Qutub Minar Dispute: भारतीय पुरात्तव विभाग (ASI) ने कुतुब मीनार में पूजा की मांग को लेकर दायर हिंदू पक्ष की याचिका का विरोध किया है. कुतुब मिनार को लेकर जारी विवाद (Qutub Minar Dispute) में अब एक नया मोड़ आया है. बता दें एएसआई ने कहा कि कुतुब मीनार पूजा स्थल नहीं, मौजूदा स्थिति को बदला नहीं जा सकता है.
एएसआई ने कुतुब मीनार परिसर में हिन्दू देवताओं की पुर्नस्थापना एवं पूजा अर्चना का अधिकार मांगे जाने वाली याचिका का विरोध किया है. बता दें जस्टिस निखिल चोपड़ा की बेंच ने हिंदू पक्ष की पूजा के हक वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. कोर्ट ने इस मामले में आदेश सुरक्षित रखते हुए फैसला सुनाने के लिए 09 जून 2022 की तारीख तय की है.
कोर्ट ने मामले पर क्या कहा?
कोर्ट ने मामले पर बड़ी बात कही है. कोर्ट ने कहा कि जब 800 सालों से देवता बिना पूजा के हैं तो उन्हें वैसे ही रहने दें. बता दें कोर्ट ने हिंदू पक्ष से सवाल करते हुए पूछा कि क्या बिना जांच के कैरेक्टर पता लगाया जा सकता है?. इस पर हिंदू पक्ष ने जवाब देते हुए कहा कि जांच करवा कर देख सकते हैं. वहीं, इस पर एएसआई ने कहा कि कोर्ट को तथ्यों एवं रिकॉर्ड को देखना चाहिए.
हिंदू पक्ष के वकील ने क्या कहा?
हिंदू पक्ष के वकील हरि शंकर जैन ने कहा कि कुतुब मीनार को 27 हिन्दू एवं जैन मंदिरों को तोड़कर बनाया गया था. उन्होंने कहा कि यहां आज भी कई हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां मौजूद हैं. हिन्दुओं को इसे देखते हुए कुतुब मीनार परिसर में पूजा करने की इजाजत दी जानी चाहिए. इसके साथ-साथ हिंदू पक्ष का यह भी दावा है यहां 1600 साल पुराना लोहे का स्तंभ एवं पूजा की वस्तु आज भी मौजूद हैं. दावा है कि इस स्तंभ पर संस्कृत में लिए गए श्लोक भी मौजूद हैं.
एएसआई ने क्या कहा?
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने भी कुतुब मीनार परिसर में मंदिरों के जीर्णोद्धार से संबंधित अपील के जवाब में साकेत कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया है. एएसआई ने याचिका का विरोध करते हुए कहा है कि कुतुब मीनार एक स्मारक है तथा इस तरह की संरचना पर कोई भी व्यक्ति मौलिक अधिकार का दावा नहीं कर सकता है. एएसआई ने दायर हलफनामा कहा कि इस जगह पर पूजा करने का कोई अधिकार नहीं दिया जा सकता है.
दायर याचिका में क्या कहा गया है?
बता दें दिल्ली स्थित साकेत कोर्ट में कुतुब मीनार परिसर के अंदर हिंदू देवताओं की पुनर्स्थापना तथा पूजा अर्चना के अधिकार की मांग को लेकर याचिका दाखिल की गई है. इस याचिका में दावा किया गया है कि परिसर में हिंदू देवी-देवताओं की कई मूर्तियां मौजूद हैं. बीते दिनों दिल्ली की एक अदालत ने एएसआई को अगले आदेश तक यहां कुतुब मीनार परिसर से भगवान गणेश की दो मूर्तियों को नहीं हटाने के संबंध आदेश दिए थे.
यह मामला कब उठा?
बता दें यह मामला तब उठा जब यह कहा गया कि कुतुब मीनार परिसर में बनी कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद को एक मंदिर को तोड़कर बनाया गया था. हिंदू पक्ष ने लगभग 120 साल पुराने इसी मंदिर की बहाली की मांग की थी. याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि साल 1198 में मुगल सम्राट कुतुब-दीन-ऐबक के शासन में लगभग 27 हिंदू एवं जैन मंदिरों को अपवित्र तथा बर्बाद कर दिया गया था तथा उन मंदिरों के स्थान पर इस मस्जिद को बनाया गया था.
क्या है विवाद?
कुतुब मीनार (Qutub Minar) को लेकर एक बहुत बड़ा विवाद सामने आया है. दिल्ली स्थित कुतुब मीनार में दो मस्जिद हैं. ये दो मस्जिद कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद तथा मुगल मस्जिद है. इसी महीने मुगल मस्जिद में नमाज पर रोक लगाई गई है. बता दें कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद में देवी-देवताओं की मूर्तियां होने का दावा किया गया है. पूजा की मांग यहां भी की जा रही है.
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