लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सरकार के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार किया है. साथ ही उन्होंने कहा कि वह सभी दलों के नेताओं से बात करेंगे और घोषणा करेंगे कि प्रस्ताव पर चर्चा कब की जाएगी.
मणिपुर की स्थिति पर पीएम मोदी के बयान की मांग को लेकर विपक्ष के विरोध प्रदर्शन के बीच यह अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है. कांग्रेस पार्टी के सांसद गौरव गोगोई ने यह प्रस्ताव लाया है. कांग्रेस के लोकसभा नेता अधीर रंजन चौधरी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि विपक्ष सदन में अविश्वास प्रस्ताव पेश करेगा.
अविश्वास प्रस्ताव की जरूरत क्यों पड़ी?
विपक्ष की मांग है कि मणिपुर के मुद्दे पर सरकार मणिपुर पर प्रधान मंत्री के साथ विस्तृत चर्चा करने की विपक्ष की मांग को स्वीकार नहीं कर रही है इसलिए हम अविश्वास प्रस्ताव का सहारा ले रहे है. हाल ही में मणिपुर में हुई हिस्सा के बाद से यह मुद्दा विपक्ष द्वारा उठाया जा रहा है.
क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव?
संसदीय लोकतंत्र में, कोई सरकार तभी सत्ता में रह सकती है जब उसके पास सीधे निर्वाचित सदन में बहुमत हो. लोकसभा में अगर किसी सांसद को लगता है कि सरकार के पास बहुमत नहीं है तो वह 'अविश्वास प्रस्ताव' ला सकते/सकती हैं. अविश्वास प्रस्ताव को पेश करने के लिए कम-से-कम 50 सांसदों के समर्थन की आवश्यकता होती है.
इस प्रस्ताव के स्पीकर द्वारा स्वीकार करने के बाद 10 दिन के अंदर इसपर मतदान कराया जाता है जहां पर सरकार को बहुमत साबित करना होता है. प्रस्ताव का समर्थन करने वाले सांसद सरकार की कमियों को उजागर करते हैं, और ट्रेजरी बेंच उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर प्रतिक्रिया देते हैं. हमारे संविधान के अनुच्छेद 75(3) में कहा गया है कि मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति जिम्मेदार होता है.
क्या मोदी सरकार को चिंता करनी चाहिए?
लोकसभा में बहुमत का आंकड़ा 272 है और वर्तमान में, एनडीए सरकार के पास 331 सदस्य हैं. वहीं अकेले भाजपा के पास 303 सांसद हैं. वैसे देखा जाये तो बीजेपी अकेले ही बहुमत साबित कर सकती है. गैर-एनडीए दल एक साथ आ जाएं इसकी संभावना बहुत कम है. अतः मोदी सरकार के पास बहुमत साबित करने के लिए पर्याप्त संख्या है.
लोकसभा में क्या है विभिन्न दलों की स्थिति?
विपक्ष द्वारा अविश्वास प्रस्ताव पेश किये जाने के बाद एक नजर लोकसभा में विभिन्न दलों की स्थिति पर डालते है. लोकसभा में बीजेपी की 303 सीटें है. वहीं एनडीए के घटक दलों- शिवसेना (शिंदे गुट) की 13 और एलजेपी (रामविलास) की 5, अपना दल (सोनेलाल) की 2 सीटें हैं. कांग्रेस के पास 49, डीएमके के पास 24, टीएमसी के पास 23 व जेडीयू के पास 16 सीटें है.
संख्याबल में एनडीए है मजबूत:
अविश्वास प्रस्ताव का भविष्य पहले से ही तय लग रहा है. बीजेपी सहित एनडीए स्पष्ट रूप से मजबूत स्थिति में है. लोकसभा में विपक्षी दलों की संख्या 150 से कम है. साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) के घटक दल सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकते है.
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