हाइलाइट्स:
1. चंद्रयान-3 के लैंडिंग अंतिम समय में भी टाली जा सकती है.
2. अहमदाबाद स्थित इसरो के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के निदेशक नीलेश एम. देसाई के अनुसार, स्थिति ठीक नहीं रही तो लैंडिंग 27 अगस्त को होगी
3. विक्रम लैंडर, वैकल्पिक लैंडिंग एरिया को भी सर्च करने में है सक्षम
Chandrayaan-3 Mission Landing: भारत का चंद्रयान-3 मिशन अब अपने आखिरी पड़ाव पर आ गया है. पूरी दुनिया की निगाहें इस समय भारत पर टिकी हुई है. साथ ही पूरा देश चंद्रयान-3 के चांद की सतह पर उतरने के इंतजार में है.
चंद्रयान-3 की लैंडिंग चांद की अनुकूल परिस्थिति पर निर्भर करेगी, यदि लैंडिंग की अनुकूल परिस्थितियां नहीं बनी तो चंद्रयान-3 की लिन्डिंग को टाला भी जा सकता है. इस बारें में इसरो के साइंटिस्ट ने एक बड़ी बात कही है.
इसरो साइंटिस्ट ने कही बड़ी बात:
अहमदाबाद स्थित इसरो के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के निदेशक नीलेश एम. देसाई ने कहा है कि यदि लैंडिंग की अनुकूल स्थिति नहीं बनी तो हम इसकी लैंडिंग को टाल भी सकते है. साथ ही उन्होंने यह भी बताया की लैंडिंग की तारीख अभी भी फाइनल नहीं है.
Chandrayaan-3 Mission:
— ISRO (@isro) August 22, 2023
The mission is on schedule.
Systems are undergoing regular checks.
Smooth sailing is continuing.
The Mission Operations Complex (MOX) is buzzed with energy & excitement!
The live telecast of the landing operations at MOX/ISTRAC begins at 17:20 Hrs. IST… pic.twitter.com/Ucfg9HAvrY
अंतिम 2 घंटे में होगा फैसला:
इसरो की ओर से यह भी कहा गया है कि 23 अगस्त की शाम की लैंडिंग का निर्णय हम उसके पहले के 2 घंटे में लेंगे. अभी तक चंद्रयान-3 इसरो के प्लान के मुताबिक ही चल रहा है. इसरो इस बार पूरी तरह से तैयार है, क्योंकि चंद्रयान-2 में हुई गड़बड़ियों से बहुत कुछ सिखने को मिला है.
27 अगस्त को हो सकती है लैंडिंग:
स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के निदेशक नीलेश एम. देसाई के अनुसार यदि स्थिति ठीक नहीं हुई तो हम इसे 27 अगस्त तक टाल सकते है. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि हमारा उद्देश्य लैंडर के सॉफ्ट लैंडिंग का है और हम 23 अगस्त को विक्रम के लैंडिंग की कोशिश करेंगे.
लैंडिंग प्रक्रिया है एक चुनौती:
चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग एक कठिन प्रक्रिया होती है. इसरो के पूर्व अध्यक्ष जी. माधवन नायर ने बताया कि ‘टचडाउन’ (उतरने की प्रक्रिया) बहुत ही जटिल प्रक्रिया है. इसमें काफी सतर्कता बरतनी पड़ती है. नायर, चंद्रयान-1 मिशन के प्रक्षेपण के वक्त 2008 में इसरो का नेतृत्व कर रहे थे. साथ ही उन्होंने कहा कि सफल लैंडिंग चंद्रमा के अन्वेषण के अगले फेज के लिए एक बड़ी शुरुआत होगी.
क्या है चंद्रयान-3 का लैंडिंग प्लान?
इसरो चंद्रयान-2 मिशन से सबक लेते हुए इस बार इसरो ने लैंडिंग एरिया को 500 वर्ग मीटर के बजाय 4 किमी x 2.4 किमी रखा है जिससे लैंडिंग में कोई परेशानी न हो. सॉफ्ट लैंडिग के मद्देनजर इस बार इसरो वैज्ञानिकों ने लैंडर में अधिक फ्यूल डाला है. साथ ही लैंडर के डिज़ाइन में भी बदलाव किया गया है. लैंडर केवल चार थ्रस्टर पर काम करेगा.
क्या है अन्य विकल्प:
इसरो ने विक्रम लैंडर को इस तरह से तैयार किया है कि यह वैकल्पिक लैंडिंग एरिया को भी सर्च कर सकता है. इसरो प्रमुख पहले भी बता चुके है कि किसी भी प्रकार की मुश्किल आने पर हम वैकल्पिक लैंडिंग एरिया पर विक्रम की लैंडिंग करा सकते है.
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