वैश्विक मद्धिम

वैश्विक मद्धिम को पृथ्वी की सतह तक पहुंचने वाले सौर विकिरण की मात्रा में कमी के रूप में परिभाषित किया जाता है। जीवाश्म ईंधन के उप-उत्पाद छोटे कण या प्रदूषक हैं जो सौर ऊर्जा को अवशोषित करते हैं और अंतरिक्ष में सूर्य की रोशनी को वापस दर्शाते हैं। इस तथ्य या घटना को पहली बार 1950 में मान्यता दी गयी थी। वैज्ञानिकों का मानना है कि 1950 के बाद पृथ्वी तक पहुंचने वाली सूर्य की ऊर्जा में अंटार्कटिका में 9%, संयुक्त राज्य अमेरिका में 10%, यूरोप के कुछ हिस्सों में 16% और रूस में 30% से की कमी आयी है।

Dec 23, 2015, 15:04 IST

वैश्विक मद्धिम को पृथ्वी की सतह तक पहुंचने वाले सौर विकिरण की मात्रा में कमी के रूप में परिभाषित किया जाता है। जीवाश्म ईंधन के उप-उत्पाद छोटे कण या प्रदूषक हैं, जो सौर ऊर्जा को अवशोषित करते हैं और अंतरिक्ष में सूर्य की रोशनी को वापस दर्शाते हैं। इस तथ्य या घटना को पहली बार 1950 में मान्यता दी गयी थी।

वैश्विक मद्धिम क्या है?

जीवाश्म ईंधन का उपयोग ग्रीन हाउस गैसों के उत्पादन के साथ-साथ अन्य हानिकारक उप-उत्पादों का निर्माण करता है। ये उप-उत्पाद प्रदूषक भी हैं, जैसे- सल्फर डाइऑक्साइड, कालिख, और राख। ये प्रदूषक बादलों के गुणों को भी परिवर्तित करते हैं।

बादलों का निर्माण तब होता है जब पानी की बूदें पराग जैसे वायु जनित कणों के बीज से निकलती हैं।  प्रदूषित हवा में वर्षा की बूंदें अप्रदूषित हवा की तुलना में ज्यादा बड़ी होती है / यह प्रक्रिया बादलों को और अधिक प्रतिक्रियात्मक बनाता है और इसीलिए सूर्य की अत्यधिक गर्मी और ऊर्जा वापस अंतरिक्ष में चली जाती है।

पृथ्वी तक पहुंचने वाली सूर्य की रोशनी की यह कमी वैश्विक मद्धिम के रूप में जानी जाती है।

स्वास्थ्य और पर्यावरण प्रभाव:

प्रदूषक जो कि वैश्विक मद्धिम के मुख्य कारण हैं वह धुंध, सांस की समस्याओं, और अम्ल वर्षा जैसी विभिन्न मानव और पर्यावरण संबंधी समस्याओं का भी मुख्य कारण बनते हैं। वैश्विक मद्धिम के कारण बहुत बड़ी संख्या में जीवों का बिनाश हो सकता है।

जलवायु वैज्ञानिक इस घटना का अध्ययन कर रहे हैं और उनका मानना है कि गर्मी के प्रतिविंब ने उत्तरी गोलार्द्ध में पानी को ठंडा बना दिया। परिणाम-स्वरूप उत्तरी अफ्रीका के साहेल क्षेत्रों में कम बारिश हुई और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी बारिश पहुंचने में नाकाम रही है ।

सन 1970 और 1980 में वर्षा नहीं होने के कारण भारी अकाल पड़ गया था जिसका जलवायु विज्ञानी भी कभी सही कारण (वर्षा नहीं होने का) जानने में विफल रहे। IN SABKA KARAN यह था कि मद्धिम मॉडल द्स्तावेजों में उल्लेख किया था जिसमें हल्का निष्कर्ष यह निकला था कि: "हमारे निकास पाइप और बिजली स्टेशनों [यूरोप और उत्तरी अमेरिका] से क्या बाहर निकला जो भूख और भुखमरी के साथ अफ्रीका में एक लाख लोगों की मौत और 50 लाख से अधिक पीड़ितों" के लिए जिम्मेदार है या इसमें योगदान दिया।

अनुमान है कि एशिया में अरबों लोग इसी तरह के प्रभाव से प्रभावित रहें होंगे। वैज्ञानिकों का कहना है कि वैश्विक मद्धिम प्रभाव केवल लाखों पर ही नहीं बल्कि अरबों पर होगा। एशियाई मानसून दुनिया की आधी आबादी के लिए बारिश लाता है। यदि इस वायु प्रदूषण और वैश्विक मद्धिम का एशियाई मानसून पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है तो 3 अरब से ज्यादा लोग प्रभावित हो सकते हैं। इसके साथ-साथ जीवाश्म ईधन का जलना कन्ट्रेल्स (आकाश में ऊंची उड़ान से विमानों का वाष्प) वैश्विक मद्धिम का अन्य कारण हैं।

11 सितंबर, 2001 को अमेरिका पर हुए आतंकी हमले के बाद से सभी वाणिज्यिक उड़ानों को अगले तीन दिनों के लिए बंद कर दिया गया था। इसने जलवायु वैज्ञानिकों को पर्यावरण पर तब यह प्रभाव देखने को मिला कि जब कोई कंट्रेल्स (आकाश में ऊंची उड़ान से विमानों का वाष्प)  आकाश में नहीं उड़ता है तो तापमान पर क्या प्रभाव पड़ता है। वैज्ञानिकों ने यह पाया कि इन दिनों के दौरान तापमान लगभग 1 सेंटीग्रेड तक बढ़ा था।

वैश्विक मद्धिम ग्लोबल वार्मिंग की वास्तविक शक्ति छिपा रही है:

ऊपर दिए गये वैश्विक मद्धिम के प्रभाव डर का मार्ग प्रशस्त करते हैं कि वैश्विक मद्धिम ग्लोबल वार्मिंग की वास्तविक शक्ति को छिपा/कम रही है।

वर्तमान में, अधिकतर जलवायु परिवर्तन के मॉडलों में अगली सदी में 5 डिग्री तापमान की वृद्धि का अनुमान है जिसे पहले से ही अत्यंत गंभीर माना जा रहा है। हालांकि, वैश्विक मद्धिम ने ग्लोबल वार्मिंग की शक्ति के मूल्य को समझने के लिए प्रेरित किया है।

वैश्विक मद्धिम को कार्बन उत्सर्जन में कमी करके रोका जा सकता है। हालांकि, यदि वैश्विक मद्धिम की समस्या को हल करने का प्रयास किया जाता है तो ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव में और अधिक वृद्धि होगी। यह 2003 में यूरोप में हुई घटना जैसा हो सकता है।

यूरोप में, उत्सर्जन को साफ करने के लिए कई उपाय किये गये हैं ताकि प्रदूषण फ़ैलाने वाले कारको को ग्रीन हाउस गैसों में कमी किये बिना कमी लायी जा सके। इसके कुछ प्रभाव भी पड़े हैं:

इस घटना के कारण सहल के कुछ इलाकों में सूखे और कम वारिश कि समस्या को कम किया जा सका है । हालांकि ऐसा माना जाता है कि इसका कारण 2003 में यूरोपीय गर्म हवा में योगदान देना हो सकता है जिससे फ्रांस में हजारों लोग मारे गये थे, पुर्तगाल के जंगलों में आग लग गयी थी और पूरे महाद्वीप में कई अन्य समस्यांए भी कारण हो सकती हैं।

दस्तावेजों में उल्लेख है कि वैश्विक मद्धिम को कम करने के कारण ग्लोबल वार्मिंग में तेजी से वृद्धि होगी। अपरिवर्तनीय क्षति केवल 30 वर्ष की दूरी पर होगी। वैश्विक स्तर के प्रभावों में शामिल हैं:

ग्रीनलैंड में बर्फ के पिघलने से समुद्र के जल स्तर में और अधिक बढोत्तरी होगी। इसका प्रभाव विश्व के कई शहरों पर पड़ेगा और सूखे हुए उष्णकटिबंधीय वर्षा वाले वनों के जलने का खतरा बढ़ जाएगा। यह वातावरण में और अधिक कार्बन डाइऑक्साइड रिलीज करेगा, जिससे आगे  भी ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव बढेगा। (कुछ देश अपने उत्सर्जन लक्ष्य के भाग के रूप में "कार्बन सिंक" का उपयोग करने के लिए मजबूर हैं।

Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
... Read More

आप जागरण जोश पर भारत, विश्व समाचार, खेल के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए समसामयिक सामान्य ज्ञान, सूची, जीके हिंदी और क्विज प्राप्त कर सकते है. आप यहां से कर्रेंट अफेयर्स ऐप डाउनलोड करें.

Trending

Latest Education News