भारतीय शेयर बाज़ार में उतार चढ़ाव क्यूँ और कैसे होता है?

सेंसेक्स (Sensex)नाम का शब्द अंग्रेजी के 'Sensitive Index' से लिया गया है Sens + Ex,  इसे हिंदी में संवेदी सूचकांक भी कहा जाता है. जैसा कि इसके नाम से स्पष्ट होता है कि एक ऐसा सूचकांक जो कि बहुत ही ज्यादा संवेदनशील (Sensitive) हो, उसे ही सेंसेक्स के नाम से पुकारा जाता है. सेंसेक्स बहुत छोटी छोटी घटनाओं या गतिविधियों (जैसे अच्छी बारिस का अनुमान, सरकार की आने वाली नीतियां या फिर देश में स्थिर सरकार बनने की संभावना इत्यादि) के कारण ऊपर नीचे होता रहता है.

Oct 25, 2019, 16:53 IST
Bombay Stock Exchange
Bombay Stock Exchange

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) भारत और एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है. इसकी स्थापना 1875 में हुई थी. इसमें विभिन्न सेक्टर्स की कंपनियों के शेयरों की खरीदारी और बिक्री की जाती है.

शेयर का सीधा अर्थ होता होता है “हिस्सा”शेयर बाजार में किसी कंपनी में हिस्से को शेयर कहा जाता है. इन शेयरों को विभिन्न लोगों द्वारा खरीदा और बेचा जाता है. इस मार्केट में भाग लेने वाले निवेशकों, शेयर दलालों और व्यापारियों को व्यापार का संचालन करने के लिए शेयर बाजार और सेबी के साथ स्वयं को पंजीकृत करना पड़ता है. शेयर बाजार को सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) के नियमों के अनुसार चलना पड़ता है.

सेंसेक्स क्या होता है  (What is the meaning of Sensex)?

सेंसेक्स नाम का शब्द अंग्रेजी के 'Sensitive Index' से लिया गया है Sens + Ex,  इसे हिंदी में संवेदी सूचकांक भी कहा जाता है| जैसा कि इसके नाम से स्पष्ट होता है कि एक ऐसा सूचकांक जो कि बहुत ही ज्यादा संवेदनशील (Sensitive) हो, उसे ही ‘सेंसेक्स’ नाम से पुकारा जाता है| इसमें 30 बड़ी कम्पनियों के शेयर मूल्यों में होने वाले उतार चढ़ाव को दर्ज किया जाता हैl  इसे संवेदी सूचकांक इसलिए कहना  ठीक है क्योंकि यह बहुत ही छोटी मोटी घटनाओं के घटित होने पर भी ऊपर नीचे होने लगता है |

उदाहरण: जैसे प्रधानमंत्री मोदी का किसी देश के साथ समझौता करना, अच्छे मानसून की वजह से अच्छी फसल का होना, देश में नयी सरकार का बनना, बाजार से सम्बंधित कोई नया कानून बनना इत्यादि |

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सेंसेक्स किन कंपनियों से मिलकर बनता है ?

सेंसेक्स (Sensitive Index), मुम्बई स्टाक एक्सचेंज का संवेदी सूचकांक है जिसे संक्षेप में बीएसई 30 (BSE-30) या बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex)  भी कहा जाता है l BSE सेंसेक्स 30 सर्वोच्च कंपनियों के शेयरों पर आधारित है। यहाँ पर यह जानना जरूरी है कि यह 30 शेयरों की सूची समय समय पर बदलती रहती है तथा मुम्बई शेयर बाजार जरूरत के अनुसार इस सूची में बदलाव करता रहता है मगर सूचकांक में कुल शेयरों की संख्या 30 ही रहती है।

BSE में से सबसे बड़े और सबसे सक्रिय रूप से कारोबार करने वाले शेयरों में से ऐसी 31 कंपनियों को लिया जाता है जो कि भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करती हैं.

वर्तमान में इसमें 31 कम्पनियाँ हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं;

1

HDFC बैंक लिमिटेड 

बैंक 

2

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड 

पेट्रोलियम उत्पाद

3

HDFC लिमिटेड 

वित्त 

4

इनफ़ोसिस लिमिटेड 

सॉफ्टवेयर

5

ICICI Bank Ltd.

बैंक 

6

TCS लिमिटेड 

सॉफ्टवेयर

7

ITC लिमिटेड 

कंज्यूमर नॉन ड्यूरेबल्स

8

कोटक महिंद्रा बैंक लिमिटेड 

बैंक 

9

लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड

निर्माण परियोजना

10

हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड 

कंज्यूमर नॉन ड्यूरेबल्स

11

एक्सिस बैंक लिमिटेड 

बैंक 

12

भारतीय स्टेट बैंक 

बैंक 

13

इंडसइंड बैंक लिमिटेड 

बैंक 

14

मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड

ऑटो 

15

बजाज फाइनेंस लिमिटेड 

वित्त 

16

एशियन पैन्ट्स लिमिटेड 

कंज्यूमर नॉन ड्यूरेबल्स

17

HCL टेक्नोलॉजीज लिमिटेड 

सॉफ्टवेयर

18

भारती एयरटेल लिमिटेड 

दूरसंचार - सेवाएं

19

महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड

ऑटो 

20

सन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज लिमिटेड

फार्मास्यूटिकल्स

21

इंडिया लिमिटेड का पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन

पॉवर 

22

NTPC लिमिटेड 

पॉवर 

23

टेक महिंद्रा लिमिटेड 

सॉफ्टवेयर

24

बजाज ऑटो लिमिटेड 

ऑटो 

25

हीरो मोटोकॉर्प लिमिटेड

ऑटो 

26

तेल और प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड

तेल 

27

Tटाटा स्टील लिमिटेड 

फैरस धातुएं (Ferrous Metals)

28

वेदांता लिमिटेड 

Non - Ferrous Metals

29

टाटा मोटर्स लिमिटेड 

ऑटो 

30

यस बैंक लिमिटेड 

बैंक 

31

 टाटा मोटर्स लिमिटेड  DVR

ऑटो 

बाजार पूंजीकरण (Market Capitalization) क्या होता है?

इसे Market Cap या बाजार पूँजी भी कह सकते हैंl इसे कंपनी द्वारा कुल जारी शेयरों की संख्या को प्रति शेयर बाजार भाव से गुना करके प्राप्त किया जा सकता हैl

यदि एक कंपनी ने 10 रुपये कीमत के 10,00,00 शेयर जारी किये हैं तो कंपनी की कुल पूँजी हुई दस लाख रुपयेl अब यदि इस कंपनी के 1 शेयर की बाजार में कीमत 50 रुपये है तो कंपनी की Market Cap या बाजार पूँजी 50 लाख होगीl

 कौन से शेयर बेचे जाते हैं?

किसी भी कंपनी के बाजार पूंजीकरण (Market Capitalization) का वह हिस्सा जो बिकने के लिए बाजार में उपलब्ध हो सकता है वह फ्री फ्लोट बाजार पूँजी होगी और उसी के आधार पर सेंसेक्स की गणना की जाती हैl आम तौर पर प्रमोटरों का हिस्सा अथवा सरकार का हिस्सा पूँजी में से निकाल दें तो बाकी बची पूँजी बाजार में बिकने के लिए उपलब्ध हो सकती हैl

अब हम सामान्य लोगों की समझ के लिए उन कारणों को जानने का प्रयास करते हैं जिनकी वजह से शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव आता है|

वैसे तो सामान्य भाषा में यह कहना ही ठीक होगा कि जब किसी कंपनी के शेयरों की मांग बढ़ जाती है तो उसके शायरों का मूल्य भी बढ़ जाता है| लेकिन यहाँ पर हम आपको उन कारणों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके माध्यम से इस बाजार में उतार-चढ़ाव आता है |

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 Image source:Zee News

उदाहरण के तौर पर यदि हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी अमेरिका की विदेश यात्रा पर जाते हैं तो अमेरिका में रहने वाले विदेशी निवेशक इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि मोदी जी वहां के राष्ट्रपति के साथ कई समझौते कर सकते हैं जिससे कि इन दोनों देशों के बीच सम्बन्ध और भी मधुर होने वाले हैं इसी उम्मीद में अमेरिका के निवेशक भारत में बड़ी मात्रा में पैसा लगा सकते हैं|

ऐसे ही कुछ कारण निम्नलिखित हैं:

1. मानसून की अच्छी बारिस की भविष्यवाणी मौसम विभाग करता है तो भी सेंसेक्स ऊपर चढ़ता है क्योंकि निवेशक यह अनुमान लगते हैं कि अगर कृषि की अच्छी पैदावार होती है तो कृषि आधारित विनिर्माण उद्योगों में भी निवेश बढेगा जिससे कि विनिर्माण उद्योगों में और भी ज्यादा पैसा निवेश किया जायेगा इस कारण निवेशकों के लाभ बढ़ जायेंगे l

2. यदि रिज़र्व बैंक मैद्रिक नीति की घोषणा में ब्याज दर घाटा दे लोन सस्ता हो जायेगा जिससे कि बैंकों से अधिक लोग ऋण लेंगे और बैंकों का लाभ बढेगा और इसी कारण बैंकिंग क्षेत्र से जुडी सभी कंपनियों के शेयरों के दामों में बृद्धि होगी l

3. मौद्रिक नीति(ब्याज दर में कमी या बृद्धि), राजकोषीय नीति(कर की दरों में कमी या बृद्धि), वाणिज्य नीति, औद्योगिक नीति, कृषि नीति आदि में यदि सरकार द्वारा कोई भी परिवर्तन किया जाता है तो इन सभी क्षेत्रों से जुडी सभी कंपनियों के शेयरों के दामों में उतार चढ़ाव आता है|

4. बजट पेश करने के दौरान की गयी सकारात्मक या नकारात्मक घोषणाओं की वजह से भी विभिन्न कंपनियों के शेयरों के दाम भी ऊपर नीचे होते हैं l

5. देश में राजनैतिक स्थिरता (बहुमत की सरकार या गठबंधन की), राजनैतिक वातावरण (वामपंथी या दक्षिणपंथी),जैसे कारण भी निवेशकों के निर्णयों को बहुत हद तक प्रभावित करते हैं | यदि देश में वामपंथी सरकार है तो वह कई क्षेत्रों में विदेशी निवेश का विरोध करती है (जैसे मल्टी ब्रांड रिटेल) जिससे के इस क्षेत्र की कंपनियों (बिग बाजार, विशाल मेगा मार्ट इत्यादि) के शेयरों में गिरावट होगी |

 6. झुण्ड प्रभाव (herd effect), इसमें बाजार में अधिक बिकवाली या खरीदारी की क्रिया स्टॉक मार्किट में संचयी रूप से बिकवाली या खरीदारी की क्रिया को जन्म देती है| कभी कभी बाजार में उतार चढ़ाव  डर या अनिश्चितता के कारण भी होता है |

तो ऊपर दिए गए विश्लेषण से यह बात साफ हो जाती है कि शेयर बाजार में उतार चढ़ाव की सही-सही भविष्यवाणी करना बहुत ही कठिन है क्योंकि यह सूचकांक बहुत ही संवेदनशील है और बहुत छोटे छोटे मुद्दों की वजह से अपना रुख बदलता रहता है |

 सूचकांकों के प्रकार

Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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