केंद्र सरकार ने बढ़ती महंगाई को देखते हुए जरूरी खाद्य पदार्थों की कीमतों को सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी कदम उठाया है. इसके तहत सरकार ने सस्ते आटे पर अपना ध्यान केन्द्रित किया है. सरकार अब सब्सिडीयुक्त आटा 27.50 रुपये प्रति किलो की दर से बेच रही है.
भारत सरकार ने खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों और त्यौहारी सीजन को देखते हुए यह फैसला लिया है. इस फैसले से आम नागरिकों को मदद मिलने वाली है. साथ ही लोगों को खाद्य मुद्रास्फीति से भी राहत मिलेगी. गौरतलब है कि पर्याप्त घरेलू उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए गेहूं के निर्यात पर पहले ही प्रतिबंध लगाया जा चुका है.
प्रधानमंत्री @NarendraModi जी ने निभाया जनसेवा का कर्तव्य।
— Piyush Goyal Office (@PiyushGoyalOffc) November 6, 2023
इसी कड़ी में मंत्री @PiyushGoyal ने आज कर्तव्य पथ से हरी झंडी दिखाकर शुरू की नई पहल #BharatAtta... pic.twitter.com/KzwhyiE42E
27.50 रुपये प्रति किलो मिलेगा सरकारी आटा:
केंद्र सरकार ने बाजार मूल्य के मुकाबले 27.50 रुपये प्रति किलोग्राम की रियायती कीमत पर गेहूं का आटा आम लोगों के लिए उपलब्ध कराने का फैसला लिया है. जो अभी मार्केट में 40-45 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच है.
'भारत आटा' ब्रांड हुआ लांच:
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में 'भारत आटा' ब्रांड के तहत आटा की बिक्री के लिए 100 मोबाइल वैन को हरी झंडी दिखाई. केंद्र सरकार ने खुदरा स्तर पर कम कीमतें सुनिश्चित करने के लिए खुले बाजार में बिक्री के लिए इसे पेश किया है.
कहां से खरीद सकते हैं ये आटा?
सरकार ने बताया कि भारत आटा क्रमशः 10 किलोग्राम और 30 किलोग्राम के पैकेट में उपलब्ध होगा. यह आटा NAFED (नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड) और NCCF (नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया) जैसी सहकारी समितियों पर उपलब्ध होगा.
इसके अतिरिक्त आम लोगों इस आटे को मदर डेयरी जैसे आउटलेट से भी ख़रीदा जा सकता है. बढ़ती महंगाई को देखते हुए सरकार ने आटे की कीमत 29.5 रुपये से घटाकर 27.5 रुपये प्रति किलो कर दिया है. 'भारत आटा' ब्रांड के अंतर्गत एमआरपी 27.50 रुपये प्रति किलोग्राम से अधिक नहीं होगी.
ओपन मार्केट सेल स्कीम:
ओपन मार्केट सेल स्कीम के अंतर्गत 2.5 लाख मीट्रिक टन गेहूं 21.50 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से अर्ध-सरकारी तथा सहकारी संगठनों यानी केंद्रीय भंडार, नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया और NAFED को आटा में बदलने और इसे जनता को बेचने के लिए आवंटित किया गया है.
मुफ्त खाद्यान्न कार्यक्रम का विस्तार:
रिपोर्ट की मानें तो केंद्र की मोदी सरकार मुफ्त खाद्यान्न कार्यक्रम को अगले पांच साल के लिए बढ़ाने का फैसला किया है. इसका उद्देश्य 80 करोड़ लोगों को खाद्यान्न की बढ़ती कीमतों से बचाना है. इसके जरिये किसानों से सीधे गेहूं व चावल की खरीद भी सुनिश्चित होगी.
सरकार ने निर्यात पर लगा रखी है रोक:
पर्याप्त घरेलू उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए गेहूं के निर्यात पर पहले ही प्रतिबंध लगा दिया गया है. साथ ही सरकार ने गैर-बासमती चावल के निर्यात पर भी प्रतिबंध लगा दिया है और बासमती चावल के निर्यात के लिए 950 डॉलर का न्यूनतम मूल्य निर्धारित किया है.
कितना बढ़ेगा सरकारी खर्च:
मुफ्त खाद्यान्न कार्यक्रम के विस्तार से एक ओर जहां आम लोगों को सस्ते में खाद्यान्न उपलब्ध होगा वहीं दूसरी ओर सरकारी खर्च भी बढ़ने वाला है. इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाने में सालाना करीब 2 लाख करोड़ रुपये का खर्च आने वाला है.
भारत दाल योजना:
सरकार जरूरी खाद्य पदार्थों की कीमतों को सुनिश्चित करने के लिए पहले ही भारत दाल (दाल) योजना भी शुरू की थी, जिसके तहत चना दाल क्रमशः 1 किलो के पैकेट के लिए 60 रुपये और 30 किलो के पैकेट के लिए 55 रुपये प्रति किलो पर बेचा जा रहा है. सरकार दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में लगभग 150 स्थानों पर 25 रुपये प्रति किलोग्राम पर प्याज भी बेच रही है.
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