रेलवे ट्रैक की पटरियों के बीच क्यों बिछे होते हैं पत्थर?

जब भी आपने ट्रेन से यात्रा किया होगा, तब देखा होगा कि रेलवे ट्रैक पर कंकड और गिट्टी बिछे होते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं ऐसा क्यों होता है? ट्रैक पर गिट्टी बिछाने से वह रेलगाड़ी को कैसे सहायता करते है? क्या आपने कभी ये सोचा है अगर रेलवे ट्रैक पर गिट्टी नहीं बिछाए जाएंगे, तो क्या होगा? आइए जानते हैं ट्रैक पर गिट्टी बिछाने के फायदे-

Mahima Sharan
Jul 27, 2025, 15:44 IST
why there are stones on rail track
why there are stones on rail track

यह शायद ऐसा कुछ नहीं है जिसके बारे में आपने कभी सोचा हो, लेकिन अगली बार जब आप किसी रेलवे ट्रैक के पास हों, तो रेलवे ट्रैक के नीचे और उसके किनारे पर क्या है, इस पर गौर करें। आप देखेंगे की ट्रैक पर आपको छोटे-छोटे पत्थर नजर आएंगे। इन पत्थरों को गिट्टी कहा जाता है, और ये रेलवे ट्रैक के रखरखाव और उन पर चलने वाले रेल वाहनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में कई महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आइए जानते हैं ट्रैक पर पत्थर क्यों बिछाए जाते हैं-

रेलवे पटरियों पर पत्थर क्यों होते हैं?

आइए समझते हैं कि रेलवे पटरियों पर पत्थर (ट्रैक गिट्टी) क्यों होते हैं। ट्रैक गिट्टी निम्न में मदद करती है:

  • रेलवे पटरियों के लिए एक ट्रैक बेड प्रदान करना।
  • स्लीपरों, पटरियों और रोलिंग स्टॉक के भार को सहन करता है।
  • पटरियों पर सही मात्रा में जल निकासी की सुविधा प्रदान करना ताकि पानी पटरियों पर न रुके।
  • जब ट्रेन पटरियों के ऊपर से गुज़रती हैं तो पटरियों को अपनी जगह पर बनाए रखने में मदद करते हैं।
  • ऊर्ध्वाधर, अनुदैर्ध्य और पार्श्व विस्थापन के विरुद्ध ट्रैक ज्यामिति को बनाए रखना।
  • इन्सुलेशन गुण प्रदान करना और ट्रैक पावर सप्लाई से जुड़ी समस्याओं से बचना।
  • शोर और कंपन को कम करना।
  • ट्रैक पर उगने वाले पेड़-पौधों को पनपने से रोकना।

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ट्रैक ब्लास्ट क्या है?

रेलवे ट्रैक के किनारे बिछे हुए छोटे पत्थरों को ट्रैक ब्लास्ट कहा जाता है। 'ब्लास्ट' शब्द समुद्री शब्द से लिया गया है जिसका प्रयोग जहाज को स्थिर रखने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पत्थरों के लिए किया जाता था। यह कुचला हुआ पत्थर का इस्तेमाल ब्रिटिश कोयला जहाजों को उनकी वापसी यात्रा में भार उठाने के लिए किया जाता था।

ट्रैक ब्लास्ट वह ट्रैक बेड बनाता है जिस पर रेलवे लाइन बिछाई जाती हैं। रेलवे ट्रैक ज़मीन से जुड़े नहीं होते बल्कि ब्लास्ट पर तैरते रहते हैं। ब्लास्ट और रेलवे ट्रैक का भार लाइनों को स्थिर रखता है।

ट्रैक ब्लास्ट को रेलरोड टाइज़ के नीचे, बीच में और चारों ओर लगाया जाता है। ट्रैक ब्लास्ट की मोटाई आमतौर पर लगभग 25 से 30 सेमी होती है, कभी-कभी लाइन पर यातायात की मात्रा के आधार पर इससे भी अधिक।

रेलरोड ट्रैक दो स्टील की पटरियों से बना होता है जो एक निश्चित दूरी पर समांतर रखी जाती हैं। रेल की पटरियां एक रेल स्पाइक (एक बड़ी कील जिसे कट स्पाइक या क्रैम्प भी कहा जाता है) का उपयोग करके रेलरोड टाइज़ (यूरोप में स्लीपर कहा जाता है) द्वारा जुड़ी होती हैं। रेलरोड टाइज़ लकड़ी या कंक्रीट से बनी होती हैं। पटरियों को टाई से बोल्ट से जोड़ा जाता है।

ट्रैक गिट्टी के रूप में किस प्रकार के पत्थरों का उपयोग किया जाता है?

दिलचस्प बात यह है कि ट्रैक गिट्टी के रूप में केवल कुछ ही प्रकार के पत्थरों का उपयोग किया जाता है। गिट्टी के लिए इस्तेमाल सामग्री आमतौर पर उच्च गुणवत्ता वाली चट्टानें होती हैं जिन्हें खनन के दौरान विस्फोट किया जाता है जिससे गिट्टी सामग्री प्राप्त होती है।

रेलवे पटरियों पर ट्रैक गिट्टी के रूप में कुचली हुई चट्टान, बजरी, कोयले की राख (सिंडर), कंक्रीट और रेत जैसी सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है।


Mahima Sharan
Mahima Sharan

Sub Editor

Mahima Sharan, working as a sub-editor at Jagran Josh, has graduated with a Bachelor of Journalism and Mass Communication (BJMC). She has more than 3 years of experience working in electronic and digital media. She writes on education, current affairs, and general knowledge. She has previously worked with 'Haribhoomi' and 'Network 10' as a content writer. She can be reached at mahima.sharan@jagrannewmedia.com.

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