नदी के साथ मनुष्य का गहरा संबंध रहा है. प्राचीन काल से ही सभ्यताओं का जन्म नदियों के किनारे होता रहा है और नदियों के द्वारा लोगों का लालन-पालन किया जाता रहा है. यूँ तो नदियों के जल का उपयोग मुख्यतः कृषि कार्य, पीने के पानी, बिजली उत्पादन जैसे कार्यों में किया जाता है, लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि दुनिया में कुछ ऐसी भी नदियाँ हैं, जिनके जल से सोना प्राप्त किया जाता है. इस लेख में हम दुनिया के कुछ ऐसी ही गिनी-चुनी नदियों का विवरण दे रहे हैं, जिनके जल से सोना प्राप्त किया जाता है.
1. स्वर्णरेखा नदी (झारखंड)
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भारत के झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा राज्य के कुछ इलाकों में बहने वाली नदी स्वर्णरेखा दुनिया के उन गिनी चुनी नदियों में शामिल है, जिसके जल से सोना प्राप्त किया जाता है.
झारखंड में तमाड़ और सारंडा जैसी जगहों पर स्वर्णरेखा नदी के पानी में स्थानीय आदिवासी, रेत को छानकर सोने के कण इकट्ठा करने का काम करते हैं. आमतौर पर एक व्यक्ति, दिनभर काम करने के बाद सोने के एक या दो कण निकाल पाता है. एक व्यक्ति पूरे महीने में 60-80 सोने के कण निकाल पाता है. हालांकि किसी महीने में यह संख्या 30 से भी कम होती है. ये कण चावल के दाने या उससे थोड़े बड़े होते हैं।
भारत की प्रायद्वीपीय नदी प्रणाली
रेत से सोने के कण छानने का काम सालभर होता है. सिर्फ बाढ़ के दौरान दो माह तक काम बंद हो जाता है. रेत से सोना निकालने वालों को एक कण के बदले 80-100 रुपए मिलते हैं. एक आदमी सोने के कण बेचकर माहभर में 5-8 हजार रुपए कमा लेता है. हालांकि बाजार में इस एक कण की कीमत करीब 300 रुपए या उससे ज्यादा है. स्थानीय दलाल और सुनार, यहां के आदिवासी परिवारों से सोने के कण खरीदकर करोड़ों की संपत्ति बनाई है.
2. करकरी नदी (झारखंड)
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स्वर्णरेखा नदी की तरह इसकी एक सहायक नदी “करकरी” की रेत में भी सोने के कण पाए जाते हैं. कुछ लोगों का कहना है कि स्वर्णरेखा में सोने के कण, करकरी नदी से ही बहकर पहुंचती है, लेकिन इसके बारे में किसी के पास स्पष्ट प्रमाण नहीं है. आपकी जानकारी के लिए हम बताना चाहते हैं कि करकरी नदी की लंबाई केवल 37 किमी है.
प्रायद्वीपीय नदी जो पश्चिम की ओर बहती हैं
3. क्लोनडाइक नदी (कनाडा)
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कनाडा के डॉसन शहर में बहने वाली क्लोनडाइक नदी से भी सोना निकाला जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस नदी की तलहटी में सोना बिछा पड़ा है. 1896 में जॉर्ज कार्मेक, डॉसन सिटी चार्ली और स्कूकम जिम मेसन ने सबसे पहले इस नदी में सोना होने की बात बताई थी. जैसे ही क्लोनडाइक नदी में सोने होने की ख़बर फैली इस शहर में लोगों का, ख़ास तौर से सोना खोजने वालों का तांता लग गया. 1898 में इस शहर की आबादी महज 1500 थी जोकि रातों रात बढ़ कर तीस हज़ार हो गई.
क्लोनडाइक नदी के जल से सोना प्राप्त करने की विधि
सर्वप्रथम सोने वाली इस नदी के पास जमी रेत को बालटियों में इकट्ठा किया जाता है, फिर उसे कई बार छाना जाता है. इसके बाद नदी के पानी को छोटे-छोटे बर्तनों में रखकर जमाया जाता है. फिर इस बर्फ़ से सोने के टुकड़ों को अलग किया जाता है. सोने के ये टुकड़े कई शक्ल में होते हैं. कुछ टुकड़े मोतीनुमा होते हैं, कुछ पतले छिलके के समान होते हैं एवं कुछ गुच्छे के आकार के भी होते हैं. सोना तलाशने के लिए यहां कोई रोक टोक नहीं है. कोई भी खुदाई करके यहां सोना तलाशने का काम कर सकता है.
भारतीय जल निकास प्रणाली
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