कर्मचारियों की कमी से जूझ रहे उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन में निकट भविष्य में 60 हजार से अधिक नौकरियों की संभावना है. यह नियुक्ति प्रक्रिया आगामी चार से पांच वर्षों में पूरी किए जाने की संभवाना है. इस भर्ती प्रक्रिया में अधिकतर संविदा और एजेंसियों के माध्यम से नियुक्ति की जाएगी. बहुत कम संख्या में लगभग दो हजार से अधिक नियुक्तियां स्थायी होंगी.
मीडिया के अनुसार UPPCL अब इंजीनियरिंग कॉलेजों के फ्रेशर्स को भी नौकरियों का मौका दे सकता है. जिनमें पॉलीटेक्निक डिप्लोमा और आईटीआई पास उम्मीदवारों को भी अवसर मिलेगा. उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन में पहले से ही कर्मचारियों की कमी है, हाल ही में सरकारी योजनाओं के अभियान को पूरा करने में प्रदेश में बिजली कनेक्शनों की संख्या में वृद्धि हुई है, दूसरी तरफ प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश में पांच बड़े बिजली उत्पादन गृह (पॉवर हाउस) बनाने की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है. इसके अलावा लघु विद्युत उत्पादन गृह भी बनाए जा रहे हैं. वर्तमान में वितरण क्षेत्र में भी तैनात कर्मचारियों की संख्या काफी कम हो गई है.
इन व्यवस्थाओं को सुचारू करने के लिए उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन में बड़े पैमाने पर भर्तियां की जाएंगी. सरकार से अनुमति मिलने के बाद दो से तीन हजार अलग-अलग पदों पर स्थायी नियुक्तियां की जानी हैं. उत्तर प्रदेश उत्पादन निगम के नए पॉवर प्लांट में अनेक पदों पर बड़ी संख्या में भर्ती के लिए शासन से अनुमति मांगी गई है. साथ ही सौभाग्य जैसी योजनाओं में भी इंजीनियरों व अन्य स्टाफ को आउटसोर्स किया जा रहा है.
केंद्रीय एजेंसी करेगी भर्तियां-
उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन में यह भर्तियां एक केंद्रीय एजेंसी के माध्यम से की जाएंगी. इसमें इंजीनियरों के अलावा अन्य पद भी शामिल होंगे. विद्युत सेवा आयोग इस भर्ती प्रक्रिया की निगरानी करेगा. कॉर्पोरेशन का लक्ष्य चरणबद्ध तरीके से संविदा, आउटसोर्स या स्थायी नियुक्तियां करने का है. इसके पीछे मुख्य उद्देश्य नए प्रोजेक्ट के काम को सुचारू रखन है. यह भर्तियाँ बिजली विभाग के विभिन्न निगमों उत्पादन निगम, ट्रांसमिशन निगम, पावर कॉर्पोरेशन निगम, व अन्य में की जानी हैं.
प्रदेश में सैकड़ों की संख्या में ऐसे सबस्टेशन हो गए हैं जहां एक भी स्थायी कर्मचारी नियुक्त नहीं है. पूरा सबस्टेशन कांट्रैक्ट कर्मचारियों की ही देखरेख में है. इन परिस्थियों में बिजली उपभोक्ताओं को परेशानी होती है और आपूर्ति भी प्रभावित होती है. लाइनमैन से लेकर जेई तक की कमी है जो जेई विभाग में थे नियमित प्रमोशन के बाद उच्च पदों पर पहुंच गए हैं. बिजली चोरी, चेकिंग सहित वितरण के काम पर भी बुरा असर पड़ रहा है.
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