भारतीय वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में एक नए तारे की खोज की है. बेंगलुरु स्थित भारतीय ताराभौतिकी संस्थान (IIA) के वैज्ञानिकों ने इस नए तारे की खोज की है. इस तारे को वैज्ञानिकों ने HE 1005-1439 नाम दिया है.
वैज्ञानिकों ने इस नए तारे को कार्बन-इन्हांस्ड-मेटल-पुअर (CEMP) के रूप में वर्गीकृत किया है. यह तारा पिछले वर्गीकरणों को खारिज करता है और तारा निर्माण प्रक्रियाओं की पिछली समझ को चुनौती देता है.
#Scientists @IIABengaluru have discovered a unique #star named HE 1005-1439 classified as a carbon-enhanced metal-poor (CEMP) star that challenges previous understanding of star formation processes.@DrJitendraSingh @rajesh_gokhale @fiddlingstars
— DSTIndia (@IndiaDST) August 10, 2023
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नए तारे की क्या है खासियत?
वैज्ञानिकों द्वारा खोजे गए नए तारे में कुछ चौकाने वाले तथ्य सामने आये है. यह तारा अलग-अलग खगोल भौतिकी वातावरणों में होने वाली दो भिन्न प्रकार की प्रक्रियाओं के संयोजन के माध्यम से बनने के संकेत दे रहा है. वैज्ञानिकों का कहना हैं कि इस तारे का निर्माण 2 अलग-अलग न्यूट्रॉन कैप्चर प्रक्रियाओं द स्लो (S-) और इंटरमीडिएट (I-) के संयोजन से हुआ है.
साथ ही यह भी माना जा रहा है कि एसिम्प्टोटिक गैंट ब्रांच (asymptotic giant branch-AGB) फेज के दौरान कम द्रव्यमान वाले तारों में धीमी (s-) प्रक्रिया होती है और सुपरनोवा और न्यूट्रॉन स्टार विलय में तीव्र (r-) प्रक्रिया होती है.
यह अन्य तारों से कैसे है अलग:
खोजे गए नए तारे के वर्गीकरण को लेकर वैज्ञानिक किसी सही नतीजे पर नहीं पहुंच पा रहे है. इसके निर्माण में दो अलग अलग प्रक्रियाओं के शामिल होने के संकेत मिल रहे है. आकाशगंगाओं के रासायनिक विकास और ब्रह्मांड में तत्वों की उत्पत्ति को समझने के लिए तारों की मौलिक संरचना में इन प्रक्रियाओं के सापेक्ष योगदान को समझना महत्वपूर्ण है.
हालांकि तात्विक प्रचुरता को केवल सैद्धांतिक s-, r- या I-प्रोसेस मॉडल भविष्यवाणियों के आधार पर नहीं समझाया जा सकता है. तारे के बारे में और जानकारी एकत्र करने के लिए शोधकर्ताओं ने प्रेक्षित की उत्पत्ति को समझने के लिए भारी तत्वों की प्रचुरता का एक पैरामीट्रिक-मॉडल-आधारित विश्लेषण किया.
शोध से जुड़े वैज्ञानिकों ने क्या कहा?
भारतीय ताराभौतिकी संस्थान (IIA) के वैज्ञानिक पार्थ प्रतिम गोस्वामी और प्रोफेसर अरुणा गोस्वामी ने इस शोध से जुड़े कई खुलासे किये है. उन्होंने बताया कि तारे की रासायनिक संरचना का विश्लेषण करने के लिए सुबारू टेलीस्कोप (SUBARU telescope) से जुड़े स्पेक्ट्रोग्राफ (HDS) का उपयोग किया गया जिसके बाद हाई रिजॉल्यूशन स्पेक्ट्रोस्कोपिक डेटा प्राप्त हुए.
शोध से जुड़े वैज्ञानिकों ने पाया कि तारे में पाए गए आयरन मटेरियल सूर्य की तुलना में हजारों गुना कम है और यह न्यूट्रॉन-कैप्चर तत्वों से भरा हुआ है. प्रोफेसर अरुणा गोस्वामी ने बताया कि हमने कई युगों से प्राप्त हमारे रेडियल वेग अनुमानों में भिन्नताएं देखी हैं जो एक बाइनरी कम्पैनियन की उपस्थिति का संकेत देती हैं.
यह उन स्थितियों को समझने में भी मदद कर सकते हैं जिनके परिणामस्वरूप कम द्रव्यमान, कम धात्विक एसिम्प्टोटिक गैंट ब्रांच तारों में शुद्ध s- या i-प्रक्रिया सतह बहुतायत पैटर्न होता है. साथ ही यह CEMP-s से CEMP-r/s संक्रमण को समझाने में सहायक हो सकता है.
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