World Population Day 2023: ग्लोबल लेवल पर प्रतिवर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है. इसके माध्यम से विश्व जनसंख्या के प्रचलित अहम मुद्दों पर चर्चा करने का मौका मिलता है. इसके तहत महिलाओं से जुड़ी समस्याओं, आर्थिक संकट और गरीबी से जुड़े मुद्दों को शामिल किया जाता है.
संयुक्त राष्ट्र का मकसद एक ऐसी दुनिया का निर्माण करना है जहां प्रत्येक व्यक्ति के पास संभावनाओं और अवसरों से भरा एक उज्वल भविष्य हो. इसकी कल्पना सतत लक्ष्य 2030 के एजेंडे में भी की गयी है.
World Population Day: The objective of the day is to increase the awareness of the people towards the worldwide population issues. #WorldPopulationDay2023 theme: 'Unleashing the power of gender equality: Uplifting the voices of women and girls to unlock our world's infinite… pic.twitter.com/p3WfbpCmMV
— All India Radio News (@airnewsalerts) July 11, 2023
जनसंख्या दिवस का महत्व:
बढ़ती जनसंख्या के चलते विश्व समुदाय को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जो हमारे पारस्थिकी तंत्र और मानवता को काफी नुकसान पहुंचता है. अतः इन सभी चुनौतियों से निपटने के लिए जनसंख्या दिवस जैसे आयोजन काफी मदद करते है.
इसके आयोजन में परिवार नियोजन, गरीबी, नागरिक अधिकार, लैंगिक समानता, मां और बच्चे के स्वास्थ्य गर्भनिरोधक उपाय जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जाती है. अभी विश्व कोविड -19 जैसी महामारी से जूझ रहा था, उस समय पूरे विश्व ने बढ़ी हुई आबादी के दुष्परिणामों को भी देखा. इसलिए जनसंख्या प्रबंधन किसी एक विशेष देश नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए जरूरी है.
विश्व जनसंख्या दिवस थीम 2023:
विश्व की बढ़ती जनसंख्या की अनूठी चुनौती को पहचानने और उसका उपाय खोजने के लिए प्रतिवर्ष विश्व जनसंख्या एक थीम के आधार पर मनाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र ने विश्व जनसंख्या दिवस 2023 की थीम "लैंगिक समानता की शक्ति को उजागर करना: हमारी दुनिया की अनंत संभावनाओं को उपलब्ध कराने के लिए महिलाओं और लड़कियों की आवाज को ऊपर उठाना" निर्धारित किया है.
विश्व जनसंख्या ट्रेंड:
विश्व की जनसंख्या को 1 अरब तक बढ़ने में सैकड़ों हजारों वर्ष लग गए थे. लेकिन अगले 200 वर्षों में, यह सात गुना बढ़ गई. वर्ष 2011 में, वैश्विक जनसंख्या 7 बिलियन के आंकड़े तक पहुंच गई, 2021 में यह लगभग 7.9 बिलियन हो गई और 2030 में इसके बढ़कर लगभग 8.5 बिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है.
विश्व की जनसंख्या जिस गति से बढ़ रही है, उससे उम्मीद जताई जा रही है कि 2050 में यह बढ़कर 9.7 बिलियन और 2100 में 10.9 बिलियन तक पहुंच जाएगी.
हाल के दिनों में प्रजनन दर और जीवन प्रत्याशा में भारी बदलाव भी देखे गए है. 1970 के दशक की शुरुआत में, प्रत्येक महिला के औसतन 4.5 बच्चे थे. 2015 तक, दुनिया की कुल प्रजनन क्षमता प्रति महिला 2.5 बच्चों से कम हो गई थी. साथ ही औसत वैश्विक आयु 1990 के दशक की शुरुआत में 64.6 वर्ष से बढ़कर 2019 में 72.6 वर्ष हो गया है.
11 जुलाई को ही क्यों मनाया जाता है?
प्रतिवर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मानाने के पीछे कोई विशेष कारण नहीं है. 11 जुलाई 1987 विश्व की आबादी 5 अरब हो गई थी जिसको लेकर संयुक्त राष्ट्र ने चिंता व्यक्त की थी. जिसके परिणाम स्वरुप यूनाइटेड नेशन ने 11 जुलाई 1989 को बढ़ती आबादी को काबू करने और परिवार नियोजन के लिए लोगों को जागरूक करने उद्देश्य से एक कार्यक्रम की घोषणा की. इसके साथ ही विश्व जनसंख्या दिवस मनाये जाने का सिलसिला शुरू हुआ. उसके बाद से ही प्रतिवर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस का आयोजन किया जाने लगा.
जनसंख्या एक वैश्विक मुद्दा:
विश्व की जनसंख्या में अभूतपूर्व वृद्धि बड़े पैमाने पर प्रजनन आयु तक जीवित रहने वाले लोगों की बढ़ती संख्या के कारण हुई है. साथ ही प्रजनन दर में बड़े बदलाव हुए और शहरीकरण और प्रवासन में भी तेजी आई है.
बढ़ती जनसंख्या का आने वाली पीढ़ियों पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा. संयुक्त राष्ट्र लंबे समय से इन जटिल और परस्पर संबंधित मुद्दों का समाधान खोजने में लगा हुआ है. इसके लिए संयुक्त राष्ट्र ने संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) और आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग के संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या प्रभाग की मदद ले रहा है.
इसे भी पढ़ें:
SpaceX's Starlink satellites: क्या है स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस, जानें कैसे करता है यह काम
14 जुलाई को लांच होगा Chandrayaan-3 मिशन, 23 या 24 अगस्त को चंद्रमा पर होगी लैंडिंग
Comments
All Comments (0)
Join the conversation