बेनामी सपत्ति किसे कहते हैं?
यह ऐसी संपत्ति होती है जिसे किसी दूसरे के नाम से लिए जाता है लेकिन इसकी कीमत का भुगतान कोई अन्य व्यक्ति करता है l या फिर कोई व्यक्ति अपने नाम का प्रयोग किसी अन्य व्यक्ति को किसी मकान, जमीन या अन्य कोई संपत्ति खरीदने के लिए करने देता है l इसके अलावा दूसरे नामों से बैंक खातों में फिक्स्ड डिपाजिट कराना भी बेनामी संपत्ति मानी जाती है l
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बेनामदार किसे कहा जाता है ?
जिसके नाम पर ऐसी संपत्ति खरीदी गई होती है, उसे 'बेनामदार' कहा जाता है। बेनामी संपत्ति चल या अचल संपत्ति या वित्तीय दस्तावेजों के तौर पर हो सकती है। कुछ लोग अपने काले धन को ऐसी संपत्ति में निवेश करते हैं जो उनके खुद के नाम पर ना होकर किसी और के नाम होती है। ऐसे लोग संपत्ति अपने पत्नी-बच्चों, मित्रों, नौकर, या किसी अन्य परिचित के नाम पर खरीद लेते हैं l
सरल शब्दों में कहें तो बेनामी संपत्ति खरीदने वाला व्यक्ति कानून मिलकियत अपने नाम नहीं रखता लेकिन संपत्ति पर मालिकाना हक रखता हैl
बेनामी सपत्ति का विकास क्यों हुआ है ?
दरअसल कुछ लोग रिश्वत या अन्य तरीकों से काला धन जमा कर लेते हैं लेकिन उन्हें इस बात का डर रहता है कि यदि वे लोग अपने नाम से कोई संपत्ति खरीदेंगे तो इनकम टैक्स विभाग के लोग उनसे यह पूछ सकते हैं कि उनके पास इतना रुपया कहां से आया l इसलिए लोग कर चोरी करने के लिए बेनामी संपत्ति खरीद लेते हैं l सभी बेनामी संपत्तियों में काला धन ही इस्तेमाल किया जाता है l
किसे बेनामी संपत्ति नही माना जायेगा ?
यदि किसी ने भाई, बहन या अन्य रिश्तेदारों, पत्नी या बच्चों के नाम से संपत्ति खरीदी है और इसके लिए भुगतान आय के ज्ञात स्रोतों से किया गया है यानी इसका जिक्र आयकर रिटर्न में किया गया है तो इसे बेनामी संपत्ति नही माना जायेगा l इसके साथ ही संपत्ति में साझा मालिकाना हक जिसके लिए भुगतान घोषित आय से किया गया हो, को भी बेनामी संपत्ति नही माना जायेगा l लेकिन अगर सरकार को किसी सम्पत्ति पर अंदेशा होता है तो वो उस संपत्ति के मालिक से पूछताछ कर सकती है और उसे नोटिस भेजकर उससे उस सम्पत्ति के सभी कागजात मांग सकती है जिसे मालिक को 90 दिनों के अंदर दिखाना होगा।
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बेनामी सपत्ति कानून क्या है
भारत में बढ़ते काले धन की समस्या से निजात पाने के लिए सरकार ने नवम्बर 2016 में नोटबंदी लागू की थी ; इसी दिशा में सरकार ने बेनामी सपत्ति कानून, 1988 में परिवर्तन किया है और 2016 में इसमें संशोधन किया गया तथा संशोधित कानून 01 नवम्बर, 2016 से लागू हो गया। संशोधित बिल में बेनामी संपत्तियों को जब्त करने और उन्हें सील करने का अधिकार है। संसद ने अगस्त 2016 में बेनामी सौदा निषेध क़ानून को पारित किया था; इसके प्रभाव में आने के बाद मौजूदा बेनामी सौदे (निषेध) कानून 1988 का नाम बदलकर बेनामी संपत्ति लेन-देन क़ानून 1988 कर दिया गया हैl
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नया कानून क्या कहता है ?
बेनामी संपत्ति संशोधन कानून की परिभाषा बदली गयी है इसमें बेनामी लेन देन करने वालों पर अपीलीय ट्रिब्यूनल और सम्बंधित संस्था की तरफ से जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है l इस संशोधन के बाद उस संपत्ति को भी बेनामी माना जायेगा जो कि किसी फर्जी नाम से खरीदी गयी है l अगर संपत्ति के मालिक को ही पता नही हो कि संपत्ति का असली मालिक कौन है तो ऐसी संपत्ति को भी बेनामी संपत्ति माना जायेगा l
उदाहरण के लिए : किसी ने अपने नाम का प्रयोग अपने किसी परिचित व्यक्ति को करने दिया और उस परिचित व्यक्ति ने किसी तीसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति के नाम से संपत्ति खरीदवाई l इस हालत में जिसके नाम से संपत्ति खरीदी गयी है उसको खरीदी गयी संपत्ति के असली मालिक का पता नही होगा , यदि जाँच में इस तरह का मामला सामने आया तो इस तरह की संपत्ति भी बेनामी मानी जायेगी l
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कितनी सजा का प्रावधान है ?
इस नए कानून के अन्तर्गत बेनामी लेनदेन करने वाले को 3 से 7 साल की जेल और उस प्रॉपर्टी की बाजार कीमत पर 25% जुर्माने का प्रावधान है। अगर कोई बेनामी संपत्ति की गलत सूचना देता है तो उस पर प्रॉपर्टी के बाजार मूल्य का 10% तक जुर्माना और 6 महीने से 5 साल तक की जेल का प्रावधान रखा गया है। इनके अलावा अगर कोई ये सिद्ध नहीं कर पाया की ये सम्पत्ति उसकी है तो सरकार द्वारा वह सम्पत्ति जब्त भी की जा सकती है।
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ब्लैक मनी कैसे बाहर आयेगी ?
अब सम्पत्ति को आधार और पैन कार्ड से जोड़ा जायेगा, जिसके नाम सम्पत्ति है उसे नोटिस भेजा जायेगा कि वह अपनी संपत्ति को आधार पर पैन से जोड़े l अगर किसी ने किसी और व्यक्ति को संपत्ति दिला रखी है तो उसे भी नोटिस जायेगा कि संपत्ति को पैन और आधार से जोड़ो और नकली मालिक तब पकड़ा जायेगा जब वह इनकम टैक्स रिटर्न भरेगा (क्योंकि इनकम टैक्स विभाग नकली मालिक से उसकी आय के स्रोतों के बारे में पूछेगा और इस प्रकार असली अपराधी पकड़ा जायेगा)l
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इस प्रकार कहा जा सकता है कि वर्तमान सरकार कालेधन को ख़त्म करने के लिए पूरी तरह से कृत संकल्प है और आने वाले समय में इसके सकारात्मक परिणाम अर्थव्यवस्था में दिखायी देंगे l
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