भारत में इस समय करोड़ों लोग मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं। एक समय था, जब भारत में बाहर से मोबाइल फोन आयात किये जाते थे, जिससे इनका दाम भी अधिक होता था। ऐसे में हर व्यक्ति के पास मोबाइल फोन भी नहीं होता था। वहीं, बीते एक दशक में भारत ने मोबाइल फोन की दुनिया में अपनी तस्वीर बदली है।
देश में मोबाइल निर्माण होने के बाद भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्यातक देश बन गया है। खास बात यह है कि इस कड़ी में भारत ने 2024 में 20.5 बिलियन डॉलर के मोबाइल फोन का निर्यात किया है। इस बात का खुलासा Centre for Development Studies(CDS) के अध्ययन में हुआ है।
PLI स्कीम से मिला लाभ
सीडीएस के निदेशक सी.वीरामणी ने इस अध्ययन का नेतृत्त्व किया है। अधय्यन में पाया गया है कि मोबाइल क्षेत्र में भारत ने 2017 से तेजी पकड़ना शुरू कर दिया था। साल 2020 में केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई Production Linked Incevtives(PLI) से लोकल स्तर पर भारत में उत्पाद निर्माण को पंख मिले हैं।
पहले कितना निर्भर था भारत
रिपोर्ट पर गौर करें, तो साल 2014-15 में भारत अपने यहां मोबाइल फोन की घरेलू मांग के लिए आयात पर निर्भर था। हालांकि, 2024-25 में भारत ने 20 बिलियन डॉलर का निर्यात किया है, जो कि 2017-18 की तुलना में 0.2 बिलियन डॉलर से काफी अधिक है। रिपोर्ट कहती है कि साल 2018-19 से भारत के निर्यात ग्राफ में तेजी आई है, जो कि एक प्रकार का संरचनात्मक बदलाव दर्शाता है।
कितने लाख लोगों को मिला रोजगार
भारत में मोबाइल निर्माण बढ़ने की वजह से लाखों लोगों को रोजगार भी मिला है। रिपोर्ट के मुताबिक, 2022-23 तक 17 लाख से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर मिले हैं।
भविष्य के लिए क्या हैं संकेत
सीडीएस की रिपोर्ट भविष्य के लिए भी संकेत देती है। इसके तहत मोबाइल निर्माण कंपनियों को औद्योगिक रणनीति बनाए रखने का संकेत मिला है। साथ ही, कंपनियों को टैरिफ और व्यापार में होने वाली परेशानियों को हल निकालने प्रतिस्पर्धा को बनाए रखने के लिए भी इस रिपोर्ट की मदद मिलेगी। रिपोर्ट यह भी कहती है कि लॉजिस्टिक अवसंरचना में जितना सुधार होगा, उतना इसका लाभ व्यापार में मिलेगा।
वहीं, प्रत्येक्ष विदेशी निवेश भी प्राथमिकता में शामिल होना चाहिए। आपको बता दें कि भारत में अमूमन विदेशी कंपनियां हैं, जो कि मोबाइल निर्माण करती हैं।
इन्हें भारत में तैयार कर घरेलू मांग को पूरा करने के साथ विदेशों में भेजा जाता है। मोबाइल फोन में अधिकांश कंपनियां चीनी वर्चस्व वाली हैं, जबकि कुछ दक्षिण कोरिया की कंपनी भी हैं। दूसरी तरफ, मोबाइल फोन निर्माण में कुछ भारतीय कंपनियां भी हैं, लेकिन इनके फोन की मांग विदेशी कंपनियों की तुलना में कम है।
पढ़ेंःकिस देश की है कौन-सी कार कंपनी, यहां देखें लिस्ट
Comments
All Comments (0)
Join the conversation