रॉ एजेंट (RAW Agents) की जीवनशैली से संबंधित कुछ रोचक तथ्य

जब हम रॉ एजेंटों या किसी सीक्रेट इंटेलिजेंस एजेंट की जीवन शैली के बारे में सोचते हैं तो हमारे ज़ेहन में जेम्स बॉण्ड की फिल्मों की तस्वीरें घूमने लगती है और हम एक्शन, तहकीकात, साजिश जैसे दृश्यों के बारे में सोचने लगते हैं, लेकिन क्या वास्तव में यह सच है? क्या वास्तविक जीवन में भी ऐसा ही होता है? कुछ सीक्रेट इंटेलिजेंस एजेंट केवल कागजी कारवाई करते हैं लेकिन कुछ एजेंटों का कार्य काफी रोमांचकारी एवं जोखिम भरा भी होता है| कई बार ये एजेंट विदेशी भाषा अनुवादक, संचार अधिकारी, कॉल सेंटर सहायक, टेक्नीशियन, नेटवर्क विशेषज्ञ एवं भर्ती अधिकारी आदि के रूप में हमारे देश की सीक्रेट इंटेलिजेंस एजेंसियों की सहायता करते हैं|

Oct 4, 2016, 11:28 IST

जब हम रॉ एजेंटों या किसी सीक्रेट इंटेलिजेंस एजेंट की जीवन शैली के बारे में सोचते हैं तो हमारे ज़ेहन में जेम्स बॉण्ड की फिल्मों की तस्वीरें घूमने लगती है और हम एक्शन, तहकीकात, साजिश जैसे दृश्यों के बारे में सोचने लगते हैं, लेकिन क्या वास्तव में यह सच है? क्या वास्तविक जीवन में भी ऐसा ही होता है? वास्तव में कुछ सीक्रेट इंटेलिजेंस एजेंट केवल कागजी कारवाई करते हैं लेकिन कुछ एजेंटों का कार्य काफी रोमांचकारी एवं जोखिम भरा भी होता है| कई बार ये एजेंट विदेशी भाषा अनुवादक, संचार अधिकारी, कॉल सेंटर सहायक, टेक्नीशियन, नेटवर्क विशेषज्ञ एवं भर्ती अधिकारी आदि के रूप में हमारे देश की सीक्रेट इंटेलिजेंस एजेंसियों की सहायता करते हैं|

Source: www.ste.india.com

आइये अब हम जानतें हैं कि रॉ एजेंटों की जीवन शैली कैसी है और वे किस प्रकार कार्य करते हैं?

रॉ एजेंट बनने के बाद जीवन शैली

रॉ एजेंटों को देश-विदेश की यात्राएं करने का अवसर मिलता है और विदेशी भाषाओं की जानकारी उनके लिए लाभाकारी साबित होती है, लेकिन इस पेशे में अकेलापन भी महसूस होता है।
रॉ एजेंटों को काफी जाँच-पड़ताल करनी पड़ती है एवं बैठकों में शामिल होना पड़ता है|
कई बार कुछ सीक्रेट ऑपरेशन काफी जोखिम भरे होते हैं जिसके कारण अधिकारियों की सुरक्षा हेतु उनके नाम की जानकारी किसी को नहीं दी जाती है अतः कोई भी व्यक्ति उन अधिकारियों से संबंधित किसी जानकारी को दूसरे के साथ साझा नहीं कर पाते हैं|
यदि रॉ एजेंट की गोपनीयता किसी के सामने उजागर हो जाती है तो भी वे दृढ़निश्चयी होकर उस परिस्थिति का सामना करते हैं| जैसा कि हम सभी जानते हैं कि प्रत्येक काम में बहुत दबाव होता है फिर भी उस परिस्थिति में खुद को ढालकर जीत प्राप्त की जाती है|

इस संबंध में एक कहानी अजित कुमार डोवल की है जो भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी के रूप में कार्य करने के अलावा इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक भी रह चुके हैं एवं वर्तमान में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं| उन्होंने पाकिस्तान में 7 सालों तक जासूस के रूप में कार्य किया था एवं पाकिस्तान के परमाणु विकास से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी भारत भेजते रहे थे| पाकिस्तान में अपनी पहचान छुपाने के लिए हिन्दू होने के बावजूद वे दरगाह जाते थे, नमाज पढ़ते थे एवं मुसलमानों की संस्कृति को अपनाते थे| ऐसी कठिन परिस्थितियों से जूझने के बावजूद वे अपने मिशन में सफल हुए और सकुशल भारत वापस लौटे|

रॉ एजेंट अपने परिवार और दोस्तों के साथ अपनी पहचान साझा नहीं कर सकते हैं|
वे किसी घटना, लक्ष्य या जानकारी का पीछा करते हैं और इस बात का पता लगाते हैं कि यह घटना कहाँ घटित हुई है एवं इसमें कौन-कौन शामिल है|
कभी-कभी वे आर्थिक और नैतिक रूप से भ्रष्ट अधिकारियों से मिलकर उनके पास से जानकारियाँ इकठ्ठा करते हैं|
मुख्यालय के भीतर इनका जीवन सुरक्षित होता है लेकिन यहाँ भी इनका काम बहुत चुनौतीपूर्ण होता है। अगर किसी खुफिया जानकारी का रहस्योदघाटन होता है तो इसकी पूरी जिम्मेवारी इन्हीं लोगों पर आती है| कभी कभी यदि उनके सहयोगी गिरफ्तार हो जाते हैं तो वे तत्क्षण उससे संबंधित सारी जानकारी मिटा देते हैं एवं उसे पहचानने से इंकार कर देते हैं|
यहाँ तक ​​कि अगर वे हमारे देश के बाहर किसी अभियान में गिरफ्तार हो जाते हैं तो सरकार उनसे पल्ला झाड़ लेती है|
अगर वे ड्यूटी पर मर जाते हैं तो उन्हें सैन्य सम्मान या पदक नहीं दिया जाता है लेकिन अगर वे अपने मिशन को पूरा करने में सफल हो जाते हैं तो वे हमारे देश के कई लोगों की जिन्दगी बचा पाते हैं|

जानें रॉ (RAW) से संबंधित रोचक तथ्य

रॉ एजेंटों को किस प्रकार की ट्रेनिंग दी जाती है आइये हम इस पर चर्चा करते हैं:

• रॉ एजेंट की ट्रेनिंग


रॉ एजेंटों की ट्रेनिंग में कई वर्ष लगते हैं| इन्हें पहले बुनियादी प्रशिक्षण दिया जाता है और बाद में उच्च स्तरीय प्रशिक्षण दिया जाता है।

बुनियादी प्रशिक्षण लगभग 10 दिनों का होता है जिसमें जासूसी की असली दुनिया से उनका परिचय कराया जाता है| उन्हें अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, सूचना सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा, वैज्ञानिक ज्ञान, वित्तीय, आर्थिक और सामरिक विश्लेषण जैसे विषयों से संबंधित जानकारी भी प्रदान की जाती है| इसके अलावा उन्हें सीआईए, आईएसआई, MI6 जैसी अन्य एजेंसियों से संबंधित कुछ मामलों का अध्ययन करवाया जाता है|

उच्च स्तरीय प्रशिक्षण

'बेसिक ट्रेनिंग' पूरा करने के बाद उन्हें फील्ड इंटेलिजेंस ब्यूरो (FIB) में भेजा जाता है जहाँ उन्हें 1-2 वर्षों तक ठंडे क्षेत्रों एवं जंगलों में सुरक्षित रहने के तरीकों एवं गुप्त ऑपरेशनों को संचालित करने के तरीके सिखाये जाते हैं| उन्हें घुसपैठ के तरीके, जाँच-पड़ताल का कार्य, पकड़े जाने की स्थिति में बचने के तरीके एवं  पूछताछ का सामना करने के तरीके भी सिखाये जाते हैं| इसके अलावा उन्हें बातचीत के तरीके एवं मिशन संचालित करने की कला सिखाई जाती है| इसके बाद पुनः उन्हें बेसिक ट्रेनिंग कैम्प में भेज दिया जाता है|

क्या आप रॉ के उद्देश्य, उसकी विशेषता एवं इस काम के लिए आवश्यक योग्यता के बारे में जानते हैं?

रॉ एजेंटों का उद्येश्य

वास्तव में जासूसी, जासूसी एजेंसियों एवं जासूसों का प्रयोग कर सरकारों द्वारा राजनीतिक एवं सैन्य जानकारी प्राप्त करने की प्रथा है| उनका उद्देश्य किसी दूसरे देश की गतिविधियों के बारे में जानकारी इकट्ठा करना, अन्य देशों के सैन्य ऑपरेशन एवं गुप्त ऑपरेशनों से नागरिकों की रक्षा करना एवं एक जासूस के रूप में पकड़े जाने के बाद होने वाले गंभीर परिणामों के बावजूद विदेशी राजनितिज्ञयों के बारे में व्यक्तिगत जानकारी इकठ्ठा करना है|

एक रॉ एजेंट बनने के लिए प्रमुख विशेषताएँ


विविध संस्कृतियों और पृष्ठभूमि के लोगों के साथ प्रभावी ढंग से बातचीत करने की क्षमता होनी चाहिए|
बातचीत का तरीका शानदार होना चाहिए|
उस व्यक्ति में परिपक्वता के साथ-साथ स्वप्रबंधन कौशल भी होनी चाहिए ताकि वह जोखिम का सही आकलन कर सके एवं किसी भी परिस्थिति में अपनी क्षमता के अनुसार उचित निर्णय ले सके|
इसके अलावा उस व्यक्ति में किसी भी दबाव, स्थिति और वातावरण में परिणाम प्राप्त करने का आत्मविश्वास एवं दृढ़ संकल्प होना चाहिए|
इसके अलावा उस व्यक्ति में पेशेवर अंदाज और व्यक्तिगत निष्ठा होनी चाहिए जो कठिन प्रशिक्षण और विकासात्मक कार्यक्रमों के माध्यम से आती है|

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एक रॉ एजेंट के रूप में काम करने के लिए पात्रता

देश का नागरिक होना चाहिए।
आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं होना चाहिए|
आवेदक नशीली दवाओं का आदी नहीं होना चाहिए|
आवेदक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की हो और कम से कम एक विदेशी भाषा पर उसकी पकड़ होनी चाहिए|
आवेदक को हमेशा देश के किसी भी हिस्से में यात्रा करने के लिए तैयार होना चाहिए|
इस जॉब में आवेदन करने से पूर्व अपने दोस्तों या रिश्तेदारों को इसकी जानकारी नहीं देनी चाहिए|
आवेदक  का चरित्र बनावटी नहीं होना चाहिए|

आइये अंत में हम इन बहादुर सैनिकों की भर्ती और वेतन के बारे में जानते हैं|

रॉ एजेंटों की भर्ती और उनका वेतन


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प्रारंभ में, रॉ मुख्य रूप से उन प्रशिक्षित खुफिया अधिकारियों पर निर्भर था, जिनकी सीधी भर्ती होती थी| इन अधिकारियों का संबंध इंटेलिजेंस ब्यूरो के बाहरी विंग से होता था| इसके बाद जब रॉ के कार्यों का विस्तार हुआ तो सेना, पुलिस और भारतीय राजस्व सेवा से भी उम्मीदवारों की भर्ती की गई| बाद में, रॉ में विश्वविद्यालय से स्नातक हुए अभ्यर्थियों की भी भर्ती शुरू की गई|

1983 में रॉ ने अपनी खुद की सेवा प्रभाग रिसर्च एंड एनालिसिस सेवा (RAS) गठित की थी एवं केन्द्रीय स्टाफिंग योजना के तहत ग्रुप ए सिविल सेवकों की नियुक्ति शुरू की थी| इन उम्मीदवारों को सिविल सेवा परीक्षा के सभी चरणों में पास होना पड़ता है और इनमें से सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवारों को रॉ की परीक्षा में भाग लेने की अनुमति दी जाती है| इसके अलावा उम्मीदवार के पास 20 साल का कार्य अनुभव होना चाहिये| यह एक स्थायी नौकरी नहीं है, लेकिन एक व्यक्ति प्रति माह 0.8-1.3 लाख रुपये कमा सकता है।

हमें इन बहादुर सैनिकों को सलाम करना चाहिए जो अपना नाम एवं पहचान खोकर भी हमारी सुरक्षा के लिए काम करते हैं। इस मामले में कश्मीर सिंह एक अपवाद है जिन्हें पंजाब सरकार की ओर से भूमि और धन की प्राप्ति हुई थी| वे पाकिस्तान की जेल में तीन दशकों से भी अधिक समय बिताने के बाद 2008 में भारत वापस आये थे|

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Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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