क्रिस्टलीकरण(crystallisation), क्वथनांक(boiling), वाष्पीकरण(vaporisation), द्रवणांक(melting point), आदि प्रक्रियाओं को भौतिक परिवर्तन कहा जाता है | ये अपनी प्रकृति में परिवर्तनीय (Reversible) होते हैं | प्रकाश संश्लेषण, पाचन, फलों का पकना, कागज का जलना आदि कुछ ऐसी प्रक्रियाएं हैं जो पदार्थ के संघटन के साथ-साथ उसकी रासायनिक प्रकृति में भी बदलाव कर देती हैं और एक नए पदार्थ का निर्माण करती हैं, अतः ऐसी प्रक्रियाओं को रासायनिक अभिक्रिया कहा जाता है | अतः रासायनिक अभिक्रिया एक ऐसा प्रक्रम है जिसमें विभिन्न परमाणुओं का समूह मिलकर एक नया पदार्थ निर्मित करता है | रासायनिक अभिक्रिया में पदार्थ में निम्नलिखित बदलाव आ सकते हैं-
• पदार्थ के रंग में परिवर्तन होना
• पदार्थ की अवस्था में परिवर्तन होना
• ताप ऊर्जा में परिवर्तन - ऊर्जा का अवशोषण या मुक्त होना
• गैस का मुक्त होना
• ध्वनि व प्रकाश की उत्पत्ति
रासायनिक समीकरण
अभिकारकों और उत्पादों को उनके रासायनिक फॉर्मूले के साथ सांकेतिक रूप से प्रदर्शित करना रासायनिक समीकरण कहलाता है| रासायनिक समीकरण में निम्नलिखित तत्व शामिल होते हैं -
• अभिकारक (Reactants)
• उत्पाद
• एक तीर (Arrow) जो अभिकारक और उत्पाद को अलग करता है
अभिकारक ऐसे पदार्थ हैं जो रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेते हैं और उत्पाद ऐसे पदार्थ हैं जो जिनकी उत्पत्ति रासायनिक अभिक्रिया के परिणामस्वरूप होती है |
C + O2 → CO2
अभिकारक उत्पाद
अभिकारक और उत्पादों की भौतिक अवस्था को निम्न रूप में दर्शाते हैं:
• ठोस के लिए "(s)"
• द्रव के लिए "(l)"
• गैस के लिए "(g)"
• जलीय विलयन के लिए“(aq)"
• अभिक्रिया में उत्पन्न गैस के लिए "(↑)".
• अभिक्रिया की दिशा को दर्शाने के लिए "(→)".
उदाहरण: Zn (s) + dil.H2SO4 (aq) → ZnSO4 (aq) + H2 (g) (↑)
(अभिकारक) (उत्पाद)
रासायनिक समीकरण रासायनिक अभिक्रिया को सरल रूप में समझने में सहायता करते हैं | रासायनिक समीकरण में अभिकारक और उत्पाद का द्रव्यमान समान भी हो सकता है और नहीं भी हो सकता है परंतु द्रव्यमान संरक्षण नियम के अनुसार " अभिकारक और उत्पाद का कुल द्रव्यमान समान होना चाहिए" | अतः इस नियम के पालन के लिए रासायनिक समीकरण का संतुलित होना जरूरी है |
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