किसी कंपनी में काम करने के दौरान कर्मचारी के वेतन का एक भाग ग्रेच्युटी (gratuity) के रूप में काटा जाता है। ग्रेच्युटी सरकारी और प्राइवेट क्षेत्र में काम करने वाले या संगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को मिलती है. श्रम मंत्रालय ने कर मुक्त ग्रेच्युटी की राशि को 10 लाख से बढाकर 20 लाख कर दिया है.
ग्रेच्युटी से संबंधित उपदान भुगतान (संशोधन) विधेयक 2018 को 21 मार्च को संसद की मंजूरी मिल गई. विधेयक में निजी क्षेत्र और सरकार के अधीन सार्वजनिक उपक्रम या स्वायत्त संगठनों के ऐसे कर्मचारियों के उपदान (ग्रेच्यूटी) की अधिकतम सीमा में वृद्धि का प्रावधान है. यह विधेयक पारित होने के बाद संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को 20 लाख रुपये तक की ग्रेच्युटी पर टैक्स नहीं देना होगा.
ग्रेच्युटी किसे कहते हैं(What is Gratuity)
ग्रेच्युटी वेतन का वह हिस्सा होता है, जो कर्मचारियों की सेवाओं के बदले एक निश्चित अवधि के बाद दिया जाता है। आय कर अधिनियम की धारा 10 (10) के मुताबिक, किसी भी निगम या कंपनी में न्यूनतम पांच वर्ष की सेवा अवधि पूरी करने वाला हर कर्मचारी ग्रेच्युटी का हकदार होता है। ग्रेच्युटी अधिनियम, 1972 के अनुसार, कर्मचारी को उसकी सेवा के प्रत्येक वर्ष में 15 दिनों का वेतन ग्रेच्युटी के तौर पर दिया जाता है। इस अधिनियम में कर्मचारी वह हैं जिन्हें कंपनी वेतन (Pay Rolls) पर रखती है, प्रशिक्षुओं (Tranees) को ग्रेच्युटी नहीं मिलती है। ग्रेच्युटी के तहत मिली 20 लाख तक की राशि पर टैक्स नही देना पड़ता है। साथ ही यह कानून ऐसे प्रतिष्ठानों में लागू होता है, जहां कर्मचारियों की संख्या कम से कम 10 हो।
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ग्रेच्युटी मिलने की क्या योग्यता है (What is the eligibility to get Gratuity)
यदि किसी व्यक्ति ने एक कंपनी में 5 साल नौकरी पूरी कर ली है तो वह ग्रेच्युटी पाने का हकदार हो जाता है.
ग्रेच्युटी की गणना कैसे की जाती है (How Gratuity is calculated)
ग्रेच्युटी की गणना में मूल वेतन और महंगाई भत्ता का योग शामिल होता है।
मान लीजिये किसी की अंतिम (लास्ट सैलरी स्लिप पर लिखी हुई सैलरी) बेसिक सैलरी 15000 रु. है, DA=5000 रु. और वह किसी कंपनी में 10 साल बाद नौकरी छोड़ देता है, तो उसकी ग्रेच्युटी होगी:
(बेसिक सैलरी + DA) x 15 दिन x 10 साल /26 (यहाँ पर 1 महीने में 26 दिन माने गए हैं)
(15000 + 5000) x 15x10 /26
ग्रेच्युटी = रु. 115384
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ग्रेच्युटी पर कितना कर लगता है?
निजी कर्मचारियों को जब ग्रेच्युटी उनके नौकरी करते समय (रिटायरमेंट के पहले तक) मिलती है, तो उनकी ग्रेच्युटी पर टैक्स लगता है क्योंकि यह उनके वेतन के अंतर्गत आता है लेकिन सरकारी कर्मचारियों को ग्रेच्युटी उनकी सेवानिवृत्ति, मृत्यु या पेंशन के तौर मिलती है और उस पर टैक्स भी नहीं लगता है। श्रम मंत्रालय के नये नियमों के अनुसार संगठित क्षेत्र के कर्मचारी 1 जनवरी 2016 से 20 लाख रुपए तक के कर मुक्त ग्रेच्युटी के लिए पात्र होंगे इससे पहले यह सीमा 10 लाख रुपये थी.
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ग्रेच्युटी कब मिलती है?
1. सेवानिवृत्ति होने पर
2. दुर्घटना या बीमारी की वजह से मौत या अपंगता के कारण
3. स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने पर (Voluntary Retirement Service)
4. छंटनी होने पर
5. इस्तीफ़ा देने पर
6. नौकरी से निकाल दिया जाने पर
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ग्रेच्युटी लेने के लिए कौन सा फॉर्म भरना होता है?
कंपनी को ज्वाइन करते वक़्त कर्मचारी को फॉर्म "F" भर कर उसमे अपने घर के किसी भी सदस्य को नॉमिनी बनाना होता है. यहाँ पर यह बात बताना भी जरूरी है कि यदि कंपनी घाटे में चल रही हो तो भी उसे ग्रेच्युटी राशि का भुगतान करना होगा. अतः यदि आप अपनी कंपनी को 5 साल से पहले बदलने की सोच रहे हैं तो थोडा सोच समझ कर निर्णय लीजिये क्योंकि यदि आपने किसी कंपनी में 5 साल से पहले नौकरी छोड़ दी है तो वहां पर आप ग्रेच्युटी का दावा नही कर सकते हैं.
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ग्रेच्युटी कैसे निकालें (How to withdraw Gratuity)
ग्रेच्युटी निकालने का आवेदन एक व्यक्ति खुद कर सकता है, या अपने किसी अधिकृत या परिचित व्यक्ति के माध्यम से ग्रेच्युटी निकालने के आवेदन को अपनी पुरानी कंपनी को भेज सकता है. आवेदन के साथ आखिरी सैलरी स्लिप, ऑफर लैटर की कॉपी, त्यागपत्र देने के तारीख और ग्रेच्युटी की राशि इत्यादि का ब्यौरा जरूर दें. आवेदन करने के बाद कंपनी को एक महीने का समय जरूर दें.
यदि कोई कंपनी ग्रेच्युटी देने से मना करे तो क्या करें (Legal Action if Gratuity is not paid)
अगर ग्रैच्युटी की राशि नियोक्ता या कंपनी (employer) द्वारा रिटायरमेंट या नौकरी छोड़ने के एक महीने के भीतर पूर्व कर्मचारी को नहीं दी जाती है, तो उसे उस क्षेत्र के भीतर, जहां कंपनी का ऑफिस स्थित है, के पास ग्रेच्युटी भुगतान प्राधिकरण या केंद्रीय श्रम आयुक्त के पास सभी जरूरी कागजात भेजकर शिकायत दर्ज करानी चाहिए. इसके अलावा पीड़ित व्यक्ति न्याय पाने के लिए अपने वकील के माध्यम से पूर्व ऑफिस को नोटिस भेजे और श्रम न्यायालयों (Labour Courts) में मुकदमा दर्ज कराये.
जिस दिन कर्मचारी ग्रेच्युटी निकालने के लिए आवेदन करता है उस तारिख से 30 दिन के अन्दर उसे भुगतान मिल जाना चाहिए. यदि कंपनी ऐसा नही करती है तो उसे ग्रेच्युटी राशि पर साधारण ब्याज की दर से ब्याज का भुगतान करना होगा. यदि कंपनी ऐसा नही करती है तो उसे ग्रेच्युटी भुगतान अधिनियम,1972 (Payment of Gratuity Act,1972) के उल्लंघन का दोषी माना जायेगा जिसमे उसे 6 महीने से लेकर 2 साल तक की सजा हो सकती है.
इस लेख के माध्यम से हमने यह बताने का प्रयास किया है कि एक कर्मचारी किस तरह अपनी ग्रेच्युटी की गणना कर सकता है, किस तरह ग्रेच्युटी को निकाल सकता है और यदि उसका नियोक्ता या ऑफिस उसको ग्रेच्युटी नही देता है तो किस तरह की कानूनी कार्यवाही करनी है. उम्मीद है कि हमारा यह प्रयास आपके लिए मददगार साबित होगा.
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