यह बात तो एक निर्विवाद सच है कि बिना अर्थ के कोई तंत्र नही होता है, इसी कारण रुपये की अनुपस्थिति में किसी भी दुनिया की कल्पना भी नही की जा सकती है. जब रुपये का अविष्कार नही हुआ था तब मनुष्य ने वस्तु विनिमय व्यवस्था का सहारा लिया और जब वस्तु विनिमय व्यवस्था की कमियों के कारण मनुष्य की जरूरतें पूरी होने में बाधा आने लगी तब मुद्रा का अविष्कार किया गया था.
इस लेख में मुद्रा के अविष्कार से लेकर उसके बारे में अन्य 7 रोचक बातों का वर्णन किया गया है.
1. रुपये के रूप में सबसे पहले गायों का इस्तेमाल
आप यह जानकर हैरान हो जायेंगे कि मनुष्य ने रुपये के रूप में सबसे पहले गायों का इस्तेमाल किया गया था. 9,000 BC के आस पास मनुष्य ने अपनी जरुरत की वस्तुओं एवं सेवाओं के लिए पशुओं का इस्तेमाल किया था. दरअसल मनुष्य ने रुपये के रूप में उन वास्तुओं का इस्तेमाल किया है जिनको मूल्यवान माना जाता था और जो कि पुन: उपयोग करने योग्य हों या पुन: व्यापार योग्य माना जाता हों. इन वस्तुओं में पशुधन, अनाज अनाज के बोरे, सजावटी सामान जैसी कौड़ी और धातु के टुकड़े आदि को मुद्रा के रूप में प्रयोग किया गया था.
मुद्रा के रूप में गायों का प्रयोग सिर्फ 9th BC तक ही था लेकिन 10th BC में सिक्का प्रणाली विकसित कर ली गयी थी. 700 और 500 ईसा पूर्व के बीच, भारत, चीन और एजियन सागर के आसपास के शहरों ने अलग-अलग सिक्कों का निर्माण शुरू कर दिया था.
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2. चीनीयों ने 7 वीं शताब्दी में कागजी मुद्रा का आविष्कार किया था
तांग राजवंश के दौरान पेपर मुद्रा को विकसित करना शुरू हुआ क्योंकि व्यापारियों और थोक विक्रेताओं को तांबा सिक्का लादकर ले जाने में दिक्कत होती थी. 960 BCE तक सोंग राजवंश के पास तांबा ख़त्म हो गया था इसलिए इसने कागज के नोट इस वचन के साथ जारी करने शुरू कर दिए कि उन्हें बाद में ताम्बे के सिक्कों से बदल दिया जायेगा. लेकिन रुपये को इस्तेमाल करने में होने वाली सुविधा के कारण 12 वीं शताब्दी की शुरुआत में, 26 लाख नोट्स छापे गए थे.
13 वीं शताब्दी तक, मार्को पोलो और विलियम जैसे यात्रियों द्वारा कागज के नोट्स का विचार चीन से यूरोप लाया गया था. 1695 में, बैंक ऑफ इंग्लैंड, फ्रांस के खिलाफ युद्ध के लिए पैसा जुटाने के लिए कागज के नोटों को स्थायी रूप से जारी करने वाला पहला बैंक बन गया था.
3. डॉलर बिल को बक्स(Bucks)क्यों कहा जाता है?
डॉलर के बिल को "बक्स" भी कहा जाता है. एक थ्योरी के अनुसार 18 वीं सदी में हिरन की खाल का कई अन्य चीजें बदलने के लिए इस्तेमाल किया जाता था. वस्तुओं का विनिमय इस प्रकार होता था जैसे; 2 बक्स के बदले में 10 शराब की बोतलें. इस प्रकार पुराने समय में चीजों को खरीदने के लिए "बक्स" से भुगतान किया जाता था. यही कारण हैं कि वर्तमान समय में भी लोग कहते हैं कि फलां चीज को खरीदने के लिए मैंने इतने "बक्स" खर्च किये हैं.
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4. जर्मनी में एक "पाव रोटी" का मूल्य 1 ख़रब मार्क
1923 में जर्मनी में महंगाई दर इतनी बढ़ गयी थी कि जर्मन मार्क की विनिमय दर 1$=9 मार्क से बढ़कर 1$=4.2 ख़राब मार्क हो गई थी. जर्मनी में एक पाव रोटी की कीमत 2 खरब मार्क तक पहुँच गयी थी. और तो और हालात इतने ख़राब थे कि लोग अपने आप को गर्म रखने के लिए लकड़ी खरीदने की बजाये जर्मन मार्क जलाते थे क्योंकि ऐसा करना अधिक सस्ता था. इस समय में हालात इतने ख़राब थे कि मजदूर लोग अपनी सैलरी को सूटकेसों और बैलगाड़ी में लेकर आते थे. चोर भी इतने समझदार थे कि सूटकेस में भरे जर्मन मार्क को बाहर निकाल देते थे और सिर्फ सूटकेस ही चुरा ले जाते थे. इस देश में महंगाई इतनी तेजी से बढ़ी थी कि एक आदमी जब घर से एक “पाव रोटी” खरीदने के लिए 1 ख़रब मार्क लेकर निकला तो जब तक वह दुकान पर पहुँच पाता तब तक एक “पाव रोटी” की कीमत बढ़कर 2 खरब मार्क तक पहुँच गयी थी. इस बढती हुई मुद्रास्फीति का कारण यह था कि जर्मनी ने प्रथम विश्व युद्ध का पूरा खर्च उधार के पैसे से किया था इस कारण वहां की अर्थव्यवस्था में जर्मन मार्क की पूर्ती बहुत अधिक हो गयी थी.
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5. कागज के नोट्स में ब्रेल लिपि का इस्तेमाल
स्विट्जरलैंड, कनाडा, मैक्सिको, भारत, रूस और इज़राइल के नोटों में ब्रेल लिपि की तरह कुछ उभरे हुए निशान लगे होते हैं जो कि अंधे लोगों की मदद के लिए बनाये जाते हैं. भारत में आपने 20 रुपये और 100 रुपये के नोटों में बायीं तरफ एक उभरा हुआ निशान देख होगा जबकि 500 रुपये के नोट में यह दायीं ओर होता है. जब भी अंधे लोगों को किसी नोट को पह्चाहना होता है तो ये लोग इसी उभरे हुए निशान की मदद से नोट को पहचान लेते हैं.
6. विश्व का सबसे महंगा सिक्का
1791 में, अमेरिकी कांग्रेस ने एक राष्ट्रीय टकसाल स्थापित करने के लिए एक संयुक्त प्रस्ताव पारित किया, और टकसाल को आधिकारिक तौर पर 1792 के सिक्का अधिनियम द्वारा अधिकृत किया गया था. हालांकि, सिक्के की ढलाई 1794 तक शुरू नहीं हो सकी थी. "लहराते हुए बालों" की इमेज वाला पहला सिक्का 1794 में बनाया गया था. अभी हाल ही में इस नायब सिक्के की नीलामी अमेरिका में $1 करोड़ डॉलर में हुई है. इस प्रकार 1794 में बनाया गया यह सिक्का विश्व का सबसे महंगा सिक्का बन गया है.
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7. डॉलर के निशान का विकास कैसे हुआ है?
वास्तव में कोई भी यह नही जानता कि डॉलर के प्रतीक की उत्पत्ति की सही कहानी क्या है. एक थ्योरी के अनुसार इसकी उत्पत्ति "स्पेन के पैसो" से हुई है जिसमे “PS”शब्दों को यदि आपस में मिला दिया जाये तो डॉलर जैसी आकृति का चिन्ह बन जाता है.
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इस प्रकार हमने इस लेख में देखा कि डॉलर की उत्पत्ति किस प्रकार हुई और प्रथम विश्व युद्ध में अधिक खर्च करने के कारण जर्मनी में कितनी अधिक मुद्रा स्फीति आ गयी थी.
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