क्यों मुगल,मौर्यों और मराठों ने कभी दक्षिणी भारत पर आक्रमण नहीं किया?

भारत के उस भाग को "दक्षिण भारत" के नाम से जाना जाता है, जहां द्रविड़ भाषाएं बोली जाती हैंl इसमें कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल और तमिलनाडु जैसे राज्य शामिल हैंl इस क्षेत्र का अधिकांश भाग कई बार मौर्यों, दिल्ली सल्तनत और मुगलों के अधीन रहा हैl मूल रूप से जो छोड़ दिया गया था वो केरल और दक्षिणी तमिलनाडु है। अब सवाल यह उठता है कि उत्तर भारत की तरह इन साम्राज्यों का विस्तार दक्षिण भारत में क्यों नहीं हो पायाl

Mar 8, 2017, 16:17 IST

हम जब भारतीय इतिहास का अध्ययन करते है तो भारत में हुए विदेशी आक्रमण, शासकों, मानचित्रों में हुए परिवर्तन आदि के बारे में पढ़ते है, लेकिन दक्षिण भारत में घटी ज्यादा घटनाएँ न तो पढ़ी गई है और न ही सुनी गई हैl इसी प्रकार जब मौर्य साम्राज्य या मुगल सम्राटों का नक्शा देखते हैं तो तमिलनाडु और केरल को इन नक्शों का हिस्सा नही दिखते हैंl इसके पीछे क्या कारण हो सकता है, क्या कभी अपने सोचा है?
Expansions of Maurya Empire
मौर्य साम्राज्य अब तक का सबसे विशाल भारतीय साम्राज्य रहा है और इसकी स्थापना चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपने गुरू चाणक्य के साथ मिलकर की थीl दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों को छोड़कर पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में मौर्य साम्राज्य फैला हुआ थाl दूसरी तरफ मुगल सल्तनत भारत का दूसरा सबसे बड़ा साम्राज्य था जिसकी स्थापना 1576 में बाबर ने पानीपत के प्रथम युद्ध में दिल्ली के सुल्तान इब्राहीम लोधी को हराकर की थीl इसके अलावा 1674 ईस्वी में शिवाजी ने मराठा साम्राज्य की स्थापना की थी लेकिन वह भी दक्षिण भारत के बड़े हिस्से पर कोई भी आक्रमण नही कर पाए थेl

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भारत के उस भाग को "दक्षिण भारत" के नाम से जाना जाता है, जहां द्रविड़ भाषाएं बोली जाती हैंl इसमें कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल और तमिलनाडु जैसे राज्य शामिल हैंl इस क्षेत्र का अधिकांश भाग कई बार मौर्यों, दिल्ली सल्तनत और मुगलों के अधीन रहा हैl मूल रूप से जो छोड़ दिया गया था वो केरल और दक्षिणी तमिलनाडु है। अब सवाल यह उठता है कि उत्तर भारत की तरह इन साम्राज्यों का विस्तार दक्षिण भारत में क्यों नहीं हो पायाl
 map of South India
Source: www.68.media.tumblr.com

आइए देखतें है कि क्यों दक्षिण भारत पर कभी कोई आक्रमण नही कर पाया?

- बिन्दुसार (अशोक के पिता) के तहत मौर्य साम्राज्य का इलैम्केत्केनी, संगम युग चोल राजा के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध थे | इसीलिए बिन्दुसार और चोल राजा के बीच इस गठबंधन की वजह से, दक्षिण भारत में राज्य-विस्तार का निर्माण न हो सका |
- मौर्य साम्राज्य के शासक ग्रीक उत्तराधिकारी को अपने प्रमुख प्रतिद्वंद्वियों के रूप में मानते थे | इस कारण चंद्रगुप्त और उनके पुत्र, बिंदुसार, पश्चिम की ओर विस्तार पर ज्यादा इच्छुक थे, यहां तक कि प्रसिद्ध कलिंग साम्राज्य भी अनछुए रह गए थे।
mauryan emperor
Source: www.ancient-origins.net
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- 600 ईसा पूर्व-300 ईसा पूर्व में 16 महाजनपदों की वृद्धि और गिरावट देखी गई थी | इन 16 प्रमुख राजवंश / राज्य में से मौर्य साम्राज्य एक था। ये सभी गंगा के मैदान में स्थित थे, जिनमें से कुछ अफगानिस्तान तक फैले हुए थे| मौर्य साम्राज्य और इन अन्य राजवंशों में एक दुसरे को हराने कि होड़ लगी हुई थी| यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि संगम युग तमिल राजवंशों, केरल या चेरा राजवंश में से कोई भी, इन 16 महाजनपदों में नहीं थे|
- भुगौलिक स्तिथि भी एक कारण हो सकता है | मध्य भारत में बहुत घना दंडकारण्य वन था और किसी भी आक्रमणकारी सेना को विंध्याओं को पार करने के लिए इन वनों का सामना करना पड़ता था| तभी वह  दक्षिणी मैदानों में पहुच सकता था जो कि संभवतः मुश्किल था |
- यदि आप औरंगजेब के समय में भारत को देखते हैं, तो दक्षिण भारत का ज्यादातर हिस्सा मुगल साम्राज्य का हिस्सा है। कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तरी तमिलनाडु सभी। मूल रूप से जो छोड़ दिया गया था वो केरल और दक्षिणी तमिलनाडु है।मुगलों के मामले में, यह कहना गलत नही होगा कि प्रत्येक मुगल सम्राट ने आगे दक्षिण में साम्राज्य का विस्तार किया और औरंगजेब के समय में,यह लगभग दक्षिणी सिरे तक बढ़ गए थे, यदि औरंगजेब को अपने दक्षिणी विजय अभ्यान पर ध्यान देने की अनुमति दी गई होती और यदि उनके उत्तराधिकारी भी आधे से ज़्यादा शक्तिशाली होते, तो वे अच्छी तरह से दक्षिणी कन्या कुमारी तक विजय प्राप्त कर सकते थे।
 mughal emperor aurangzeb
Source: www.cdn.historydiscussion.net
- औरंगजेब ने मराठा संघाधिकार के तहत युद्ध किया, जिसे उनके शासन के 40 वर्षों की लागत से समाप्त किया गया, उसके खजाने का दिवालिया हो गया, इससे मुगल और मराठों दोनों की ही शक्ति नष्ट हो गई| अर्थात औरंगजेब ने अपने पीछे एक ऐसे साम्राज्य को छोड़ा जो बहुत कमजोर था और बाद में तुरंत गिर गया।

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- एक कारण भारत के दक्षिणी सिरे पर विजय न प्राप्त करनें का अत्यधिक दूरी का होना भी था| प्राचीन साम्राज्यों पर उत्तर से शासन किया जाता था। जैसे कि मौर्य ने पटलिपुत्र से शासन किया, आगरा और दिल्ली से मुगलों ने| भारत एक बड़ा देश है और प्राचीन काल में यह दूरी बहुत अधिक थी। यदि आप दिल्ली से शासन कर रहे हैं, तो अफगानिस्तान, ताजिकिस्तान, उज़बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान ये सभी भारत के दक्षिणी सिरे से ज्यादा करीब हैं|  हम अक्सर भारत के आकार को कम करके देखते हैं पर क्या आप जानते है कि त्रिवेंद्रम से दिल्ली या पटना के बीच की दूरी लंदन और मास्को के बीच की दूरी से अधिक है।
 North-South_East-West_Corridors
Source: www.upload.wikimedia.org
- आधुनिक समय से पहले, 2500 किलोमीटर दूर एक जगह को नियंत्रित करना आसान नहीं था और यहां तक कि आधुनिक समय में भी केवल नौसेना दूर क्षेत्रों को ही नियंत्रण किया जा सकता है।
- दूरी के अलावा, केरल में भी भुगौलिक स्तिथि सबसे बड़ा कारण था जैसे कि यहा मैंगलोर, कन्याकुमारी और पलक्कड़ पास के पास छोटे अंतराल के अलावा पश्चिमी घाटों द्वारा संरक्षित है|
- यदि भारत में ब्रिटिश आक्रमण को देखें, तो उनको अंदाज़ा था कि केरल पर हमला करने का एकमात्र आसान रास्ता समुद्री मार्ग था और यही कारण है कि ब्रिटिश इस पर कब्ज़ा करने वाली पहली बाहरी शक्ति थी |
 British Invasion in Inida
Source: www.teachme.gmu.edu
 दक्षिण तमिलनाडु के मामले में, यहाँ पर बहुत सारे सूखे क्षेत्र जैसे रामनतपुरम जिला हैं। यह आक्रमणकारीयों के लिए बहुत उपयोगी नहीं था| भारत में इससे कहीं ज्यादा बेहतर भूमि वाले कई षेत्र थे।
मौर्य के बाद, कलिंग शासकों ने अपनी आधुनिक राजधानी उड़ीसा को बनाया। उनके राजा खारवैल के तहत, साम्राज्य का विस्तार काफ़ी दूर तक दक्षिण में हुआ। वहां राष्ट्रकूट भी थे, जिनके शुरुआती स्रोत स्पष्ट नहीं है, लेकिन मध्य प्रदेश या राजपुताना (राजस्थान) से हो सकते है। उनका राज्य दक्षिण में विस्तारित हुआ |इस लेख से पता चल गया है कि क्यों मौर्य, मुग़ल या मराठा दक्षिण भारत में अपने साम्राज्य का विस्तार नही कर पाए|

Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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