नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने निवेशकों को अवैध ‘डब्बा ट्रेडिंग’ चलाने वाले कुछ धोखेबाजों से सतर्क रहने की सलाह दी है.
निवेशकों को आगाह करते हुए, NSE ने कहा कि शेयर बाजार में गारंटीड रिटर्न देने वाले किसी भी व्यक्ति या संस्था द्वारा ऑफर किये गए स्कीम या प्रोडक्ट्स को न ले क्योंकि यह क़ानूनी रूप से गलत है.
एनएसई का यह बयान, श्री पारसनाथ कमोडिटी प्राइवेट लिमिटेड, श्री पारसनाथ बुलियन प्राइवेट लिमिटेड, फेरी टेल ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड और भरत कुमार (ट्रस्ट के साथ व्यापार से जुड़े) मामलें के बाद आया है.
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— Dr Timos Papagatsias (@_timos_) April 10, 2023
इसका क्या होगा असर?
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने साफ कर दिया है कि इस तरह की प्रतिबंधित योजनाओं से संबंधित किसी भी तरह के विवाद की स्थिति में, एक्सचेंज के अधिकार क्षेत्र के तहत निवेशक सुरक्षा के लाभ, एक्सचेंज विवाद समाधान तंत्र और एक्सचेंज द्वारा प्रशासित निवेशक शिकायत निवारण तंत्र, 'डब्बा' ट्रेडिंग में शामिल निवेशकों के लिए उपलब्ध नहीं होंगे.
क्या होती है 'डब्बा' ट्रेडिंग?
'डब्बा' ट्रेडिंग शेयरों की ट्रेडिंग का एक अवैध रूप है जिसमें ऑपरेटर्स स्टॉक एक्सचेंज प्लैटफॉर्म के बाहर शेयरों की ट्रेडिंग को अंजाम देते है. जिसको लेकर NSE ने निवेशकों को आगाह किया है. NSE ने हाल ही में कई कंपनियों को 'डब्बा' ट्रेडिंग में संलिप्त पाया है, जिसके बाद यह एडवाइजरी जारी की गयी है.
'डब्बा' ट्रेडिंग में संचालक बिना डिमैट अकाउन्ट्स और केवाईसी के बाहर से इक्विटी में कारोबार करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करते है.
'डब्बा' ट्रेडिंग क्यों है गलत?
सेबी हमेशा से ही 'डब्बा' ट्रेडिंग पर नकेल कसता रहा है, क्योंकि यह अनियमित है और इसमें धोखाधड़ी वाली गतिविधियां शामिल है. इस तरह का प्रयास आधिकारिक स्टॉक एक्सचेंजों को भी प्रभावित करता है. साथ ही इसमें शामिल निवेशकों को भी हानि पहुंचता है.
डब्बा ट्रेडिंग कैसे काम करता है?
डब्बा ट्रेडिंग को भारत में बॉक्स ट्रेडिंग (Box trading) और अमेरिकी बाजार में बकेट ट्रेडिंग (Bucket trading) के नाम से भी जाना जाता है. इस प्रक्रिया में ब्रोकर निवेशकों को शेयर बाजार के बाहर इन्वेस्ट करने की सलाह देता है और ऑपरेटरों के माध्यम से सभी लेनदेन हर हफ्ते नकद में पूरा करने की कोशिश करता है. बॉक्स ट्रेडिंग में लेनदेन करने में अधिक जोखिम होता है जिससे निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ सकता है.
यह लीगल ट्रेडिंग से कैसे है अलग?
'डब्बा' ट्रेडिंग, निश्चित तौर पर लीगल ट्रेडिंग से अलग है. जहां लीगल ट्रेडिंग में निवेशक स्टॉक खरीदने के लिए कोई आर्डर प्लेस करता है तो ब्रोकर स्टॉक मार्केट में उस ऑर्डर को एग्जीक्यूट करता है. इस पूरी प्रक्रिया में ब्रोकरेज शुल्क, विनिमय शुल्क, सेबी टर्नओवर चार्ज और आयकर विभाग और प्रतिभूति लेनदेन कर (STT) को दिए गए टैक्स जैसे कुछ चार्जेस जुड़े होते हैं. यह पूरी प्रक्रिया आपके ट्रेडिंग को लीगल बनाती है.
इसके विपरीत 'डब्बा' ट्रेडिंग में इस तरह की किसी भी प्रक्रिया को पूरा नहीं किया जाता है. डब्बा ट्रेडिंग पर, एजेंट ट्रेडिंग मार्केट के बाहर सभी प्रक्रियाओं को अंजाम देता है और एक्सचेंज पर कोई वास्तविक ऑर्डर रिकॉर्ड नहीं होता है.
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