हम में से अधिकांश व्यक्ति बचपन से ही कहानियां पढ़ने और सुनने के शौकीन होते हैं और यदि वह कहानी डरावनी या भूत-प्रेतों से जुड़ी हो तो उसे पढ़ना और सुनना भी रोमांचकारी होता है. इसी तरह हमारे देश में कुछ ऐसे किले, शहर या गाँव भी हैं, जिनके साथ कई डरावनी कहानियां जुड़ी हुई है. लेकिन क्या आप भारत के उस एकमात्र किले से परिचित हैं, जिससे जुड़ी हुई भूतिया कहानियों के कारण भारत सरकार द्वारा सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद वहां जाने पर रोक लगा दी गई है. इस लेख में हम उस भूतिया किले से जुड़ी कहानियों का विस्तृत विवरण दे रहे हैं.
ऐसा किला जहां कानूनी रूप से सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद जाना मना है
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राजस्थान के अलवर जिले में स्थित भानगढ़ का किला भारत का एकमात्र ऐसा किला है जहां कानूनी रूप से सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद जाना मना है. यह किला विश्व प्रसिद्ध सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान के नजदीक स्थित है. इस किले का निर्माण 1573 में आमेर के राजा भगवंत दास ने करवाया था. बाद में 1613 में मानसिंह के छोटे भाई माधो सिंह ने इस किले को अपनी राजधानी बनाया.
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भानगढ़ से जुड़ी भूतिया कहानी
1. तांत्रिक सिंधु सेवड़ा का श्राप: लोगों का मानना है कि बहुत समय पहले इस स्थान पर रत्नावती नाम की बहुत सुंदर राजकुमारी रहती थी जिस पर काला जादू करने वाले तांत्रिक सिंधु सेवड़ा की कुदृष्टि थी. तांत्रिक ने अपने जादू से राजकुमारी को अपने वश में कर उसका शारीरिक शोषण किया था. लेकिन एक दुर्घटना के चलते उस तांत्रिक की मृत्यु हो गई और आज भी उस तांत्रिक की आत्मा वहीं भटकती रहती है. तांत्रिक के श्राप के अनुसार वह स्थान कभी भी बस नहीं सकता है और वहां रहने वाले लोगों की मृत्यु हो जाती है, लेकिन उनकी आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती है.
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2. बाबा बालकनाथ का श्राप: तपस्वी बाबा बालकनाथ को राजी कर राजा भगवंत दास ने इस किले का निर्माण किया था. लेकिन बाबा बालकनाथ ने राजा को पहले ही यह हिदायत दे दी थी कि जिस पल तुम्हारे महल की छाया मुझपर या मेरी झोपड़ी पर पड़ी उसी पल तुम्हारा राज और यह महल समाप्त हो जाएगा. भगवंत दास ने उन्हें यह वचन दिया कि वह अपने महल को इतना ऊंचा नहीं करेंगे कि उसकी छाया कभी भी तपस्वी बाबा की झोपड़ी पर पड़े. लेकिन भगवंत दास के देहांत के बाद उनके ही वंश के अजब सिंह ने महल का निर्माण करवाया और उसे उतनी ऊंचाई दे दी की महल की छाया साधु के आवास पर पड़ने लगी. उसी पल साधु का श्राप समूचे राज्य को अपनी चपेट में ले लिया और वह स्थान खंडहर में तब्दील हो गया.
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उपरोक्त वर्णित कहानियों में कितनी सच्चाई है यह कहा नहीं जा सकता है, क्योंकि इसके बारे में पुख्ता सबूत किसी के पास नहीं हैं. वर्तमान में भानगढ़ के किले की देख रेख भारत सरकार द्वारा की जाती है और किले के चारों तरफ भारतीय पुरातत्व विभाग की टीम मौजूद रहती है. भारतीय पुरातत्व विभाग ने यहां आने वालों को सख्त हिदायत दे रखी है कि यहां सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद कोई भी रूक नहीं सकता है.
गौर करने वाली बात यह है कि अमूमन भारतीय पुरातत्व विभाग ने हर संरक्षित क्षेत्र में अपने ऑफिस बनवाये हैं, लेकिन इस किले के संरक्षण के लिए पुरातत्व विभाग ने अपना ऑफिस भानगढ़ से दूर बनाया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भानगढ़ का किला अवश्य ही एक भूतिया स्थल है.
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