संसदीय मंच (पार्लियामेंट्री फोरम)

Dec 30, 2015, 10:25 IST

संसदीय मंचों के गठन का उद्देश्य हैः कार्यान्वयन प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए परिणामोन्मुख दृष्टिकोण के साथ महत्वपूर्ण मुद्दों पर नोडल मंत्रालयों के संबंधित मंत्रियों, विशेषज्ञों और प्रमुख अधिकारियों के साथ सदस्यों के बातचीत और चर्चा के लिए मंच उपलब्ध कराना। चिंता के प्रमुख क्षेत्रों के साथ–साथ जमीनी हकीकत के बारे में सदस्यों को जागरुक बनाना और उन्हें नवीनतम जानकारी, ज्ञान, तकनीकी अनुभव और देश एवं विदेश दोनों ही के विशेषज्ञों से महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करना ताकि सदन और अन्य संसदीय समितियों की बैठक में वे इन मुद्दों को प्रभावशाली तरीके से पेश कर सकें।

संसदीय मंचों के गठन का उद्देश्य हैः कार्यान्वयन प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए परिणामोन्मुख दृष्टिकोण के साथ महत्वपूर्ण मुद्दों पर नोडल मंत्रालयों के संबंधित मंत्रियों, विशेषज्ञों और प्रमुख अधिकारियों के साथ सदस्यों के बातचीत और चर्चा के लिए मंच उपलब्ध कराना।

15वीं (पंद्रहवीं) लोकसभा में 8 मंच हैं जिसका वर्णन नीचे किया जा रहा हैः

संसदीय मंचों के गठन का उद्देश्य हैः

  1. कार्यान्वयन प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए परिणामोन्मुख दृष्टिकोण के साथ महत्वपूर्ण मुद्दों पर नोडल मंत्रालयों के संबंधित मंत्रियों, विशेषज्ञों और प्रमुख अधिकारियों के साथ सदस्यों के बातचीत और चर्चा के लिए मंच उपलब्ध कराना।
  2. चिंता के प्रमुख क्षेत्रों के साथ– साथ जमीनी हकीकत के बारे में सदस्यों को जागरुक बनाना और उन्हें नवीनतम जानकारी, ज्ञान, तकनीकी अनुभव और देश एवं विदेश दोनों ही के विशेषज्ञों से महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करना ताकि सदन और अन्य संसदीय समितियों की बैठक में वे इन मुद्दों को प्रभावशाली तरीके से पेश कर सकें।
  3. संबंधित मंत्रालयों, संयुक्त राष्ट्र, स्वयंसेवी संगठनों, इंटरनेट, अखबार आदि जैसे विभिन्न स्रोतों से प्रासंगिक जानकारी लेने के बाद प्रत्येक संसदीय मंच के दायरे में आने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों का डाटाबेस तैयार करना और उसे सदस्यों को देना ताकि वे मंच (फोरम) की बैठकों में होने वाली चर्चाओं में सार्थक भागदारी कर सकें।

संरचना

सभी संसदीय मंचों( फोरम) का पदेन अध्यक्ष स्पीकर होते हैं सिर्फ जनसंख्या और जन स्वास्थ्य पर बने संसदीय  फोरस को छोड़कर क्योंकि राज्यसभा अध्यक्ष इसके पदेन अध्यक्ष होते हैं और लोकसभा के स्पीकर पदेन उपाध्यक्ष।

प्रत्येक मंच (फोरम) में 31 से अधिक सदस्य नहीं हो सकते ( फोरम के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को छोड़कर)। इसमें 21 सदस्य लोकसभा से और 10 सदस्य राज्य सभा के होते हैं।

जल संरक्षण और प्रबंधन पर संसदीय फोरम

जल संरक्षण और प्रबंधन पर गठित संसदीय फोरम के कार्य

  1. जल संबंधी समस्याओं की पहचान करना और संबंधित सरकार/ संगठानों द्वारा उचित कार्रवाई करने के लिए विचारार्थ अनुशंसाएं करना।  
  2. संसद सदस्यों को उनके संबंधित राज्यों/ निर्वाचन क्षेत्रों में जल संसाधनों के संरक्षण और बढ़ोतरी के कार्यों में शामिल करने के तरीकों की पहचान करना।
  3. जल संरक्षण और उसके प्रभावी प्रबंधन हेतु जागरुकता पैदा करने के लिए सेमिनारों/ कार्यशालाओं का आयोजन करना।

बच्चों पर संसदीय फोरम (मंच)

बच्चों पर संसदीय फोरम (मंच) के कार्य

  1. बच्चों की बेहतरी को प्रभावित कर रहे महत्वपूर्ण मुद्दों की तरफ संसद सदस्यों का ध्यान आकर्षित करना और उनमें ऐसे मुद्दों के प्रति जागरुकता बढ़ाना।
  2. कार्यशालाओं, सेमिनारों, अभिविन्यास कार्यक्रमों आदि के माध्यम से संसद सदस्यों हेतु, बच्चों से संबंधित विचारों, दृष्टिकोणों, अनुभवों, विशेषज्ञताओं, प्रथाओं के आदान– प्रदान के लिए, मंच प्रदान करना ।
  3. बच्चों के मुद्दों पर प्रकाश डालने के लिए स्वयंसेवी क्षेत्र, मीडिया और कॉरपोरेट क्षेत्र समेत संसद सदस्यों को नागरिक समाज के साथ इंटरफेस प्रदान करना।
  4. दुनिया भर में, विशेषज्ञ रिपोर्टों, अध्ययनों, खबरों और प्रवृत्ति विश्लेषण (ट्रेंड एनालिसिस) पर संसद सदस्यों को संयुक्त राष्ट्र की विशेषज्ञ एजेंसियों  और अन्य तुलनात्मक बहुपक्षीय एजेंसियों के साथ बातचीत करने में सक्षम बनाना।

युवाओं पर संसदीय फोरम (मंच)

युवाओं पर संसदीय फोरम (मंच) के कार्य इस प्रकार हैं–

  1. विकास की पहलों में तेजी लाने के लिए युवाओं के साथ मानव पूंजी का लाभ उठाने के लिए रणनीति पर विचार– विमर्श करना।
  2. आर्थिक– सामाजिक बदलाव को प्रभावित करने के लिए युवा शक्ति की क्षमता पर जमीनी स्तर और जनता के नेताओं के बीच जागरुकता बढ़ाना।
  3. नियमित आधार पर युवा प्रतिनिधियों और नेताओं से बातचीत करना ताकि उनकी उम्मीदों, आकांक्षाओं, चिंताओं और समस्याओं को बेहतर तरीके से समझा जा सके।
  4. लोकतांत्रिक संस्थाओं में उनके विश्वास और प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करने के लिए विभिन्न वर्गों के युवाओं तक संसद की पहुंच के रास्तों पर विचार करना और उनकी सक्रिए भागीदारी को प्रोत्साहित करना।
  5. युवा रोजगार के मामले में लोक नीति से संबंधित विशेषज्ञों, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय शिक्षाविदों और सरकारी एजेंसियों के साथ विचार– विमर्श करना।

जनसंख्या और स्वास्थ्य संबंधी संसदीय फोरम (मंच):
फोरम (मंच) के कार्य हैं–

  1. जनसंख्या स्थिरीकरण से संबंधित रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करना।
  2. जन स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करना और रणनीतियां तैयार करना।
  3. समाज के सभी वर्गों में बड़े पैमाने पर जनसंख्या नियंत्रण और जन स्वास्थ्य से संबंधित, जागरुकता पैदा करना खासकर जमीनी स्तर पर।
  4. राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तरों पर विशेषज्ञों के साथ जनसंख्या और जन स्वास्थ्य के मामले पर व्यापक वार्ता और चर्चा करना और डब्ल्यूएचओ, संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष, शिक्षाविद और सरकारी एजेंसियों जैसी बहुपक्षीय संगठनों के साथ बातचीत करना।

ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन पर संसदीय फोरम (मंच)

फोरम (मंच) के कार्य इस प्रकार हैं–

  1. ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन से संबंधित समस्याओं की पहचान करना और ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लए संबंधित सरकारों/ संगठनों के विचारार्थ और उचित कार्रवाई हेतु अनुशंसाएं देना।
  2. नई प्रौद्योगिकियों को विकसित कर ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन पर काम करने वाली राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय निकायों के विशेषज्ञों के साथ बातचीत में संसद सदस्यों को शामिल करने का रास्ता ढूंढ़ना।
  3. ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के कारण और प्रभावों के बारे में जागरुकता पैदा करने के लिए सेमिनार/ कार्यशालाओं का आयोजन करना।
  4. ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन से बचाव के लिए संसद सदस्यों द्वारा जागरुकता फैलाने हेतु रास्ते तलाशना।

आपदा प्रबंधन पर संसदीय फोरम (मंच)

फोरम (मंच) के कार्य इस प्रकार हैं–

  1. आपदा प्रबंधन से संबंधित मामलों की पहचान करना और आपदा के प्रभाव को कम करने के लिए संबंधित सरकार/ संगठनों द्वारा की जाने वाली उचित कार्रवाई और विचारार्श अनुशंसा करना।
  2. नई प्रौद्योगिकियों को विकसित कर आपदा के प्रभावों को काम करने वाली राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय निकायों के विशेषज्ञों के साथ बातचीत में संसद सदस्यों को शामिल करने का रास्ता ढूंढ़ना।
  3. आपदाओं के कारण और प्रभावों के बारे में जागरुकता पैदा करने के लिए सेमिनारों/ कार्यशालाओं का आयोजन करना।

शिल्पकारों और कारीगरों पर संसदीय फोरम (मंच)

फोरम (मंच) के कार्य हैं–

  1. शिल्पकारों और कारीगरों को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों के प्रति जागरुकता बढ़ाना और सांसदों का ध्यान आकर्षित करना।
  2. कार्यशालाओं, सेमिनारों, अभिविन्यास कार्यक्रमों आदि के जरिए शिल्पकारों और कारीगरों से संबंधित विचारों, दृष्टिकोणों, अनुभवों, विशेषज्ञताओं, प्रथाओं के आदान–प्रदान हेतु सांसदों के लिए मंच मुहैया कराना।
  3. विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों, खादी ग्राम उद्योग आयोग (केवीआईसी), कॉयर बोर्ड और लोक कार्यक्रम और ग्रामीण प्रौद्योगिकी विकास परिषद (कपार्ट) और अन्य संबंधित संगठनों/ निकायों जैसे सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ सांसदों की बातचीत संभव कराना।
  4. कला एवं परंपरागत हस्तशिल्प के संरक्षण से संबंधित मामलों पर व्यापक वार्ता और चर्चा कराना और राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तरों पर शिल्पकारों और कारीगरों को प्रोत्साहित करना।

सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों पर संसदीय फोरम (मंच)

फोरम (मंच) के कार्य इस प्रकार हैं

  1. साल 2015 तक सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों के तहत निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने संबंधि महत्वपूर्ण मुद्दों की समीक्षा करना और सांसदों में उसके प्रति जागरुकता बढ़ाना और उनका ध्यान उस ओर आकर्षित करना।
  2. सांसदों के लिए सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों के कार्यान्वयन से संबंधित विचारों, दृष्टिकोणों, अनुभवों, विशेषज्ञता, प्रथाओं के आदान–प्रदान हेतु मंच मुहैया कराना।
  3. सहस्राब्दि विकास लक्ष्यों से सम्बंधित मुद्दों को सामने लाने के लिए नागरिक समाज के साथ सांसदों को इंटरफेस प्रदान करना।
  4. सांसदों को विशेषज्ञ संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और अन्य तुलनात्मक बहुपक्षीय एजेंसियों, विशेषज्ञ रिपोर्ट, अध्ययनों, खबरों और प्रवृति विश्लेषण (ट्रेंड एनालिसिस) आदि  के साथ वार्ता में सक्षम बनाना।
Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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