अपनी यात्रा के दौरान पीएम मोदी अबू धाबी के शेख जायद स्पोर्ट्स स्टेडियम में प्रवासी भारतीयों को संबोधित किया, जहां लगभग 50,000 लोगों के शामिल हुए. इस कार्यक्रम का नाम "अहलान मोदी (हैलो मोदी)" रखा गया है.
चलिये अबू धाबी में बने इस मंदिर की विशेषताओं का पता लगाते है. पीएम मोदी ने दिसंबर 2023 में मंदिर का उद्घाटन करने का निमंत्रण स्वीकार किया था.
Indian PM Modi invited to inaugurate the BAPS Hindu Mandir in Abu Dhabi in February, 2024 https://t.co/oAmBPg1Or3 pic.twitter.com/hND8XueSJS
— Sidhant Sibal (@sidhant) December 28, 2023
अबू धाबी का पहला हिन्दू मंदिर?
इस मंदिर का निर्माण बोचासनवासी श्री अक्षर पुरूषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) द्वारा किया गया है. संस्थान की वेबसाइट के अनुसार, बीएपीएस के दुनियाभर में 3,850 से अधिक केंद्र संचालित है. इनमें न्यू जर्सी और लॉस एंजिल्स जैसे स्थान और 1,100 मंदिर से अधिक मंदिर शामिल है.
इस मंदिर को बनाने की परिकल्पना साल 2015 में की गयी थी. साल 2015 में पीएम मोदी की यूएई यात्रा के दौरान संयुक्त अरब अमीरात ने मंदिर बनाने के लिए जमीन आवंटित करने का फैसला किया था. पीएम मोदी की यह यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण थी क्योंकि इंदिरा गांधी के बाद यूएई की यात्रा करने वाले वह पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने थे.
क्या है मंदिर की विशेषतायें:
1. यह मंदिर लगभग 55,000 वर्ग मीटर भूमि पर फैला है. इस मंदिर को भारतीय मंदिर कारीगरों द्वारा स्वरुप दिया गया है. फरवरी 2018 में, पीएम मोदी ने मंदिर के लिए परियोजना का उद्घाटन किया और दिसंबर 2019 में निर्माण शुरू हुआ.
2. मंदिर का डिज़ाइन वैदिक वास्तुकला और मूर्तियों से प्रेरित है. इन स्थापित की गयी मूर्तियों का निर्माण भारत के कारीगरों द्वारा की गयी है. मंदिर के आंतरिक भाग के निर्माण में 40,000 घन फुट संगमरमर का उपयोग किया गया है.
3. मन्दिर को तैयार करने में सफेद संगमरमर, गुलाबी बलुआ पत्थर का उपयोग किया गया है. यहां पवित्र ग्रंथों की कहानियों को बताने वाली जटिल नक्काशी बनायी गयी है. साथ ही यूएई के 7 अमीरात का प्रतिनिधित्व करने वाले 7 शिखर और 402 खंबे बनाये गए है.
4. मंदिर के अग्रभाग पर बलुआ पत्थर की भव्य संगमरमर की नक्काशी है इसे राजस्थान और गुजरात के कारीगरों द्वारा तैयार किया गया है. कारीगरों द्वारा 25,000 से अधिक पत्थर की नक्काशी तैयार की गयी. मंदिर के निर्माण के लिए भारी मात्रा में गुलाबी बलुआ पत्थर राजस्थान से अबू धाबी भेजे गए थे.
5. इस मंदिर का निर्माण 700 करोड़ रुपये की लागत से किया जा रहा है. मंदिर के विशाल परिसर में एक बड़ा एम्फीथिएटर, एक गैलरी, एक पुस्तकालय, फूड कोर्ट और 5,000 लोगों की क्षमता वाला दो सामुदायिक हॉल भी है. यहां बच्चों के खेलने की सुविधाएं तैयार की जा रही है.
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