कई वर्षों से हमारे देश में वीआईपी संस्कृति चल रही है. प्रधानमंत्री मोदी द्वारा नेताओं की गाड़ियों से लाल बत्ती हटाने के निर्णय के बावजूद भी भारत में वीआईपी संस्कृति का प्रभाव समाप्त नहीं हुआ है. भारत में वीआईपी संस्कृति का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव यह है कि यहां कुछ हजार वीआईपी व्यक्तियों की सुरक्षा में पूरा पुलिस महकमा लगा रहता है, पर ऐसा आम नागरिकों की सुरक्षा के लिए नहीं होता है. ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च ऐंड डवलपमेंट और गृह मंत्रालय के अनुसार देश में लगभग 20,000 वीआईपी की सुरक्षा के लिए हर वक्त तीन पुलिसकर्मी तैनात होते हैं और दूसरी तरफ आम आदमी की सुरक्षा में लगभग 663 व्यक्ति पर सिर्फ एक ही पुलिसकर्मी तैनात होता है.ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि आम आदमी की सुरक्षा का कोई पुख्ता इंतजाम नहीं हैं. इस लेख में वर्तमान समय में भारत में पुलिसकर्मियों की संख्या एवं आम नागरिक तथा वीआईपी व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मियों की उपलब्धता का विवरण दे रहे हैं.
भारत में पुलिसकर्मियों की संख्या
भारत सरकार के नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में आम नागरिकों की सुरक्षा हेतु पुलिसकर्मियों की भारी कमी के बावजूद देश के लगभग 20,000 वीआईपी व्यक्तियों में से प्रत्येक की सुरक्षा के लिए औसतन तीन पुलिस कर्मचारी की नियुक्ति की गई है. भारतीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाली संस्था “ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट” (BPR&D) द्वारा जारी आकड़ों से पता चलता है कि वर्तमान समय में देश में कुल 19.26 लाख पुलिसकर्मी है.
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इनमें से लगभग 56,944 पुलिसकर्मी 29 राज्यों और 6 केंद्रशासित प्रदेशों के 20,828 वीआईपी व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए तैनात किए गए हैं अर्थात देश में हर वीआईपी के लिए औसतन 2.73 पुलिसकर्मी नियुक्त किए गए हैं. लक्षद्वीप भारत का एकमात्र राज्य/केंद्रशासित प्रदेश है जहां किसी भी वीआईपी व्यक्ति की सुरक्षा में पुलिसकर्मियों की नियुक्ति नहीं की गई है.
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भारत में आम नागरिकों की सुरक्षा में नियुक्त पुलिसकर्मियों की संख्या
आम नागरिकों की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों की संख्या के लिहाज से देखें तो दुनिया के देशों की सूची में भारत का स्थान सबसे नीचे है. भारत में एक पुलिसकर्मी के पास लगभग 663 आम नागरिकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है. भारत में सुरक्षा के लिए अपने चारों ओर पुलिसकर्मियों को रखना असुरक्षा की भावना से अधिक प्रतिष्ठा का प्रतीक बन गया है.
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हालांकि केन्द्र सरकार ने वीआईपी संस्कृति को समाप्त करने के उद्देश्य से लाल बत्तियों पर प्रतिबंध जैसे कदम उठाए हैं, लेकिन कई राज्यों ने कुछ लोगों के “जीवन के लिए खतरा” का हवाला देते हुए अपने नियम बनाए हैं और कई लोगों को व्यक्तिगत सुरक्षा प्रदान करने के लिए पुलिस का इस्तेमाल करते हैं.
भारत में वीआईपी व्यक्तियों की संख्या की राज्यवार स्थिति
“ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट” (BPR&D) द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में वीआईपी संस्कृति उत्तरी एवं पूर्वी राज्यों में सबसे अधिक प्रचलित है. सबसे कम पुलिस-जनसंख्या अनुपात (police population ratio) वाले राज्य बिहार में वीआईपी व्यक्तियों की संख्या सर्वाधिक है. यहां लगभग 3,200 वीआईपी व्यक्तियों की सुरक्षा में लगभग 6,248 पुलिसकर्मी नियुक्त हैं. इसी प्रकार पश्चिम बंगाल में लगभग 2,207 वीआईपी व्यक्तियों की सुरक्षा में 4,233 पुलिसकर्मी नियुक्त है, जबकि पश्चिम बंगाल में वीआईपी व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए केवल 501 पुलिसकर्मियों की नियुक्ति को स्वीकृति प्रदान की गई थी.
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भारत में सबसे अधिक वीआईपी व्यक्तियों की संख्या के लिहाज से जम्मू-कश्मीर राज्य तीसरे स्थान पर है. यहां लगभग 2,075 वीआईपी व्यक्तियों की सुरक्षा में 4,499 पुलिसकर्मियों को नियुक्त किया गया है. जम्मू-कश्मीर के बाद इस सूची में अगला नाम उत्तर प्रदेश का है, जहां 1,901 वीआईपी व्यक्तियों की सुरक्षा में लगभग 4,681 पुलिसकर्मी नियुक्त हैं. इसी प्रकार पंजाब में 1,852 वीआईपी व्यक्तियों की सुरक्षा में लगभग 5,315 पुलिसकर्मी नियुक्त हैं.
भारत की राजधानी दिल्ली, जो प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति जैसे विशिष्ट व्यक्तियों का निवास स्थान है, यहां रहने वाले विशिष्ट व्यक्तियों की संख्या लगभग 489 हैं, लेकिन उनकी सुरक्षा में नियुक्त पुलिसकर्मियों की संख्या लगभग 7,420 है, जो पूरे देश में सर्वाधिक है. वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारियों का मानना हैं कि दिल्ली में वीआईपी व्यक्तियों की सुरक्षा में नियुक्त पुलिसकर्मियों की संख्या उचित है क्योंकि यहां संसद, सर्वोच्च न्यायालय एवं विभिन्न मंत्रालय जैसी संस्थाएं कार्यरत हैं.
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“ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट” (BPR&D) द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है वीआईपी व्यक्तियों की संख्या के लिहाज से दक्षिणी भारतीय राज्यों की स्थित बेहतर है. आकड़ों के अनुसार महाराष्ट्र में रहने वाले वीआईपी व्यक्तियों की संख्या केवल 74 है, जिनकी सुरक्षा में लगभग 74 पुलिसकर्मी नियुक्त हैं, जबकि केरल में वीआईपी व्यक्तियों की संख्या केवल 57 है, जिनकी सुरक्षा में लगभग 214 पुलिसकर्मी नियुक्त हैं.
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