जल्द खत्म होगा बीमा कमीशन
घटेगा बीमा व्यवसाय:
पूर्व पेंशन निमायक डी. स्वरूप के नेतृत्व में गठित समिति की सिफारिशों पर अमल करते हुए सरकार जल्द ही बीमा एजेंटों को दिये जाने वाले कमीशन को खत्म करने जा रही है। म्युचुअल फंड और नई पेंशन योजना को पहले ही किसी तरह के कमीशन से अलग कर दिया गया है। स्वरूप समिति ने अपनी रिपोर्ट में अप्रैल 2011 से सभी तरह की खुदरा वित्तीय योजनाओं को किसी भी तरह के कमीशन से मुक्त रखने की सिफारिश की थी।
समिति की सिफारिश के अनुसार कमीशन खत्म होने से निवेशकों को अब तक हो रहे बड़े नुकसान से बचाया जा सकेगा। वर्तमान में एलआईसी के पहले प्रीमियम भुगतान की 40-50 फीसदी राशि एजेंटों के कमीशन के रूप में चली जाती है।
घट सकता है बीमा कारोबार
सरकार के इस फैसले से देश में कार्यरत 30 लाख से अधिक बीमा एजेंटों के रोजगार छिन जाएंगे। भारत जैसे देश में जहां बेरोजगारी का प्रतिशत काफी ज्यादा है, वहां इस तरह के कदम को उचित नहीं ठहराया जा सकता है। हालांकि बीमा नियामक प्राधिकरण इरडा यह नहीं चाहता है कि बीमा एजेंटों का कमीशन समाप्त हो। उसका मानना है कि एजेंटों की वजह से ही लोग बीमा पॉलिसी खरीदते हैं। ऐसे में कमीशन को समाप्त करने का मतलब होगा बीमा कारोबार को भारी झटका देना।
बीमा कारोबार: कुछ तथ्य
देश में इस वक्त बीमा कंपनियों की संख्या कुल 44 है। वर्ष 2009-10 की पहली छमाही में बीमा कारोबार में लगभग 13 फीसदी की वृद्धि हुई। बीमा कारोबार में वृद्धि के बावजूद आज भी विकसित देशों की तुलना में भारत बीमा कारोबार के मामले में काफी पीछे है।
जीवन बीमा कारोबार में वृद्धि
भारतीय बीमा निगम (एलआईसी) के प्रीमियम में आई तेजी ने पूरे जीवन बीमा कारोबार को फायदा पहुँचाया है। प्रीमियम में बढ़ोत्तरी की वजह से बाजार में एलआईसी की हिस्सेदारी बढ़कर 58.67 फीसदी हो गई है।
देश की 22 जीवन बीमा कंपनियों की नई पॉलिसियों से आने वाले प्रीमियम में 29.5 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। अप्रैल 2009 में नए प्रीमियम से 3,602 करोड़ प्रीमियम के तौर पर जुटाए गए जबकि पिछले साल की समान अवधि में 2,780 करोड़ आए थे। अप्रैल 2007 के बाद से यह प्रीमियम में आई सबसे बड़ी तेजी है।
गौरतलब है कि वैश्विक वित्तीय संकट की वजह से पिछले वित्त वर्ष में बाजार में 38 फीसदी की गिरावट आई थी, जिससे ऐसी योजनाओं से लोग मुँह मोडऩे लगे थे।
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