सन्डे को ही छुट्टी क्यों होती है? क्या कभी सोचा है!

वर्तमान समय में हमलोग रविवार को छुट्टी के दिन के रूप में मनाते हैं लेकिन क्या आपको इसके पीछे का कारण पता है। क्यों केवल रविवार को ही भारत में सार्वजनिक अवकाश के रूप में घोषित किया गया है। श्री नारायण मेघाजी लोखंडे के प्रयासों के फलस्वरूप 10 जून 1890 को ब्रिटिश सरकार द्वारा रविवार को छुट्टी के दिन के रूप में घोषित किया गया|

Sep 1, 2016, 11:34 IST

वर्तमान समय में हमलोग रविवार को छुट्टी के दिन के रूप में मनाते हैं लेकिन क्या आपको इसके पीछे का कारण पता है। क्यों केवल रविवार को ही भारत में सार्वजनिक अवकाश के रूप में घोषित किया गया है। इसके पीछे एक लंबा संघर्ष चला था और कई दुर्घटनाएं भी घटी थी। आइये हम रविवार को छुट्टी के दिन के रूप में घोषित किये जाने के पीछे के कारणों का पता करते हैं।

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ब्रिटिश शासन के दौरान मिल मजदूरों को सातों दिन काम करना पड़ता था और उन्हें कोई छुट्टी नहीं मिलती थी| उस समय ब्रिटिश अधिकारी प्रार्थना के लिए हर रविवार को चर्च जाया करते थे लेकिन मजदूरों के लिए ऐसी कोई परंपरा नहीं थी| उन दिनों में मिल मजदूरों के एक नेता जिनका नाम श्री नारायण मेघाजी लोखंडे था, उन्होंने अंग्रेजों के सामने साप्ताहिक छुट्टी का प्रस्ताव रखा और कहा कि हमलोग खुद के लिए और अपने परिवार के लिए 6 दिन काम करते हैं, अतः हमें एक दिन अपने देश की सेवा करने के लिए मिलना चाहिए और हमें अपने समाज के लिए कुछ विकास के कार्य करने चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने मजदूरों से कहा कि रविवार हिंदू देवता “खंडोबा” का दिन है और इसलिए इस दिन को साप्ताहिक छुट्टी के रूप में घोषित किया जाना चाहिए। लेकिन उनके इस प्रस्ताव को ब्रिटिश अधिकारियों ने अस्वीकार कर दिया। इसके बावजूद लोखंडे ने अपना प्रयास जारी रखा और अंततः 7 साल के लम्बे संघर्ष के बाद 10 जून 1890 को ब्रिटिश सरकार ने आखिरकार रविवार को छुट्टी का दिन घोषित किया| हैरानी की बात यह है कि भारत सरकार ने कभी भी इसके बारे में कोई आदेश जारी नहीं किए हैं।

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श्री नारायण मेघाजी लोखंडे के बारे में मत्वपूर्ण तथ्य:


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श्री लोखंडे भारत में श्रम आंदोलन के एक प्रमुख नेता थे और उन्हें न केवल 19 वीं सदी में कपड़ा मिलों में कार्यप्रणाली में बदलाव के लिए याद किया जाता है, बल्कि जात-पात और सांप्रदायिकता सम्बन्धी मुद्दों पर उनके द्वारा किये गए पहल के लिए भी याद किया जाता है। उन्हें भारत में ट्रेड यूनियन आंदोलन के जनक के रूप में भी जाना जाता था। वे महात्मा ज्योतिबा फुले के सहयोगी थे जिन्होंने लोखंडे की मदद से भारत के पहले कामगार संगठन “बांबे मिल एसोसिएशन” की शुरूआत की थी। भारत सरकार ने 2005 में उनकी तस्वीर वाली एक डाक टिकट भी जारी की थी ।                         

लोखंडे द्वारा किये गए प्रमुख कार्य निम्न हैं:

लोखंडे के प्रयासों के फलस्वरूप मिल मजदूरों को रविवार को साप्ताहिक छुट्टी, दोपहर में आधे घंटे की खाने की छुट्टी और हर महीने की 15 तारीख को मासिक वेतन दिया जाने लगा था |इसके अलावा लोखंडे की वजह से मिलों में कार्य प्रारंभ के लिए सुबह 6:30 का समय और कार्य समाप्ति के लिए सूर्यास्त का समय निर्धारित किया गया था |

Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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