भारत का महत्वाकांक्षी स्पेस मिशन अब चांद पर पहुंच गया है. Chandrayaan-3 चंद्रमा की ऑर्बिट में पांचवें और अंतिम फेज को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है. इसके साथ ही चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह पर लैंड कर गया है.
यह कीर्तिमान रचेगा भारत:
इसरो ने चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को भी उसी क्षेत्र में उतरने के लिए भेजा गया था, जहां अब चंद्रयान 3 ने सॉफ्ट लैंडिग की. भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पहला देश बन गया है.
11 अगस्त को रूस द्वारा लॉन्च किया गया लूना-25 चांद पर लैंड नहीं कर पाया और दुर्घटनाग्रस्त हो गया. रूस भी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की तैयारी कर रहा था.
Chandrayaan-3 Mission:
— ISRO (@isro) August 22, 2023
The mission is on schedule.
Systems are undergoing regular checks.
Smooth sailing is continuing.
The Mission Operations Complex (MOX) is buzzed with energy & excitement!
The live telecast of the landing operations at MOX/ISTRAC begins at 17:20 Hrs. IST… pic.twitter.com/Ucfg9HAvrY
चंद्रयान-3 ने भेजी तस्वीरें:
चंद्रयान-3 ने लैंडिंग से पहले लैंडर हैज़र्ड डिटेक्शन एंड अवॉइडेंस कैमरा (LHDAC) का इस्तेमाल करके चांद के सतह की तस्वीरें भेजी है. इसी क्षेत्र में चंद्रयान-3 की लैंडिंग करायी गयी.
Chandrayaan-3 Mission:
— ISRO (@isro) August 21, 2023
Here are the images of
Lunar far side area
captured by the
Lander Hazard Detection and Avoidance Camera (LHDAC).
This camera that assists in locating a safe landing area -- without boulders or deep trenches -- during the descent is developed by ISRO… pic.twitter.com/rwWhrNFhHB
स्पेसक्राफ्ट से अलग हुआ था विक्रम लैंडर:
चंद्रयान-3 का लैंडर 'विक्रम' सफलतापूर्वक स्पेसक्राफ्ट से अलग हो गया था और अब इसके 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की उम्मीद है. इसरो ने एक ट्वीट के माध्यम से बताया कि 'लैंडर मॉड्यूल को प्रोपल्शन मॉड्यूल से सफलतापूर्वक अलग कर दिया गया था.
Lander Module Successfully separates from Propulsion Module today (August 17, 2023).
— LVM3-M4/CHANDRAYAAN-3 MISSION (@chandrayaan_3) August 17, 2023
The next Lander Module (Deorbit 1) maneuver is scheduled for tomorrow (August 18, 2023) around 1600 hrs IST.
For details please visit https://t.co/4VRtx6Gh1N #Chandrayaan3 pic.twitter.com/nmsBAbRebm
चंद्रयान-3 मिशन अपडेट?
5 अगस्त को ही चंद्रयान-3 चांद की पहली ऑर्बिट में पहुंचा था. जिसके बाद चंद्रयान-3 ने चांद की पहली तस्वीर भेजी थी. इसके बाद से मिशन की चार और ऑर्बिट सफलतापूर्वक बदली गयी थी.
लेटेस्ट अपडेट के अनुसार चंद्रयान-3 को 153 किमी x 163 किमी की ऑर्बिट में स्थापित कर दिया गया है. अब इसके बाद प्रोपल्शन मॉड्यूल को विक्रम लैंडर से अलग कर दिया गया है.
प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हुआ लैंडर:
इसरो के वैज्ञानिक लैंडर मॉड्यूल को प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग कर दिया गया है, इस अभियान को 17 अगस्त को अंजाम दिया गया. 14 जुलाई को सफल लॉन्चिंग के बाद 5, 6, 9 और 14 अगस्त को चंद्रयान-3 ने चांद की ऑर्बिट को सफलतापूर्वक बदला था.
जैसे-जैसे मिशन आगे बढ़ रहा है, चंद्रयान -3 की ऑर्बिट को धीरे-धीरे कम किया ज रहा है. साथ ही चंद्रयान -3 को चांद के और करीब पहुंचाया जा रहा है. गौरतलब है कि चंद्रयान-3 मिशन का लैंडर 23 अगस्त को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा.
23 अगस्त को होगी सॉफ्ट लैंडिग:
इसरो के चंद्रयान-3 मिशन का लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास लैंड करेगा. अगर सब कुछ योजना के अनुसार रहा तो छह बजे के करीब लैंडर चांद की सतह पर लैंड करेगा. इसरो के बेंगलुरु स्थित सेंटर टेलिमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (ISTRAC) के मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स (MOX) से लगातार चंद्रयान-3 को ट्रैक किया जा रहा है.
क्या है इसरो का लैंडिंग प्लान?
इसरो चंद्रयान-2 मिशन से सबक लेते हुए इस बार पिछली गलतियों से बचने की पूरी तैयारी कर रखा है. इस बार इसरो ने लैंडिंग एरिया को 500 वर्ग मीटर के बजाय 4 किमी x 2.4 किमी रखा है जिससे लैंडिंग में कोई परेशानी न हो.
सॉफ्ट लैंडिग के मद्देनजर इस बार इसरो वैज्ञानिकों ने लैंडर में अधिक फ्यूल डाला है. साथ ही लैंडर के डिज़ाइन में भी बदलाव किया गया है. लैंडर केवल चार थ्रस्टर पर काम करेगा.
विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर का रोल:
इसरो ने लैंडर का नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम ए साराभाई के नाम पर रखा है. विक्रम लैंडर में इसरो ने तीन पेलोड शामिल किये है.
जिनमे से एक RAMBHA-LP है जो सतह प्लाज्मा (आयनों और इलेक्ट्रॉनों) के घनत्व और समय के साथ इसके परिवर्तनों का अध्ययन करेगा.
इसमें दूसरा ChaSTE या चंद्र सरफेस थर्मोफिजिकल प्रयोग (Chandra’s Surface Thermophysical Experiment) शामिल है जो ध्रुवीय क्षेत्र के पास चंद्र सतह के तापीय गुणों की जांच करेगा.
तीसरे पेलोड के रूप में ILSA या 'इंस्ट्रूमेंट फॉर लूनर सिस्मिक एक्टिविटी' (Instrument for Lunar Seismic Activity) को शामिल किया गया है जो लैंडिंग साइट के आसपास भूकंपीयता की जानकारी देगा.
प्रज्ञान रोवर एक रोबोटिक व्हीकल है जिसमें 6 पहिये लगे हुए है इसमें चंद्रमा की सतह से संबंधित डेटा प्रदान करने के लिए पेलोड के साथ कॉन्फ़िगर किए गए उपकरण लगे हुए है. यह वायुमंडल की मौलिक संरचना पर डेटा एकत्र करेगा.
चांद को लेकर दुनिया के देशों में नई रेस:
अंतरिक्ष पर नजर रखने वालों के लिए चंद्रमा एक बार फिर दिलचस्प हो गया है. इस रेस में रूस, अमेरिका और भारत के साथ साथ चीन भी शामिल हो गया है. रूस ने 11 अगस्त को अपना चंद्रमा मिशन लूना-25 लॉन्च किया था, जो 47 वर्षों में रूस का पहला चंद्र लैंडर था, जो असफल हो गया है.
वहीं अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा आर्टेमिस नामक एक नए प्रोजेक्ट पर काम कर रही है. नासा एक बार फिर चंद्रमा पर मानव को भेजने की तैयारी में है. इस सब में चीन भी पीछे नहीं है, चीन भी चंद्रमा की सतह का अध्ययन करने की तैयारी कर रहा है.
Chandrayaan-3 Mission:
— ISRO (@isro) August 17, 2023
‘Thanks for the ride, mate! 👋’
said the Lander Module (LM).
LM is successfully separated from the Propulsion Module (PM)
LM is set to descend to a slightly lower orbit upon a deboosting planned for tomorrow around 1600 Hrs., IST.
Now, 🇮🇳 has3⃣ 🛰️🛰️🛰️… pic.twitter.com/rJKkPSr6Ct
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