भारत की जलवायु का सामान्यकरण करना बहुत ही मुस्किल है क्योंकि इसकी विविध भौगोलिक स्तर तथा मौसम विस्तृत श्रृंखला अपने आप में अतुलनीय हैl इसकी उष्णकटिबंधीय मानसून जलवायु की वजह से मानसून का जल प्रवाह होना प्राकृतिक है| आइये जानते हैं मानसून पूर्व वर्षा कैसे भारतीय बाजार की शान को बढ़ाता हैl
मानसून पूर्व वर्षा क्या है और इसका आगमन कैसे होता हैl
मानसून पूर्व वर्षा को अप्रैल बारिश या ग्रीष्मकालीन बारिश के रूप में भी जाना जाता है, जिसका आगमन बंगाल की खाड़ी के ऊपर आंधी की वजह से होता हैl यह आमतौर पर गर्मियों में अप्रैल के महीने की दूसरी छमाही में आता हैं, हालांकि इसके आगमन की भविष्यवाणी करना मुश्किल है। यह शुष्क और नम हवाओं का मिश्रण है जिसकी तीव्रता स्थानीय तूफानों को जन्म देती है, जैसे- तेज हवाओं का आना, मूसलधार बारिश का होना और ओलों का पड़ना आदिl
मानसून पूर्व वर्षा भारत के किन-किन राज्यों को प्रभावित करती हैl
इस समय भारत में आम की फसल तैयार होने (आम के पकने) का समय होता है और यह वर्षा आम की फसल तैयार होने में सहायक तथा लाभप्रद होती है। मानसून पूर्व वर्षा भारत के लगभग सभी राज्यों को प्रभावित करती है लेकिन इसका प्रभाव दो तरीके का होता है जैसे– उत्तर भारत के कुछ राज्यों में यह ग्रीष्म की तीव्रता को कम करता है तो पूर्वी भारत तथा दक्षिण भारत के किसानो के लिए वरदान का काम करता है|
मानसूनी पूर्व वर्षा के क्षेत्रीय नाम
Source: image.slidesharecdn.com
1. असम में चाय की बारिश (Tea Shower)
2. केरल और कर्नाटक के तटीय इलाकों में आम्र वर्षा (Mango Shower)
3. केरल और आसपास के इलाकों में चेरी फूल / कॉफी शावर (Cherry Blossoms/ Coffee showers)
रेड डाटा बुक की रिपोर्ट और भारत में लुप्तप्राय जानवर
कैसे मानसून पूर्व वर्षा भारत के किसानो तथा बाजारों के लिए वरदान
मानसून पूर्व वर्षा को अप्रैल बारिश या ग्रीष्मकालीन बारिश को मैंगो शावर के नाम से जाना है जो भारत के फलों के किसानो के लिए वरदान है जैसे-
1.असम में मानसून पूर्व वर्षा को बारदोली छेढ़ा के नाम से जाना जाता है और यह चाय की खेती के लिए लाभप्रद होता हैl वहीं पश्चिम बंगाल में इसे कालबैशाखी के नाम से जाना जाता है और इसके आगमन से वसंतकालीन चावल की फसलों में हरियाली आ जाती हैl
Source: thewire.in
2. लीची उपोष्णकटिबंधीय सदाबहार तालिका फल में से एक है। जब ये आम्र वर्षा बिहार पहुचती है तो बाजारों की रौनक में चार चाँद लग जाती है क्योंकि इसके आने से लीची खाने योग्य हो जाता है और स्थानीय आम के पैदवार को भी नयी ज़िन्दगी मिल जाती हैl इस फल का अन्य फलों से कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है क्योंकि यह मई-जून में बाजार में आता है और इसमें कोई भी विपणन समस्या नहीं है।
Source: www.agrifarming.in
3. इस वर्षा को कर्नाटक, केरल, कोंकण और गोवा में आम वर्षा भी कहते हैं क्योंकि यह वर्षा समय से पहले आम को पेड़ों से गिरने से रोकता है और पकने में मदद करता है।
4. इस वर्षा को केरल और कर्नाटक के कुछ इलाकों में जहा कॉफ़ी की खेती होती है, चेरी फूल / कॉफी शावर भी कहते हैंl यह वर्षा कॉफ़ी के खेती के लिए बहुत जरुरी होता है क्योंकि इसके आने से ही कॉफ़ी की असली गुणवत्ता में निखार आता हैl
5. यह वर्षा बाज़ार में एक नए फल जामुन को भी सुशोभित करता है जिसका भारत के इतिहास और पौराणिक कथाओं में एक विशेष स्थान हैl
Source: 1.bp.blogspot.com
Comments
All Comments (0)
Join the conversation