वस्तु एवं सेवा कर (GST) एक ऐसा अप्रत्यक्ष कर है जो कि सभी प्रकार के अप्रत्यक्ष करों जैसे सेवा कर, बिक्री कर, उत्पाद कर, मनोरंजन कर, चुंगी कर इत्यादि को ख़त्म कर देगा. यह नयी कर प्रणाली पूरे देश में 1 जुलाई से लागू हो जायेगी. भारत में इसके लागू होने से देश की GDP में 1% से 2% का वृद्धि होने का अनुमान है. सरकार ने इस कर के अंतर्गत 5 प्रकार की कर की दरों (0,5,12,18 और 28)को बनाया है ताकि जरूरी वस्तुओं और सेवाओं पर कम कर लगाकर लोगों के कल्याण को बढाया जा सके. इस लेख में हमने इस कर से देश और लोगों को होने वाले फायदों के बारे में बताने के साथ साथ यह भी बताया है कि इस कर व्यवस्था को लागू करने में सरकार के सामने किस प्रकार की समस्याएं आ सकती हैं.
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वस्तु एवं सेवा कर (GST) के क्या के फायदे हैं?
1. वस्तु एवं सेवा कर के पूरे देश में लागू हो जाने के बाद कर के ऊपर कर लगाने की प्रथा ख़त्म हो जायेगी.
2. नयी कर व्यवस्था में सभी प्रकार के अप्रत्यक्ष करों (उत्पाद कर, सीमा शुल्क, सेवा कर, बिक्री कर,चुंगी कर और मनोरंजन कर इत्यादि) ख़त्म हो जायेंगे जिससे देश में सिर्फ “एक समान कर व्यवस्था” लागू हो जायेगी.
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3. वस्तु एवं सेवा कर (GST) में पूरे देश में सभी वस्तुओं एवं सेवाओं पर समान दर से कर लगाया जायेगा, जिससे हर प्रदेश में वस्तुओं की कीमतें समान होंगी इस कारण वस्तुओं की एक राज्य से दूसरे राज्य में कालाबाजारी रुकेगी.
4. अभी कई वस्तुओं एवं सेवाओं पर कर की दरें अधिक हैं जिसके कारण लोग कर वंचन करते हैं और उपभोक्ता भी कम मात्रा में चीजों को खरीदते हैं जिससे उत्पादन कम होता है और सरकार को कम मात्रा में कर मिलता है. लेकिन नयी कर पद्धति में कर की दरें कम होंगी जिससे वस्तुओं एवं सेवाओं की कीमतें कम होंगी इसलिए उनकी मांग बढ़ेगी और सरकार की कर आय बढ़ेगी.
5. वस्तु एवं सेवा कर में कर की दरें कम होने के कारण व्यापारी और उत्पादक कर वंचन नही करेंगे जिसके कारण अधिक लोग कर के दायरे में आयेंगे और अन्ततः देश के सकल घरेलू उत्पाद में 1 से 2 % तक की वृद्धि संभव होगी.
6. वस्तु एवं सेवा कर (GST) निर्यात को बढ़ावा देगा क्योंकि जब उत्पादन की लागत गिरती है तो भारतीय वस्तुएं और सेवाएं विदेशी बाजारों में अधिक प्रतिस्पर्धी हो जाएंगी अर्थात कम कीमत पर विदेशियों को मिलेगीं जिससे विदेश में उनकी मांग बढ़ेगी.
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7. देश में भ्रष्टाचार को कम करने के मदद मिलेगी क्योंकि इसमें सभी दुकानदारों के लिए पक्की बिल रसीद देना जरुरी होगा साथ ही उन्हें अपना आयकर रिटर्न ऑनलाइन भरना होगा जिससे भी कर व्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ेगी.
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वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू करने में चुनौतियाँ
1. देश के विभिन्न राज्यों में करों को लगाने, माफ़ करने, कम करने की अलग अलग दशाएं और प्राथमिकतायें होती हैं जिन्हें वस्तु एवं सेवा कर लागू होने पर दरकिनार कर दिया जायेगा.
2. हर राज्य में कर से सम्बंधित प्रशासन तंत्र अलग तरीके से काम करता है लेकिन वस्तु एवं सेवा कर के लागू होने पर यह केंद्र सरकार के अनुसार काम करेगा जो कि हो सकता है कि कुछ राज्यों को पसंद ना आये, खासकर उन राज्यों को जहाँ पर बीजेपी की सरकार नही है.
3. भारत में दुकानदारों का एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा है जो कि कम पढ़ा लिखा या तकनीकी अनभिज्ञता के कारण करों के नियमों और उसकी डिटेल को इन्टरनेट के माध्यम से नही भर सकता है.
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4. कई लेन देनों (transactions)की प्रकृति ‘वस्तु और सेवा’ दोनों तरह की होती है ऐसे में उसे वस्तु मानकर कर लगाया जायेगा या सेवा मान कर, इसका निर्धारण करना केंद्र सरकार के लिए काफी चुनौती भरा होगा.
5. सरकार ने पहले से ही वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) स्थापित कर लिया है। अब जीएसटीएन को जीएसटी पोर्टल विकसित करना है जो कि करदाताओं के पंजीकरण, रिटर्न दाखिल, टैक्स भुगतान, करने में काम आएगा. इसलिए केंद्र सरकार को वस्तु एवं सेवा कर लागू करने के लिए एक मजबूत आईटी नेटवर्क की जरुरत होगी जो कि अभी मुश्किल जान पड़ता है क्योंकि अभी तक देश की 20% जनसंख्या के पास तो बिजली ही नही है इन्टरनेट तो दूर की बात है.
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6. अभी सरकारों (केंद्र और राज्य दोनों) के पास ऐसे लोगों की कमी है जो कि वस्तु एवं सेवा कर के सभी तकनीकी पहलुओं (कानून और प्रक्रिया) को भली भांति समझते हों ताकि लोगों की आशंकाओं का निराकरण किया जा सके.
सारांश के रूप में यह कहा जा सकता है कि वस्तु एवं सेवा कर (GST) देश में एक नयी कर व्यवस्था की शुरुआत तो अवश्य करेगी और अगर सब कुछ योजना के अनुसार चला तो देश की आय में वृद्धि भी होगी. अब सरकार के सामने मुख्य समस्या इस कर प्रणाली को लेकर राज्यों में प्रशिक्षित लोगों की कमी को दूर करना और तकनीकी पिछड़ापन से निपटना ही बचता है.
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