केंद्रीय सतर्कता आयोग

Dec 16, 2015, 16:22 IST

केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) एक शीर्ष भारतीय निकाय है जिसकी स्थापना 1964 में केंद्र सरकार के तहत सरकारी भ्रष्टाचार की पहचान व सतर्कता निगरानी करने के लिए और केंद्र सरकार की संस्थाओं में योजना बनाने, क्रियान्वित करने तथा उनकी सतर्कता की समीक्षा करने में विभिन्न अधिकारियों को सलाह देने के लिए की गयी थी। इसे एक स्वायत्त निकाय का दर्जा प्राप्त है। केंद्रीय सतर्कता आयुक्त को भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है। इस पद का कार्यकाल तीन वर्ष का होता है।

केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) एक शीर्ष भारतीय निकाय है जिसकी स्थापना 1964 में केंद्र सरकार के तहत सरकारी भ्रष्टाचार की पहचान व सतर्कता निगरानी करने के लिए और केंद्र सरकार की संस्थाओं में योजना बनाने, क्रियान्वित करने तथा उनकी सतर्कता की समीक्षा करने में विभिन्न अधिकारियों को सलाह देने के लिए की गयी थी। इसे एक स्वायत्त निकाय का दर्जा प्राप्त है।

सेवा शर्तें और सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति

केंद्रीय सतर्कता आयुक्त को भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है। इस पद का कार्यकाल तीन वर्ष का होता है। केंद्रीय सर्तकता आयुक्त को दुर्व्यवहार के आधार पर राष्ट्रपति द्वारा तभी निलंबित या हटाया जा सकता है जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले की जांच के बाद उनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गयी हो।

कार्य

आयोग मुख्य रूप से एक सलाहकारी निकाय है और इसके पास कोई न्यायिक अधिकार नहीं हैं। यह भ्रष्टाचार, दुराचार, ईमानदारी की कमी या सरकारी कर्मचारियों की ओर से कदाचार या दुष्कर्म या कुछ अन्य प्रकार से संबंधित शिकायतों पर विचार विमर्श करता है।

यह सरकारी कर्मचारियों द्वारा किए गए अपराधों के लिए आपराधिक मुकदमा चलाने की मंजूरी का विस्तार नहीं कर सकता है।  एक सीमित दायरे के अलावा इसके पास जांच या भ्रष्टाचार की शिकायतों की तहकीकात करने के लिए कोई तंत्र नहीं होता है।

आयोग शिकायत की जांच स्वयं करने के लिए अधिकृत नहीं है, इसकी जांच करने के लिए इसे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) या संबंधित  मंत्रालय या जांच विभाग के पास भेजना होता है। हालांकि, मुख्य तकनीकी परीक्षक संस्था इससे जुड़ी हुयी है। जो ठेकेदारों, अनुबंधों और मास्टर रोल्स के बिलों की जाँच सहित लोक निर्माण की तकनीकी परीक्षा का आयोजन करता है।

आयोग निम्नलिखित मामलों में कार्रवाई करने की सलाह दे सकता है:

1)  केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो द्वारा की गयी जांच रिपोर्ट जिसमें कमीशन या अन्य द्वारा इसे भेजे गये विभागीय कार्रवाई या अभियोजन के मामले शामिल होते हैं।

2)  आयोग द्वारा निर्दिष्ट मामलों में अनुशासनात्क कार्रवाई के मामले में शामिल मंत्रालय या विभाग की रिपोर्ट।

3)  सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और सांविधिक निगमों आदि से सीधे प्राप्त हुए मामले।

आयोग को गृह मंत्रालय के सामने अपनी एक वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करना अनिवार्य है। इस रिपोर्ट में वह मामले होते हैं जिसमें उसकी सिफारिशों को स्वीकार कर इन पर सक्षम अधिकारियों द्वारा कार्यवाही की जाती है।

संविधान से संबंधित प्रावधानों, अधिकार क्षेत्र, बिजली और आयोग के कार्यों के साथ कार्यवाही करने के लिए लंबे समय से चली आ रही एक अधिनियम के गठन की मांग को अंतत: एक अधिनियम पारित करके गठित कर दिया गया था। उक्त अधिनियम को केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम,2003 के रूप में नामित किया गया।

केंद्रीय सतर्कता आयोग के कार्य और शक्तियां

A.  यह 1988 भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत कथित अपराधों की जांच से संबधित दिल्ली विशेष पुलिस की स्थापना द्वारा कामकाज और अभ्यास अधीक्षण की जांच के लिए प्रतिबद्ध है।

B.  दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1964 की (1946 का 25) की धारा 4 की उप-धारा (1) के तहत यह जिम्मेदारी का निर्वहन करने के उद्देश्य के लिए विशेष दिल्ली पुलिस की स्थापना का निर्देश देती है।

Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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