जाति एवं क्षेत्र के आधार पर भारतीय सेना की प्रमुख रेजिमेंट

रेजिमेंट शब्द लेटिन शब्द “रेजिमेन” से लिया गया है जिसका अर्थ है ‘एक नियम अथवा आदेश की प्रणाली है’ और यह फौजी दस्ते की स्थापना करने, उन्हें सज्जित तथा प्रशिक्षित करने जैसे कार्यकलाप की व्याख्या करता है। एक रेजिमेंट की अपनी अलग पहचान, राज्य-चिह्न, विशिष्ट यूनीफॉर्म तथा तमगे और युद्ध में प्राप्त उपलब्धियों के आधार पर होती है।

Oct 6, 2016, 16:04 IST

रेजिमेंट शब्द लेटिन शब्द रेजिमेन से लिया गया है जिसका अर्थ एक नियम अथवा आदेश की प्रणाली है और यह फौजी दस्ते की स्थापना करने, उन्हें सज्जित तथा प्रशिक्षित करने जैसे कार्यकलाप की व्याख्या करता है। एक रेजिमेंट की अपनी अलग पहचान, राज्य-चिह्न, विशिष्ट युनीफॉर्म तथा तमगे और युद्ध में प्राप्त उपलब्धियों के आधार पर होती है।

भारतीय सेना की रेजिमेंट प्रणाली ब्रिटिश औपनिवॆशिक की धरोहर है। भारतीय सेना में पैदल (इंफेंट्री) रेजिमेंट अपने पृथक विशिष्ट नामॊं से जानी जाती हैं और रेजिमेंट की इंफेंट्री बटालियनों के सैनिकों एवं अधिकारियों के प्रशिक्षण तथा उन्हें हथियारों से लैस करने के लिए उनका एक रेजिमेंटल सेन्टर होता है। यह सेन्टर प्रत्येक सैनिक की नियुक्ति से लेकर सेवानिवृति तक का पूरा रिकार्ड रखता है।

स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद से भारत में किसी जाति, संप्रदाय, समुदाय, धर्म अथवा क्षेत्र के  आधार पर कोई नयी रेजिमेंट बनाने के बजाय एक ऐसा सैन्य-बल खड़ा करने की नीति रही है जिसमें भारतीय इंफेंट्री के तौर पर सम्पूर्ण देश का प्रतिनिधित्व हो। लेकिन मौजूदा समय में भी भारत में जाति एवं क्षेत्र पर आधारित अनेक रेजिमेंट हैं, जैसे- गोरखा, डोगरा, गढवाल, जाट, मद्रास, असम आदि| अतः अन्य समुदाय एवं क्षेत्र विशेष के लोग भी समय-समय पर अपने लिए अलग रेजीमेंट की मांग करते रहे हैं।

रेजीमेंट का मुखिया एक कर्नल होता है, जो लेफ्टिनेंट जनरल जैसे विशिष्ट उच्च-पद का अधिकारी होता है। रेजिमेंट का कर्नल भारतीय रेजिमेंटल प्रणाली का एक प्रमुख अंग है।

जातियों के आधार पर इन्फेंट्री रेजीमेंटों की सूची:

मद्रास रेजिमेंट:-

स्थापना: 1758
आदर्श वाक्य: “स्वधर्मे निधानम श्रेयः”
युद्धघोष: “वीर मद्रासी, अडि कोल्लू, अडि कोल्लू”
मुख्यालय: वेलिंग्टन(ऊटी), तमिलनाडु
आकार: 21 बटालियन
प्रमुख तथ्य: मद्रास रेजिमेंट भारतीय सेना की सबसे पुरानी इंफेंट्री रेजीमेंटों में से एक है, इस रेजिमेंट के अधिकांश सैनिकों का संबंध तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक एवं आंध्रप्रदेश जैसे दक्षिण भारतीय राज्यों से होता है एवं कन्नड़, तमिल, तेलगू एवं मलयालम भाषियों को वरीयता दी जाती है| लेकिन रेजिमेंट के अधिकारी के रूप में किसी भी राज्य के निवासी की नियुक्ति हो सकती है|

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गोरखा रेजिमेंट:-

स्थापना: 1815
आदर्श वाक्य: “कायर हुनु भन्दा मर्नु राम्रो”, “शौर्य एवं निष्ठा” तथा “यत्राहम् विजयस्तत्रः”
युद्धघोष: “जय महाकाली, आयो गोरखाली”
मुख्यालय: इस रेजिमेंट के विभिन्न भागों का अलग-अलग मुख्यालय है|
प्रमुख तथ्य: गोरखा रेजिमेंट में मूल रूप से नेपाली मूल के गोरखा लोगों को शामिल किया जाता है| वर्तमान समय में इस रेजिमेंट के 11 भाग है जिन्हें क्रमशः 1 गोरखा रेजिमेंट, 2 गोरखा रेजिमेंट, 3 गोरखा रेजिमेंट आदि नामों से जाना जाता है|

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मराठा लाईट इंफेंट्री:

स्थापना: 1768
आदर्श वाक्य: “ड्यूटी, ऑनर, करेज”
युद्धघोष: “बोल छत्रपति शिवाजी महाराज की जय, तेमलाइ माता की जय”
मुख्यालय: बेलगाम, कर्नाटक
आकार: 42 बटालियन
प्रमुख तथ्य: इस रेजिमेंट में मूल रूप से महाराष्ट्र एवं कर्नाटक के कुर्ग क्षेत्र के मराठी भाषी लोगों की भर्ती की जाती है, अतः इस रेजिमेंट के सैनिकों को “गणपत” भी कहा जाता है, क्योंकि ये लोग भगवान गणेश की पूजा धूमधाम से करते हैं|

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राजपूत रेजिमेंट:

स्थापना: 1778
आदर्श वाक्य: “सर्वत्र विजय”
युद्धघोष: “बोल बजरंग बली की जय”
मुख्यालय: “फतेहगढ़, उत्तर प्रदेश”
आकार: 20 बटालियन
प्रमुख तथ्य: इस रेजिमेंट में राजपूत, गुर्जर, ब्राह्मण, बंगाली, मुस्लिम, जाट, अहीर, सिख और डोगरा जाति के लोगों की भर्ती की जाती है|

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राजपूताना राइफल्सः

स्थापना: 1775
आदर्श वाक्य: “वीर भोग्य वसुन्धरा”
युद्धघोष: “राजा रामचन्द्र की जय”
मुख्यालय: दिल्ली कैंट
आकार: 19 बटालियन
प्रमुख तथ्य: राजपूताना राइफल्स भारतीय सेना की सबसे पुरानी (सीनियर) राइफल रेजिमेंट है| इस रेजिमेंट में सैनिक के रूप में मूल रूप से राजस्थान एवं मध्यप्रदेश के कुछ हिस्सों के राजपूतों की भर्ती की जाती है| स्वतन्त्रता प्राप्ति से अब तक यह रेजिमेंट पाकिस्तान के विरुद्ध अनेक लड़ाईयों में हिस्सा ले चुकी है।

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पंजाब रेजिमेंट:

स्थापना: 1761
आदर्श वाक्य: “स्थल वा जल”
युद्धघोष: “जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल” एवं “बोल ज्वाला मां की जय”
मुख्यालय: रामगढ़ कैंट, झारखण्ड
आकार: 19 बटालियन
प्रमुख तथ्य: पंजाब रेजिमेंट भारतीय सेना की उन सबसे पुरानी रेजीमेंट में से एक है जो अभी भी सेवारत है और इसने विभिन्न लड़ाइयों व युद्धों में भाग लिया है तथा अनेक सम्मान प्राप्त किये हैं| इस रेजिमेंट में मुख्य रूप से पंजाब, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के सिख एवं डोगरा जाति के लोगों की भर्ती की जाती है जबकि दो बटालियन में अन्य जाति के लोगों की भी भर्ती की जाती है|

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डोगरा रेजिमेंट:

स्थापना: 1877
आदर्श वाक्य: “कर्तव्यं अन्वात्मा”
युद्धघोष: “ज्वाला माता की जय”
मुख्यालय: फैजाबाद, उत्तर प्रदेश
आकार: 19 बटालियन
प्रमुख तथ्य: यह भारतीय सेना की एक इंफेंट्री युनिट है जो 17वीं डोगरा रेजिमेंट के रूप में पूर्ववर्ती ब्रिटिश भारतीय सेना का एक भाग थी। यह रेजिमेंट जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और पंजाब के पहाड़ी क्षेत्रों के डोगरा लोगों को भर्ती करती है।

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सिख रेजिमेंट:

स्थापना: 1846
आदर्श वाक्य: “निश्चय कर अपनी जीत करूँ”
युद्धघोष: “जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल”
मुख्यालय: रामगढ़ कैंट, झारखण्ड
आकार: 19 बटालियन
प्रमुख तथ्य: सिख रेजिमेंट अपने अधिकांश सिपाही एवं अधिकारी सिख समुदाय से भर्ती करती है|

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जाट रेजिमेंट:-

स्थापना: 1795
आदर्श वाक्य: “संगठन व वीरता”
युद्धघोष: “जाट बलवान जय भगवान”
मुख्यालय: बरेली, उत्तरप्रदेश
आकार: 21 बटालियन
प्रमुख तथ्य: जाट रेजिमेंट भारतीय सेना की एक इंफेंट्री रेजिमेंट है और भारत में सबसे पुरानी और सबसे अधिक पदक प्राप्त करने वाली रेजीमेंट में से एक है। सन 1839 से 1947 के बीच यह रेजिमेंट 41 युद्ध सम्मान प्राप्त कर चुकी है| इस रेजिमेंट में मुख्यतः पश्चिमी उत्तरप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली के हिन्दू जाटों की भर्ती की जाती है|

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कुमाऊँ रेजिमेंट:

स्थापना: 1813
आदर्श वाक्य: “पराक्रमो विजयते”
युद्धघोष: “कालिका माता की जय,बजरंग बाली की जय, दादा किशन की जय एवं  जय जय दुर्गे”
मुख्यालय: रानीखेत, उत्तराखंड
आकार: 19 बटालियन
प्रमुख तथ्य: कुमाऊँ रेजिमेंट भारतीय सेना की एक इंफेंट्री रेजिमेंट है| इस रेजिमेंट में मुख्यतः कुमाऊँ जाति एवं उत्तर भारत के अहीर जाति के लोगों की भर्ती की जाती है|

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असम रेजिमेंट:

स्थापना: 1941
आदर्श वाक्य: “असम विक्रम”
युद्धघोष: “राइनो चार्ज”
मुख्यालय: हैप्पी वैली (शिलाँग), मेघालय
आकार: 22 बटालियन
प्रमुख तथ्य: असम रेजिमेंट भारतीय सेना की एक इंफेंट्री रेजिमेंट है। इस रेजिमेंट में मुख्य रूप से उत्तर-पूर्वी भारत के सात राज्यों के लोगों की भर्ती की जाती है|

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नागा रेजिमेंट:

स्थापना: 1970
युद्धघोष: “जय दुर्गा नागा”
मुख्यालय: रानीखेत, उत्तराखण्ड
आकार: 3 बटालियन
प्रमुख तथ्य: नागा रेजिमेंट भारतीय सेना की एक इंफेंट्री रेजिमेंट है। यह भारतीय सेना की सबसे युवा रेजीमेंट में से एक है| इस रेजिमेंट में मुख्य रूप से नागालैंड के लोगों की भर्ती की जाती है।

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महार रेजिमेंट:

स्थापना: 1941
आदर्श वाक्य: “यश सिद्धि”
युद्धघोष: “बोलो हिंदुस्तान की जय”
मुख्यालय: सौगौड़, मध्य प्रदेश
आकार: 19 बटालियन
प्रमुख तथ्य: महार रेजिमेंट भारतीय सेना की एक इंफेंट्री रेजिमेंट है| इस रेजिमेंट में मुख्यतः महाराष्ट्र के महार जाति के लोगों की भर्ती की जाती है|

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गढ़वाल राइफल्सः

स्थापना: 1887
आदर्श वाक्य: “युद्ध कीर्ति निश्चय”
युद्धघोष: “बद्री विशाल की जय”
मुख्यालय: लैंसडौन, उत्तराखण्ड
आकार: 20 बटालियन
प्रमुख तथ्य: गढ़वाल राइफल्स भारतीय सेना की एक इंफेंट्री रेजिमेंट है| इस रेजिमेंट में मुख्यतः उत्तराखण्ड के गढ़वाली जाति के लोगों की भर्ती की जाती है|

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बिहार रेजिमेंट:  

स्थापना: 1941
आदर्श वाक्य: “करम ही धरम”
युद्धघोष: “जय बजरंगबली”
मुख्यालय: दानापुर, बिहार
आकार: 19 बटालियन
प्रमुख तथ्य: बिहार रेजिमेंट भारतीय सेना की एक इंफेंट्री रेजिमेंट है| इस रेजिमेंट का मुख्यालय दानापुर छावनी भारत की दूसरी सबसे पुरानी छावनी है| इस रेजिमेंट में सैनिक के रूप में बिहार, झारखण्ड, ओडिसा, गुजरात और महाराष्ट्र के लोगों की भर्ती की जाती है|

Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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