एसिड (अम्ल): संकल्पना, गुण और उपयोग

एसिड पानी में घुलनशील यौगिक होता है| स्वाद में खट्टा और लिटमस पेपर को लाल रंग का करने एवं क्षार से प्रतिक्रिया कर लवण बनाने में सक्षम होता है और किसी पदार्थ के साथ पानी के घोल में मिलने पर हाइड्रोजन आयन मुक्त करता है| इसमें हम एसिड (अम्ल) की संकल्पना, गुण और उपयोग के बारें में अध्ययन करेंगें |

Jan 17, 2017, 16:20 IST

एसिड पानी में घुलनशील यौगिक होता है| स्वाद में खट्टा और लिटमस पेपर को लाल रंग का करने एवं क्षार से प्रतिक्रिया कर लवण बनाने में सक्षम होता है| 7 से कम मान वाले pH के साथ संक्षारक तरल, किसी पदार्थ के साथ पानी के घोल में मिलने पर हाइड्रोजन आयन मुक्त करता है|

Acid properties and uses

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दूसरे शब्दों में कहें तो, यह एक ऐसा यौगिक है जो हाइड्रोजन के प्रतिस्थापित परमाणु या परमाणों को धारण करता है, जिसका एक हिस्सा या पूरा हिस्सा एक धातु या धनात्मक मूल के अर्थ में प्रतिस्थापित किया जा सकता है| उदाहरण के लिए HCl, HNO3, H2SO4 आदि अम्ल (एसिड) हैं क्योंकि इनमें प्रतिस्थापित हाइड्रोजन परमाणु होते हैं |

एसिड से संबंधित सिद्धांतः

अर्हनीस का आयनिक सिद्धांत (Arrhenius Ionic theory): इस सिद्धांत को 1887 में एक स्वीडिश वैज्ञानिक स्वांते अर्हनीस ने दिया था| इसके अनुसार, एसिड ऐसे पदार्थ होते हैं जो विद्युत आरोपित परमाणुओं या कणों, आयन, को प्राप्त करने के लिए पानी में टूट जाते हैं, इनमें से एक हाइड्रोजन आयन (H+) होता है और हाइड्रॉक्साइड आयन (OH − ) को प्राप्त करने के लिए यह पानी में आयन बनाता है| अब हम सब जानते हैं; हाइड्रोजन आयन अकेले जलीय घोल में नहीं रह सकता, यह पानी के कण के साथ, हाइड्रोनियम आयन (H3O+) के तौर पर संयुक्त स्थिति में मौजूद होता है| व्यवहार में हाइड्रोनियम आयन को अभी भी प्रथानुसार हाइड्रोजन आयन ही माना जाता है |

ब्रॉन्स्टीड और लॉरी का सिद्धांत (Bronsted and Lowry theory): इसे अम्ल और क्षार का प्रोटोन सिद्धांत भी कहा जाता है| इस सिद्धांत को 1923 में एक दानिश रसायनविद् जोहान्स निकोलस ब्रोन्स्टीड और अंग्रेज कमिस्ट थॉमस मार्टिन लॉरी ने स्वतंत्र रूप से प्रतिपादित किया था| इनके अनुसार कोई भी यौगिक जो किसी दूसरे यौगिक में एक प्रोटॉन हस्तांतरित कर सकता है, एसिड (अम्ल है), और जो यौगिक उस प्रोटोन को ग्रहण करता है, बेस (क्षार) कहलाता है| प्रोटॉन इकाई धनात्मक विद्युत आवेश वाला परमाणु कण है, इसे H+ प्रतीक चिन्ह द्वारा प्रस्तुत किया जाता है क्योंकि इसमें हाइड्रोडन परमाणु का नाभिक होता है|

लुईस का इलेक्ट्रॉनिक सिद्धांत (Lewis’s electronic theory) : 1923 में जी. एन. लुईस ने अपना सिद्धांत दिया और  H + एवं  OH – आयनों के बीच प्रतिक्रिया की बात कही | ब्रॉन्स्टीड मॉडल में प्रतिक्रिया में OH – आयन सक्रिय प्रजाति था | यह एक सहसंयोजन बंधन को बनाने के लिए H + को स्वीकार करता है. लुईस मॉडल में H + आयन सक्रिए प्रजाति है, यह एक सहसंयोजन बंधन को बनाने के लिए  OH – आयन से एक जोड़ी इलेक्ट्रॉन को स्वीकार करता है |

Lewis formula

लुईस के एसिड– बेस रिएक्शन सिद्धांत में बेस (क्षार) एक जोड़ी इलेक्ट्रॉन दान में देता है और एसिड (अम्ल) एक जोड़ी इलेक्ट्रॉन स्वीकार करता है | इसलिए लुईस का एसिड ऐसा कोई भी पदार्थ जैसे H + है, जो गैरबंधन वाले इलेक्ट्रॉन्स के एक जोड़ी को स्वीकार कर सकता है | दूसरे शब्दों में, लुईस का एसिड इलेक्ट्रॉन की एक जोड़ी को स्वीकार करने वाला पदार्थ (इलेक्ट्रॉन पेयर एक्सेप्टर) है | लुईस का बेस (क्षार) एक ऐसा पदार्थ, जैसे OH – आयन है, जो गैरबंधन वाले इलेक्ट्रॉनों की एक जोड़ी को दान में दे सकता है | इसलिए लुईस का बेस (क्षार) इलेक्ट्रॉन की जोड़ी का दानकर्ता (इलेक्ट्रॉन पेयर डोनर) है |

महत्वपूर्ण मिश्रधातु और उनके उपयोग की सूची

एसिड (अम्ल) की विशेषताएं

1. स्वाद में खट्टा होता है |
2. ये लिटमस को नीला और मिथाइल को नारंगी रंग का बना देता है |
3. लवण (सॉल्ट) और पानी बनाने के लिए ये क्षार (बेस) और अल्कली से प्रतिक्रिया करता है |
4. HCl, HNO3, और H2SO4 आदि जैसे शक्तिशाली एसिड (अम्ल) जलीय घोल में विद्युत सुचालक होते हैं |

एसिड (अम्ल) के प्रकार

ऑक्सी एसिडः इस प्रकार के एसिड में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन दोनों होता है, जैसे– HNO3, H2SO4 आदि |

हाइड्रा एसिडः इस एसिड में सिर्फ हाइड्रोजन होता है और ऑक्सीजन नहीं होता है, उदाहरण – HCl, HBr, HCN आदि |

एसिड (अम्ल) का प्रयोग

- निर्माण कार्य में इस्तेमाल किए जाने वाले इस्पात को रंगने से पहले एसिड से उपचारित किया जाता है |

- तनु (Dilute) सल्फ्युरिक या हाइड्रोक्लोरिक एसिड किसी भी सतह पर लगी जंग, चाहे वह रंगे हुए सतह पर किन्हीं कारणों से आ गया हो, को हटा देगा |

- कारों की मरम्मत में इस्तेमाल किया जाने वाले रस्ट रिमूवर तनु फॉस्फेरिक एसिड– H3PO4 होता है |

- एसिड का प्रयोग उर्वरकों को बनाने में किया जाता है|

- लाइम स्केल रिमूवरों में कमजोर एसिड होते हैं |

- केटल्स और पाइपों में बनने वाले कैल्शियम कार्बोनेट को लाइम स्केल नाम दिया गया है |

- लाइम स्केल बनने को फर्रिंग भी कहते हैं | लाइम स्केल को हटाने के लिए आप नींबू के रस (सिट्रिक एसिड) या सिरका (इथेनोइक एसिड) का प्रयोग करने की कोशिश कर सकते हैं|

- खाना बनाने में इस्तेमाल किए जाने वाले बेकिंग पाउडर में टारटैरिक एसिड होता है |

- इसका प्रयोग पेट्रोलियम अन्वेषण में, विभिन्न प्रकार के विस्फोटकों को बनाने, रंगों और दवाओं को तैयार करने और बैट्रियों के निर्माण में किया जाता है|

एसिड (अम्ल): संकल्पना, गुण और उपयोग

Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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