राष्ट्रपति एवं राज्यपाल की वीटो शक्तियों में क्या अंतर होता है?

Mar 22, 2017, 16:30 IST

जिस प्रकार राष्ट्रपति पूरे देश का नाममात्र का प्रधान होता है उसी प्रकार एक प्रदेश का राज्यपाल भी नाममात्र का प्रधान होता हैl सही मायने में जो काम राष्ट्रपति केंद्र सरकार के लिए करता है वही काम राज्यपाल प्रदेश सरकार के लिए करता है l दरअसल राज्यपाल राज्य में केंद्र सरकार का प्रतिनिधि होता है जो कि केंद्र सरकार को राज्य की कार्य प्रणाली के बारे में बताता रहता है l

जिस प्रकार राष्ट्रपति पूरे देश का नाममात्र का प्रधान होता है उसी प्रकार एक प्रदेश का राज्यपाल भी नाममात्र का प्रधान होता हैl सही मायने में जो काम राष्ट्रपति केंद्र सरकार के लिए करता है वही काम राज्यपाल प्रदेश सरकार के लिए करता है l दरअसल राज्यपाल राज्य में केंद्र सरकार का प्रतिनिधि होता है जो कि केंद्र सरकार को राज्य की कार्य प्रणाली के बारे में बताता रहता हैl
 President of India
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सामान्य विधेयकों से सम्बंधित राष्ट्रपति की वीटो पॉवर
प्रत्येक साधारण विधेयक जब संसद के दोनों सदनों, (चाहे अलग-अलग या संयुक्त बैठक द्वारा) से पारित होकर आता है तो इस मामले में राष्ट्रपति के पास 3 विकल्प होते हैं l
I. यदि वह विधेयक को स्वीकृति दे देता है तो फिर वह “विधेयक” अधिनियम बन जाता है l
II. वह विधेयक को स्वीकृति रोक सकता है ऐसी स्थिति में विधेयक पारित नही हो पायेगा और अधिनियम नही बन पायेगा l
III. वह सदन के पास विधेयक को पुनः विचार के लिए भेज सकता है, यदि विधेयक दुबारा(परिवर्तित या अपरिवर्तित) उसके पास भेजा जाता है तो उसे अपनी सहमती देनी ही पड़ती है l
सामान्य विधेयकों से सम्बंधित राज्यपाल की वीटो पॉवर:
प्रत्येक साधारण विधेयक को विधानमंडल के सदन या दोनों सदनों द्वारा पारित कर इसे राज्यपाल के हस्ताक्षर के लिए भेजा जाता है l इस मामले में राज्यपाल के पास 4 विकल्प होते हैं:
I. वह विधेयक को स्वीकृति प्रदान कर सकता है और इसके साथ ही विधेयक अधिनियम बन जाता है l
II. वह विधेयक को स्वीकृति रोक सकता है ऐसी स्थिति में विधेयक पारित नही हो पायेगा और अधिनियम नही बन पायेगा l
III. वह विधेयक को सदन के विचारार्थ भेज सकता है, यदि विधेयक दुबारा(परिवर्तित या अपरिवर्तित) उसके पास भेजा जाता है तो उसे अपनी सहमती देनी ही पड़ती है l इस तरह राज्यपाल के पास केवल स्थगन वीटो की शक्ति है l
IV. राज्यपाल किसी विधेयक को राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए सुरक्षित रख सकता है, ऐसा करने के बाद उस विधेयक में राज्यपाल की भूमिका यहीं पर समाप्त हो जाती है अर्थात उस विधेयक को स्वीकृति देना या न देना पूर्णतः राष्ट्रपति पर निर्भर करता है l

धन विधेयक के बारे में राष्ट्रपति की वीटो पॉवर:
इस सम्बन्ध में संसद द्वारा पारित वित्त विधेयक को जब राष्ट्रपति के पास अनुमति के लिए भेजा जाता है तो उसके पास 2 विकल्प होते हैं :
I. वह विधेयक को स्वीकृति प्रदान करता है ताकि वह अधिनियम बन सके l
II. यदि वह स्वीकृति न दे तो विधेयक समाप्त हो जाता है और अधिनियम नही बन पायेगाl हालांकि राष्ट्रपति इस शक्ति का प्रयोग नही करता है क्योंकि धन विधेयक राष्ट्रपति से पूछ कर ही पेश किया जाता है l

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‘धन विधेयक’ के बारे में राज्यपाल की वीटो पॉवर:
जब कोई वित्त विधेयक, राज्य विधानमंडल द्वारा पारित करके भेजा जाता है तो राज्यपाल के पास 3 विकल्प होते हैं;
I. वह विधेयक को स्वीकृति प्रदान करता है ताकि वह अधिनियम बन सके l
II.यदि वह स्वीकृति न दे तो विधेयक समाप्त हो जाता है और अधिनियम नही बन पायेगा
III. विधेयक को राष्ट्रपति के विचारार्थ रख लेता है और राज्य विधान मंडल को वापिस नही कर सकताl
क्षमादान के मामले में राष्ट्रपति एवं राज्यपाल की तुलनात्मक शक्तियां:

क्षमादान के मामले में राष्ट्रपति की शक्तियां:
I. वह केन्द्रीय विधि के विरुद्ध किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए किसी व्यक्ति के दण्ड को क्षमा, दण्ड का निलंबन या सजा को कम कर सकता है l
II. वह मौत की सजा को क्षमा, कम या स्थगित कर सकता है या मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल सकता हैl यह अधिकार केवल राष्ट्रपति के पास हैl
III. वह कोर्ट मार्शल (सैन्य अदालत)के तहत सजा पाये गए व्यक्ति की सजा को माफ़ कर सकता है, कम कर सकता है या बदल सकता है l

क्षमादान के मामले में राज्यपाल की शक्तियां:
I. वह राज्य विधि के तहत किसी अपराध में सजा प्राप्त व्यक्ति की सजा को माफ़ कर सकता है कम कर सकता है और स्थगित कर सकता हैl
II. वह मृत्यु दण्ड की सजा को माफ़ नही कर सकता, लेकिन वह मौत की सजा को स्थगित कर सकता है या पुनर्विचार के लिए कह सकता हैl

राष्ट्रपति और राज्यपाल की न्यायिक शक्तियों की तुलना:
I.  राष्ट्रपति जब सम्बंधित राज्य के उच्च न्यायलय के न्यायधीश की नियुक्ति करता है तो वह सम्बंधित राज्य के राज्यपाल से परामर्श जरूर करता है l
II.  राज्यपाल उच्च न्यायलय के साथ विचार करके जिला न्यायधीशों की नियुक्ति, स्थानांतरण और प्रोन्नति कर सकता है l
III. राष्ट्रपति किसी के मृत्यु दण्ड को माफ़ कर सकता है लेकिन राज्यपाल ऐसा नही कर सकता है l
इस प्रकार सामान्य विधेयकों,धन विधेयक और क्षमादान के मामलों में राष्ट्रपति एवं राज्यपाल की वीटो शक्तियां कुछ मामलों को छोड़कर लगभग एक जैसी ही हैं लेकिन अंतर सिर्फ इतना है कि राष्ट्रपति केंद्र के लिए कार्य करता है और राज्यपाल “राज्य” के लिए l
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Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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