Captain Vikram Batra Birth Anniversary: जानिए कैप्टन विक्रम बत्रा से जुडी कुछ खास बातें

भारतीय सेना में परमवीर चक्र हासिल करना बहुत गौरव की बात होती है. बहुत कम वीर ऐसे हुए हैं जिन्हें युद्ध में अदम्य साहस का यह सर्वोच्च सम्मान हासिल हो पाता है. 

Vikash Tiwari
Sep 9, 2021, 10:11 IST
Vikram Batra Birthday Anniversary: 5 lesser known facts about 'Shershaah'
Vikram Batra Birthday Anniversary: 5 lesser known facts about 'Shershaah'

शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा की आज 47वीं जयंती है. 9 सितंबर 1974 को पालमपुर में जी.एल. बत्रा और कमलकांता बत्रा के घर विक्रम का जन्म हुआ था. हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में विक्रम बत्रा का जन्म हुआ था. विक्रम की स्कूली पढ़ाई पालमपुर में ही हुई. सेना छावनी का इलाका होने की वजह से विक्रम बचपन से ही सेना के जवानों को देखते थे. कहा जाता है कि यहीं से विक्रम खुद को सेना की वर्दी पहने देखने लगे.

भारतीय सेना में परमवीर चक्र हासिल करना बहुत गौरव की बात होती है. बहुत कम वीर ऐसे हुए हैं जिन्हें युद्ध में अदम्य साहस का यह सर्वोच्च सम्मान हासिल हो पाता है. कैप्टन विक्रम बत्रा ऐसे वीर थे जिन्हें केवल 24 साल की उम्र में ही कारगिल युद्ध में मरणोपरांत यह गौरव हासिल हुआ था. इस युद्ध में कैप्टन बत्रा ने साहस के साथ बेहतरीन रणकौशल और धैर्य  का परिचय दिया.

कैप्‍टन विक्रम बत्रा से जुडी कुछ खास बातें

स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद विक्रम बत्रा आगे की पढ़ाई के लिए चंडीगढ़ चले गए. कॉलेज में वे एनसीसी एयर विंग में शामिल हो गए. कॉलेज के दौरान ही उन्हें मर्चेंट नेवी के लिए चुना गया था, लेकिन उन्होंने अंग्रेजी में एमए के लिए दाखिला ले लिया. इसके बाद विक्रम सेना में शामिल हो गए.

स्तानक की पढ़ाई के दौरान ही विक्रम बत्रा मर्चेंट नेवी के लिए हॉन्गकॉन्ग की कंपनी में चयनित  हुए थे, लेकिन उन्होंने बढ़िया नौकरी की जगह देशसेवा को तरजीह दी. कैप्टन बत्रा को अपने आप पर पूरा भरोसा था.

 स्नातक की पढ़ाई के बाद उन्होंने संयुक्त रक्षा सेवा की तैयारी शुरू कर दी. साल 1996 में इसके साथ ही सर्विसेस सिलेक्शन बोर्ड में भी चयनित होककर और इंडियन मिलिट्री एकेडमी से जुड़ने के साथ वे मानेकशॉ बटालियन का हिस्सा बने.

उन्हें दिसंबर 1997 जम्मू में सोपोर में 13 जम्मूकश्मीर राइफ्लस में लेफ्टिनेट पद पर नियुक्ति मिली जिसके बाद जून 1999 में कारगिल युद्ध में ही वे कैप्टन के पद पर पहुंच गए. इसके बाद कैप्टन बत्रा की टुकड़ी को श्रीनगर-लेह मार्ग के ऊपर महत्वपूर्ण 5140 चोटी को मुक्त करवाने की जिम्मदारी दी गई.

कैप्टन ने अपने टुकड़ी  का बखूबी नेतृत्व किया और 20 जून 1999 के सुबह साढ़े तीन बचे चोटी को अपने कब्जे में ले लिया. इसके बाद उन्हें रेडियो पर अपनी जीत पर कहा ये दिल मांगे मोर जो हर देशवासी की जुबां पर चढ़ गया.

विक्रम बत्रा की टुकड़ी को इसके बाद 4875 की चोटी पर कब्जा करने की जिम्मेदारी मिली. इस बार भी वे सफल हुए लेकिन बहुत जख्मी हो गए. उन्होंने 7 जुलाई 1999 को चोटी पर भारत का कब्जा होने से पहले अपनी टुकड़ी के साथ कई पाकिस्तान सैनिकों को खत्म करते हुए अपने प्राणों की आहूति दे दी.

कैप्टन बत्रा की बहादुरी के लिए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र का सम्मान दिया गया. 4875 की चोटी को भी विक्रम बत्रा टॉप से जाना जाता है. वीर जवान की कहानी घर-घर तक पहुंचाने के लिए हिंदी फिल्म जगत में उनपर एक बायोपिक भी बनी है.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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