प्रकार के निवेशों के पीछे मुख्य उद्येश्य ज्यादा से ज्यादा लाभ कमाना होता है I सरकार ने 21 जून 2016 को ऑनलाइन रिटेल प्लेटफॉर्म के क्षेत्र में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति दे दी है।

वर्ष 2004 में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने 'खुदरा (retail)' शब्द को इस प्रकार परिभाषित किया– आगामी बिक्री या प्रसंस्करण (अर्थात थोक) की बिक्री की तुलना में अंतिम खपत के लिए की जाने वाली बिक्री को खुदरा कहते हैं। अतः इसे अंतिम उपभोक्ता के लिए की गई बिक्री भी कहते हैं ।
खुदरा बिक्री को उत्पादक और व्यक्तिगत उपभोक्ता जो व्यक्तिगत जरुरत के लिए खरीददारी करता है, के बीच का सम्बन्ध कहा जा सकता है I इसमें निर्माता और सरकार एवं अन्य थोक उपभोक्ताओं जैसे संस्थागत खरीददारों के बीच का प्रत्यक्ष सम्बन्ध शामिल नहीं है। खुदरा बिक्रेता उत्पादक और वितरण श्रृंखला के साथ व्यक्तिगत उपभोक्ता को जोड़ने वाली अंतिम कड़ी होती है। खुदरा विक्रेता व्यक्तिगत उपभोक्ता को लाभ के मार्जिन पर माल बेचने का काम करता है।
खुदरा उद्योग के प्रकार:-
• संगठित खुदरा बिक्री (Organised Retailing) का अर्थ होता है सभी व्यापारिक गतिविधियां लाइसेंसधारी खुदरा विक्रेताओं द्वारा की जाएंगी अर्थात वैसे विक्रेता जो बिक्री कर, आयकर आदि के लिए पंजीकृत हैं। इसमें कॉरपोरेट समर्थित हाइपरमार्केट और रीटेल चेन शामिल हैं। इसमें निजी स्वामित्व वाले बड़े खुदरा व्यापारी भी आते हैं।
• असंगठित खुदरा बिक्री (Unorganised retailing):- यह कम लागत वाली खुदरा बिक्री के परंपरागत प्रारूप को बताता है। उदाहरण के लिए, स्थानीय किराना की दुकान, जनरल स्टोर, पान/ बीड़ी की दुकानें, सुविधा स्टोर (convenience stores), हस्तशिल्प और फुटपाथ के विक्रेता/ पटरीवाले आदि I

 भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति:-
किसी एक व्यक्ति अथवा कंपनी द्वारा दूसरे देश में किया गया निवेश ‘प्रत्यक्ष विदेशी निवेश’(FDI : Foreign Direct Investment) कहलाता है। इसके अंतर्गत विदेशी कंपनी घरेलू देश में नई कंपनी शुरू कर यहां के बाजार में प्रवेश करती है या वह किसी भारतीय कंपनी के साथ संयुक्त उद्यम भी बना सकती है अथवा वह पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी अर्थात सब्सिडियरी भी शुरू कर सकती है।
भारत सरकार का वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय निरंतर आधार पर एफडीआई नीति एवं क्षेत्रीय नीति/ क्षेत्रीय इक्विटी कैप में होने वाले बदलावों की निगरानी और समीक्षा के लिए नोडल एजेंसी है। एफडीआई नीति को औद्योगिक सहायता सचिवालय (एसआईए), औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (DIPP) द्वारा प्रेस नोट्स के माध्यम से अधिसूचित किया जाता है।
विदेशी निवेशक, भारत में कुछ क्षेत्रों को छोड़कर, निवेश करने को स्वतंत्र हैं I सिर्फ कुछ ऐसे क्षेत्र/ गतिविधियां हैं जहां निवेश करने से पूर्व उन्हें RBI या विदेश निवेश संवर्धन बोर्ड (FIPB) से अनुमति लेने की आवश्यकता होती है।

भारत में खुदरा बिक्री के संबंध में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति:-
सरकार ने मल्टीं ब्रांड खुदरा व्यारपार में प्रत्यसक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के लिए 14 सितंबर, 2012 को दरवाजे खोल दिये, जिसके बाद भारतीय बाजार और अर्थव्यबवस्थाय के प्रति निवेशको का विश्वादस बढ़ा है। सरकार ने मल्टीय ब्रांड खुदरा व्या पार में 51 प्रतिशत तक एफडीआई को हरी झंडी देने का फैसला किया है। यह स्पेष्टर कहा गया है कि कुल एफडीआई का कम से कम 50 प्रतिशत शुरूआती एफडीआई के 3 वर्ष के भीतर बुनियादी ढांचे के आखिरी दौर में निवेश किया जाये। सरकार ने यह भी स्प0ष्टप किया है कि निर्मित या प्रसंस्कृ त उत्पारदों की कम से कम 30 प्रतिशत खरीद लघु उद्योगों से होनी चाहिए जिनका संयत्र और मशीनरी में कुल निवेश है जो 10 लाख अमरीकी डॉलर से अधिक नहीं है।
I. सरकार ने 21 जून 2016 को ऑनलाइन रिटेल प्लेटफॉर्म के क्षेत्र में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति दे दी है।
II. सरकार ने 21 जून 2016 को कई क्षेत्रों के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नियमों में ढील दी है। इनमें नागर विमानन, एकल ब्रांड खुदरा क्षेत्र, रक्षा तथा फार्मास्युटिकल शामिल हैं। इन क्षेत्रों में स्वत: मंजूर मार्ग से और अधिक सीमा में निवेश की छूट दी गई है।
III. सरकार ने मल्टीन ब्रांड खुदरा व्यारपार में प्रत्यवक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के लिए 14 सितंबर, 2012 को दरवाजे खोल दिये, जिसके बाद भारतीय बाजार और अर्थव्यषवस्थाप के प्रति निवेशको का विश्वाफस बढ़ा है। सरकार ने मल्टीा ब्रांड खुदरा व्या पार में 51 प्रतिशत तक एफडीआई को हरी झंडी देने का फैसला किया है। यह स्पटष्ट् कहा गया है कि कुल एफडीआई का कम से कम 50 प्रतिशत शुरूआती एफडीआई के 3 वर्ष के भीतर बुनियादी ढांचे के आखिरी दौर में निवेश किया जाये। सरकार ने यह भी स्पीष्ट3 किया है कि निर्मित या प्रसंस्कृित उत्पाशदों की कम से कम 30 प्रतिशत खरीद लघु उद्योगों से होनी चाहिए जिनका संयत्र और मशीनरी में कुल निवेश है जो 10 लाख अमरीकी डॉलर से अधिक नहीं है।
हालांकि 24 जनवरी 2006 से पहले, खुदरा क्षेत्र में एफडीआई अधिकृत नहीं थी, ज्यादातर आम निवेशक देश में काम कर रहे थे। निवेशकों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ प्रवेश मार्गों की नीचे व्याख्या की जा रही है–

क. विशेष विक्रय अधिकार समझौता (Franchise Agreements):-
भारतीय बाजार में प्रवेश करने का यह सबसे सरल मार्ग है। फ्रेंचाइजी और कमिशन एजेंट्स सर्विसेस में, विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के तहत भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अनुमोदन के साथ एफडीआई (जब तक की अन्यथा प्रतिबंधित न हो) की अनुमति है। यह क्विक फूड बॉन्डेज के प्रवेश के लिए सबसे सामान्य मोड है। पिज्जा हट जैसे क्विक फूड बॉन्डेज के अलावा एडिडास, रीबॉक, अमेजन और बेनेट एवं कोलमैन जैसे खिलाड़ी भी भारत में इसी रास्ते आए थे।
ख. कैश एंड कैरी होलसेल ट्रेडिंग (Cash And Carry Whole Sale Trading):
थोक व्यापार में 100% FDI की अनुमति है। इसमें स्थानीय निर्माताओँ की सहायता करने के लिए बड़े वितरण संरचना का निर्माण शामिल है। थोक व्यापारी सिर्फ छोटे खुदरा व्यापारियों से सौदा करते हैं। ये उपभोक्तोओं से सौदा नहीं करते। जर्मनी का मेट्रो एजी इस मार्ग के माध्यम से भारत में प्रवेश करने वाला पहला महत्वपूर्ण वैश्विक खिलाड़ी था।

ग. सामरिक लाइसेंस समझौता (Strategic Licensing Agreements):-

कुछ विदेशी ब्रांड्स भारतीय कंपनियों को विशेष लाइसेंस और वितरण अधिकार प्रदान करते हैं। इन अधिकारों के जरिए भारतीय कंपनियां उनके उत्पादों को या तो अपनी दुकानों के माध्यम से बेचती हैं या शॉप–इन– शॉप एग्रीमेंट्स में प्रवेश करती हैं या फ्रेंचाइजियों को ब्रांड बांट देती हैं। मैंगो (स्पेन का परिधान ब्रांड), भारत में पिरामिड ब्रांड के साथ समझौता कर इसी माध्यम से आया। SPAR ने राधाकृष्ण फूडलैंड्स प्रा. लिमिटेड के साथ ऐसा ही समझौता किया और भारतीय बाजार में कदम रखा।

घ. विनिर्माण और पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियां (Manufacturing and Wholly Owned Subsidiaries):-

नाइकी, रीबॉक, एडिडास आदि जैसे विदेशी ब्रांड्स जो विनिर्माण के क्षेत्र में पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों की मालिक हैं, भारतीय कंपनियां समझी जाती हैं और इसलिए उन्हें खुदरा व्यापार करने की अनुमति दी गई है। इन कंपनियों को फ्रेंचाइजी, घरेलु वितरकों, मौजूदा भारतीय खुदरा व्यापारियों, खुद की दुकानों आदि के माध्यम से भारतीय उपभोक्ताओँ को अपने उत्पाद बेचने के लिए अधिकृत किया गया है। जैसे नाइकी ने सिएरा इंटरप्राइजेज के साथ एक्सक्लुसिव लाइसेंसिंग एग्रीमेंट के माध्य से प्रवेश किया था लेकिन अब उसके पास पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी – नाइकी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड है।

एकल ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई:-
सरकार ने अपने किसी भी परिपत्र या किसी भी अधिसूचना में एकल ब्रांड (" Single Brand") के अर्थ को परिभाषित नहीं किया है।
एकल– ब्रांड खुदरा व्यापार में 100% एफडीआई की अनुमति है जो विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) के अनुमोदन और नीचे दिए गए शर्तों के अधीन है–
क) सिर्फ एकल ब्रांड उत्पादों को बेचा जाएगा (अर्थात, एक से अदिक ब्रांड की वस्तुओं की खुदरा बिक्री चाहे उसका उत्पादक एक ही क्यों न हो, बेचने की अनुमति नहीं होगी)
ख) उत्पादों को एक ही ब्रांड के तहत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेचा जाना चाहिए।
ग) एकल– ब्रांड उत्पाद खुदरा बिक्री के तहत सिर्फ उन्ही उत्पादों को लाया जाएगा जिनकी ब्रैंडिंग निर्माण के दौरान हुई है और
घ) "एकल ब्रांड" के तहत बेचे जाने के लिए उत्पाद श्रेणियों में किसी भी प्रकार की वृद्धि के लिए  सरकार से फिर से अनुमति लेनी होगी।

बहु–ब्रांड खुदरा बिक्री में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई):-
सरकार ने बहु ब्रांड शब्द को भी परिभाषित नहीं किया है। बहु– ब्रांड खुदरा बिक्री में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का अर्थ है खुदरा बिक्री करने वाले दुकान विदेशी निवेश के साथ एक ही छत के नीचे कई ब्रांडों की वस्तुओँ की बिक्री कर सकते हैं।
सरकार ने मल्टीर ब्रांड खुदरा व्याकपार में प्रत्य क्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के लिए 14 सितंबर, 2012 को दरवाजे खोल दिये, जिसके बाद भारतीय बाजार और अर्थव्य वस्थान के प्रति निवेशको का विश्वाकस बढ़ा है। सरकार ने मल्टीम ब्रांड खुदरा व्याफपार में 51 प्रतिशत तक एफडीआई को हरी झंडी देने का फैसला किया है। यह स्पेष्ट  कहा गया है कि कुल एफडीआई का कम से कम 50 प्रतिशत शुरूआती एफडीआई के 3 वर्ष के भीतर बुनियादी ढांचे के आखिरी दौर में निवेश किया जाये। सरकार ने यह भी स्पिष्टए किया है कि निर्मित या प्रसंस्कृयत उत्पािदों की कम से कम 30 प्रतिशत खरीद लघु उद्योगों से होनी चाहिए जिनका संयत्र और मशीनरी में कुल निवेश है जो 10 लाख अमरीकी डॉलर से अधिक नहीं है।

FDI की जरूरत:-
I. देश की अर्थव्यवस्था के विकास के लिए घरेलू पूंजी पर्याप्त नहीं है।
II. विदेशी पूंजी आम तौर पर जरूरी होती है, कम– से– कम अस्थायी उपाय के तौर पर, उस अवधि के दौरान जब पूंजी बाजार विकास की प्रक्रिया में हो।
III. विदेशी पूंजी आमतौर पर अपने साथ तकनीकी जानकारी, व्यापार विशेषज्ञता और विश्व स्तर पर व्यापार के नवीनतम रूझानों के बारे में जानकारी जैसे अनूठे उत्पादक कारकों को लाती है।

एफडीआई के लाभ:-
I. देश की विदेशी मुद्रा स्थिति में सुधार लाता है।

II. रोजगार सृजन औऱ उत्पादन में बढ़ोतरी।

III. नए पूंजी को लाने के साथ पूंजी निर्माण में मदद करता है।

IV. नई प्रौद्योगिकियों, प्रबंधन कौशलों, बौद्धिक संपदा के हस्तांतरण में मदद करता है।

V. स्थानीय बाजारों में प्रतिस्पर्धा बढ़ाता है और इससे क्षमता बढ़ती है।

VI. निर्यात को बढ़ाने में मदद करता है।

VII. कर राजस्व में बढ़ोतरी करता है।

FDI की आलोचना:-
I. घरेलू कंपनियों को विदेशी कंपनियों में अपने स्वामित्व के खोने का डर है।

II.  छोटे उद्यमों को विश्वस्तरीय बड़ी कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा न कर पाने और अंततः व्यापार से बाहर हो जाने का डर है।

III. विश्व के बड़े दिग्गज एकाधिकार की कोशिश करते हैं औऱ सबसे अधिक लाभ वाले क्षेत्रों में आधिपत्य स्थापित कर लेते हैं।

IV. ऐसी विदेशी कंपनियां स्थानीय लोगों की मजदूरी के मुकाबले मशीनरी और बौद्धिक संपदा में अधिक निवेश करती हैं।

V.  चूंकि ये कंपनियां आमतौर पर विदेशी कंपनी के पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों के रूप में काम करती हैं इसलिए सरकार का ऐसी कंपनियों के कामकाज पर नियंत्रण कम होता है।

निम्नलिखित क्षेत्रों में सरकारी मार्गों के साथ– साथ स्वचालित मार्गों से एफडीआई पर प्रतिबंध हैः
• लॉट्री व्यापार
• जुआ और सट्टेबाजी
• चिट फंड व्यापार
• निधि कंपनी
• कृषि (नियंत्रित स्थितियों में फूलों की खेती, बागवानी, बीजों के विकास, पशुपालन, मछलीपालन और सब्जियों की खेती, मशरुम आदि और कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों से संबंधित सेवाओँ को छोड़ कर) और वृक्षारोपण गतिविधियां (चाय   बागानों के अलावा).
• आवासीय एवं रियल एस्टेट व्यापार (टाउनशिप के विकास, आवासीय/ व्यावसायिक परिसर के निर्माण, अधिसूचना में निर्धारित सीमा तक सड़कों या पुलों के निर्माण को छोड़कर )
• हस्तांतरणीय विकास अधिकार (टीडीआर) में व्यापार।
• सिगार, चुरुट, सिगारिलो और सिगरेट, तंबाकू या तंबाकू के विकल्पों के निर्माण ।

निष्कर्ष:-
भारतीय खुदरा क्षेत्र बहुत खंडित है। इसके व्यापार का 97% असंगठित खुदरा व्यापारियों द्वारा संचालित होता है। संगठित खुदरा व्यापार अपने आरंभिक चरण में है। खुदरा व्यापार उद्योग में एफडीआई के आने से आगामी दस वर्षों में करीब 10 मिलियन (1करोड़) रोजगार के सृजन की संभावना है। कृषि के बाद रोजगार की दृष्टि से खुदरा क्षेत्र सबसे बड़ा स्रोत है और ग्रामीण भारत में इसकी गहरी पैठ है जो भारत के जीडीपी का 12% से भी अधिक का योगदान करता है। खुदरा उद्योग कृषि क्षेत्र की स्थिति में सुधार ला सकता है क्योंकि जब ये खुदरा व्यापारी सीधे किसानों से सामान खरीदेंगे तो इससे सब्जियों और अन्य वस्तुओं के मूल्य में भी कमी होगी।

Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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